Bihar Election Results 2025: महागठबंधन हुआ 'फुस्स', बंपर जीत की ओर NDA, ये रहीं 7 वजहें
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राज्य की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया है. कई महीनों से माहौल बनाने में जुटा महागठबंधन इस बार चुनावी जादू नहीं दिखा पाया और एनडीए ने एकतरफा बंपर जीत की राह पर है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू-भाजपा गठबंधन ने सभी प्रमुख क्षेत्रों में बढ़त बनाई और मतदाताओं ने स्थिरता, विकास और सामाजिक समीकरणों पर भरोसा जताया.;
Bihar Election Results 2025: बिहार चुनाव में महागठबंधन का जादू इस बार पूरी तरह फीका पड़ गया, जबकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए ने बंपर जीत दर्ज की है. शुरुआती रुझानों से लेकर अंतिम परिणाम तक एनडीए ने बढ़त बनाए रखी. भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी और जेडीयू की सीटें भी उम्मीद से बेहतर रहीं. जानें पीएम मोदी ओर नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की जीत की अहम वजहें, महागठबंधन की हार के कारण और कैसे बदला बिहार का चुनावी गणित?
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राज्य की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया है. कई महीनों से माहौल बनाने में जुटा महागठबंधन इस बार चुनावी जादू नहीं दिखा पाया और एनडीए ने एकतरफा बंपर जीत हासिल कर ली. नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू-भाजपा गठबंधन ने सभी प्रमुख क्षेत्रों में बढ़त बनाई और मतदाताओं ने स्थिरता, विकास और सामाजिक समीकरणों पर भरोसा जताया.
मतगणना शुरू होने के बाद से ही एनडीए मजबूत स्थिति में दिखाई दिया. भाजपा इस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि जदयू ने भी अपने पारंपरिक वोट बैंक में बेहतर वापसी की. कई सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार उम्मीद से कमजोर प्रदर्शन करते दिखे.
सियासी विश्लेषकों का कहना है कि जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाओं की पैठ, महिलाओं का झुकाव, जातीय समीकरण का पुनर्गठन और विपक्ष की रणनीतिक कमजोरियों ने पूरे चुनावी परिदृश्य को बदल दिया.
नीतीश कुमार को सत्ता विरोधी लहर का सामना करने की आशंका थी, लेकिन परिणामों ने यह साफ कर दिया कि उनकी संगठनात्मक पकड़ अभी भी बेहद मजबूत है. महागठबंधन की आंतरिक खींचतान, सीटों का गलत बंटवारा, उम्मीदवार चयन की राजनीति और संदेश की कमी ने इसे और कमजोर कर दिया.
नीतीश की बंपर जीत की बड़ी वजहें
1. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (दस हजारी योजना)
यह योजना नीतीश कुमार की सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है. यह बिहार की महिलाओं और लोगों में दस हजारी योजना के नाम से लोकप्रिय है. इस योजना के तहत नीतीश सरकार ने 1.11 करोड़ महिलाओं को 10 हजार रुपये अपना काम शुरू करने के लिए दिए हैं. और काम को आगे बढ़ाने दो लाख रुपये बैंक लोन दिलाने की भी गारंटी दी है. इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार से एक महिला को अपनी पसंद का व्यवसाय शुरू करने हेतु सहायता दी जाती है.
2. पेंशन लाभ
नीतीश कुमार सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के तहत वृद्धजन, विधवा महिलाएं और दिव्यांगों को लाभ दिया है. उदाहरण के लिए पेंशन की राशि को ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100 प्रति माह कर दिया गया है. इस पेंशन राशि का लाभ 1 करोड़ + लाभार्थियों को मिला है. 1.11 करोड़ से अधिक बैंक खातों में राशि हस्तांतरित की गई थी.
पेंशन योजनाओं के अंतर्गत जिनमें लाभार्थी शामिल हैं बिहार निशक्तता पेंशन योजना (दिव्यांगता पेंशन), लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना (विधवा पेंशन), मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना (बुजुर्ग पेंशन) आदि.
3. लाड़ी-लक्ष्मी मॉडल
बिहार की आधी आबादी यानी 48 प्रतिशत महिलाओं के बीच नीतीश कुमार ने पिछले दो दशक में अच्छी और स्थायी इमेज बनाई है. यही कारण है कि शराबबंदी, लड़कियों की शिक्षा, साइकिल योजना, पेंशन-स्कॉलरशिप व सुरक्षा योजनाओं का प्रभाव सीट-दर-सीट चुनाव परिणाम में दिख रहा है.
4. EBC, महिला और ईबीसी समीकरण
नीतीश कुमार की नीतीयों की वजह से EBC और महादलित वोट इस बार NDA के साथ मजबूती से जुड़ा रहा. राजद-कांग्रेस का OBC-मुस्लिम समीकरण निर्णायक जगहों पर वांछित संख्या नहीं जुटा पाया.
5. भाजपा-जदयू का समन्वय और बूथ-लेवल मैनेजमेंट
बीजेपी-जेडीयू दोनों दलों के बीच इस बार सीटों और क्षेत्रों को लेकर कम टकराव था.
6. माइक्रो-कनेक्ट
भाजपा की मजबूत संगठन क्षमता और JDU के माइक्रो-कनेक्ट ने NDA की पकड़ मजबूत की.
7. महागठबंधन की रणनीतिक चूक और आंतरिक विरोध
राजद-कांग्रेस-लेफ्ट के बीच सीटों का तालमेल आखिरी समय तक विवादों में रहा. कई जगहों पर फ्रेंडली फाइट, कमजोर उम्मीदवार और लोकल असंतोष ने नुकसान किया. मतदाताओं में सरकार बदलने को लेकर कोई खास उत्साह नहीं था. नीतीश को एक सुरक्षित, अनुभवी और प्रशासनिक तौर पर भरोसेमंद चेहरा माना गया-इसने निर्णायक बढ़त दिलाई.