बिहार चुनाव 2025: बिहार में पीके का 'पॉलिटिकल तांडव'! क्‍या जन सुराज से हिल गया नीतीश-लालू का खेल? जानिए कौन मारेगा बाज़ी

बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने नीतीश कुमार और लालू यादव के पारंपरिक समीकरण को हिला दिया है. सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर पीके ने बड़ा दांव खेला है. अब सवाल है क्या जन सुराज बनेगा गेम चेंजर या बिगाड़ेगा सत्ता का पूरा खेल?;

बिहार की सियासत पहले से ही जटिल थी, लेकिन इस बार तस्वीर और पेचीदा हो गई है.वजह है चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज की एंट्री. किशोर ने 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर यह साबित कर दिया है कि वे सिर्फ एक सलाहकार नहीं, बल्कि एक तीसरा विकल्प बनकर उभरना चाहते हैं. नीतीश कुमार और लालू यादव की पारंपरिक राजनीति के बीच एक नई राह खोलने की कोशिश में.

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशांत किशोर बिहार चुनाव का X-फैक्टर साबित होंगे? और अगर होंगे, तो किसके लिए? यही जानने की कोशिश की गई NDTV के चुनावी विशेष कार्यक्रम “Bihar Battleground” में, जहां डेटा, विशेषज्ञों और नेताओं की राय से निकला दिलचस्प विश्लेषण सामने आया.

जन सुराज का वोट शेयर बनाम सीट गणित

डेटा बताता है कि बिहार में किसी भी पार्टी को प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कम से कम 8% वोट शेयर जरूरी है.अगर जन सुराज को 15% वोट मिलते हैं, तो वह 25 या उससे अधिक सीटें जीत सकता है.18% वोट शेयर मिलने पर यह आंकड़ा 40 सीटों तक पहुंच सकता है.यानी प्रशांत किशोर अगर 18% वोट हासिल करते हैं, तो वे सीधे तौर पर बिहार की सत्ता समीकरण को हिला सकते हैं. क्योंकि यह विधानसभा की लगभग 15% सीटों पर प्रभाव डालेगा.

NDA और महागठबंधन पर असर

NDTV के वार गेमिंग मॉडल के मुताबिक अगर जन सुराज को 12% वोट शेयर मिलता है और वह इसका 80% महागठबंधन से तथा 20% NDA से खींच लेता है, तो JDU-BJP गठबंधन 199 सीटों पर पहुंच जाएगा, जबकि RJD-कांग्रेस को सिर्फ 30 सीटें मिलेंगी.लेकिन अगर समीकरण उलट जाए यानी जन सुराज 80% वोट NDA से और 20% महागठबंधन से ले जाए, तो RJD-कांग्रेस को 119 सीटें मिलेंगी — जो बहुमत से सिर्फ 3 सीट कम है और NDA 110 पर सिमट जाएगा.स्पष्ट है, जितना बड़ा वोट शेयर प्रशांत किशोर को मिलेगा, उतनी गहराई से दोनों गठबंधनों की जड़ें हिलेंगी.

BJP का रुख- 'PK की आवाज हमारे लिए फायदेमंद'

बीजेपी के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि किशोर का शोर दरअसल NDA के पक्ष में जा रहा है.“25 साल से बिहार की राजनीति लालू यादव और नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूमती रही है.प्रशांत किशोर का शोर अच्छा है, लेकिन जमीन पर हालात NDA के पक्ष में हैं.नीतीश कुमार के लिए सहानुभूति और नरेंद्र मोदी का विकास मॉडल मिलकर हमें बहुमत दिलाएगा,” उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार के युवा भले ‘जंगलराज’ को न देख पाए हों, पर अपने परिवारों से उसकी कहानियां सुन चुके हैं — और वोट उसी याद के आधार पर देंगे.

जन सुराज का पलटवार- “यह शोर नहीं, एक शांत क्रांति है”

जन सुराज के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “जन सुराज स्पॉइलर नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक आंदोलन है.बिहार के 58% युवा 35 साल से कम उम्र के हैं.लगभग 28% मतदाता ऐसे हैं जिन्होंने कभी NDA या महागठबंधन को वोट नहीं दिया.अगर जन सुराज इनमें से सिर्फ 10% को भी जोड़ लेता है, तो हमारा वोट शेयर 40% तक जा सकता है.”

कांग्रेस की राय- “तीसरा विकल्प नया नहीं”

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि प्रशांत किशोर मेहनत कर रहे हैं, लेकिन यह बिहार की परंपरा नहीं तोड़ पाएंगे.“बिहार हमेशा से जटिल राज्य रहा है.कई दलों के बीच मुकाबला रहता है.लेकिन अंत में लड़ाई NDA और महागठबंधन के बीच ही होती है.लोग बदलाव चाहते हैं, और वह बदलाव महागठबंधन से ही संभव है,” उन्होंने कहा.

चुनाव विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि प्रशांत किशोर भले मुख्यमंत्री न बनें, लेकिन वे 2020 की तरह स्पॉइलर रोल निभा सकते हैं जैसा कि उस समय लोक जनशक्ति पार्टी ने किया था.“2020 में 83 सीटें ऐसी थीं जहां जीत का अंतर 5% से कम था.अगर उन सीटों पर जन सुराज को 5% या अधिक वोट मिलते हैं, तो यह NDA और महागठबंधन दोनों के लिए नुकसानदायक होगा.जन सुराज जितना अच्छा प्रदर्शन करेगा, चुनाव उतना ही रोमांचक होगा.'

Similar News