मुस्लिम सीएम बनाने के लिए पिता ने कुर्बान की थी पार्टी, आपने नहीं दिया था साथ... ऐसा क्यों बोले चिराग पासवान?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार घोषित किया. मुस्लिम समुदाय ने अपनी हिस्सेदारी और सत्ता में प्रतिनिधित्व की मांग उठाई. लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने पिता रामविलास पासवान के फैसले की याद दिलाते हुए कहा कि मुस्लिम आबादी को हमेशा नजरअंदाज किया गया. असली प्रतिनिधित्व और भावनात्मक वोटबैंक के बीच इस बहस ने चुनावी सियासत को गर्म कर दिया.;
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और वीआईपी चीफ मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार घोषित किया है. इस घोषणा के बाद मुस्लिम समुदाय के कुछ हिस्सों ने अपनी हिस्सेदारी और सत्ता में प्रतिनिधित्व की मांग उठाई है. सोशल मीडिया पर कई मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस फैसले की आलोचना करते हुए अपनी जनसंख्या का हवाला दिया.
डिप्टी सीएम फेस को लेकर राजनीतिक बहस जोर पकड़ रही है. मुस्लिम समुदाय के नेता सवाल कर रहे हैं कि 18 प्रतिशत आबादी वाले समुदाय को महागठबंधन ने सत्ता में क्यों शामिल नहीं किया. यह मुद्दा सोशल मीडिया पर भी तेजी से चर्चा में है और फैंस तथा राजनीतिक विश्लेषक इसे बिहार चुनाव का संवेदनशील विषय बता रहे हैं.
चिराग पासवान ने याद दिलाई पिता की पहल
लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस बहस में मुस्लिम नेताओं को अपने पिता स्व. रामविलास पासवान के उस फैसले की याद दिलाई जिसमें उन्होंने बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी. चिराग ने यह भी जताया कि तब भी मुस्लिम समुदाय ने उनकी पार्टी का समर्थन नहीं किया.
सोशल मीडिया पर चिराग का ट्वीट
चिराग पासवान ने मेटा पर लिखा, “2005 में मेरे पिता ने मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी पार्टी कुर्बान कर दी थी. तब भी उनका साथ नहीं मिला. आज 2025 में भी न मुस्लिम मुख्यमंत्री दिया जा रहा है, न उपमुख्यमंत्री. अगर आप केवल बंधुआ वोट बैंक बने रहेंगे, तो सम्मान और भागीदारी कैसे मिलेगी?”
मुस्लिम वोट बैंक और राजनीति
चिराग ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि महागठबंधन केवल यादव और साहनी समाज के नाम पर चुनावी रणनीति चला रहा है. मुसलमानों की बात केवल वोट के समय ही की जाती है, जबकि वास्तविक सत्ता में भागीदारी नहीं दी जाती. उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 18 प्रतिशत है, फिर भी महागठबंधन ने किसी मुस्लिम नेता को महत्वपूर्ण पद का उम्मीदवार नहीं बनाया.
समाजिक प्रतिनिधित्व का मुद्दा
चिराग ने कहा कि तेजस्वी यादव यादव समाज से हैं, जिनकी आबादी करीब 13 प्रतिशत है, जबकि मुकेश सहनी साहनी समाज से हैं, जिनकी आबादी लगभग 2 प्रतिशत है. इसके बावजूद महागठबंधन ने मुस्लिम आबादी को सत्ता में प्रतिनिधित्व से वंचित रखा. यह समुदाय केवल चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
भावनात्मक वोटबैंक vs वास्तविक प्रतिनिधित्व
चिराग पासवान ने इसे भावनात्मक वोट बैंक बनाने की राजनीति बताया. उनका कहना है कि महागठबंधन केवल डर और धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल कर वोट हासिल करना चाहता है. असली प्रतिनिधित्व देने का उनका इरादा कभी नहीं रहा, जिससे मुस्लिम समुदाय राजनीतिक रूप से पिछड़ रहा है.
महागठबंधन के लिए बनी चुनौती
इस राजनीतिक परिदृश्य में महागठबंधन के लिए यह चुनौती बनी हुई है कि वह मुस्लिम समुदाय को वास्तविक हिस्सेदारी और सम्मान दे सके. अगर यह न हुआ, तो समुदाय में असंतोष बढ़ सकता है और चुनावी परिणामों पर भी इसका असर दिख सकता है. बिहार में सत्ता और प्रतिनिधित्व का यह मुद्दा आगामी चुनावों में अहम भूमिका निभाएगा.