Bihar Election Result 2025: वोटिंग के दिन पोस्टर वॉर, 'अलविदा चाचा' Vs 'टाइगर अभी जिंदा है' बैनर ने राजनीति में मचाई गर्मी
पटना की गलियों से लेकर दूर-दराज़ के इलाकों तक, इस बार बिहार में चुनाव परिणाम आने से पहले ही दीवारों ने बोलना शुरू कर दिया है. जैसे-जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे सड़कों पर एक अनोखा युद्ध छिड़ा हुआ है, पोस्टरों का युद्ध.;
बिहार चुनाव 2025 के वोटिंग और मतगणना के दिन राजनीतिक तापमान चरम पर पहुंच गया है. राजधानी पटना से लेकर मोकामा तक पोस्टर वॉर ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. आरजेडी के ‘अलविदा चाचा’ पोस्टर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सीधे निशाना बनाते हुए उनकी सत्ता की लंबी पारी के खत्म होने का संदेश दिया.
वहीं, जेडीयू ने ‘टाइगर अभी जिंदा है’ वाले बैनर के जरिए नीतीश की मजबूती और पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने की संभावना को उजागर किया. इस पोस्टर टकराव ने चुनावी माहौल को बेहद कड़ा और नाटकीय बना दिया है.
'अलविदा चाचा' बनाम 'टाइगर अभी जिंदा है'
गुरुवार की सुबह पटना स्थित आरजेडी दफ्तर के बाहर एक बड़े से पोस्टर ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा, जिसमें 'अलविदा चाचा' लिखा था. इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी से उठकर जाते हुए दिखाया गया है, जिसका मैसेज साफ है कि आरजेडी अब नीतीश युग के अंत की घोषणा कर रही है. तेजस्वी यादव की पार्टी इस नारे के जरिये बताना चाहती है कि सत्ता परिवर्तन तय है. दूसरी ओर, जेडीयू ने भी जवाबी हमला किया है. पूर्व मंत्री रंजीत सिन्हा की ओर से लगाए गए पोस्टरों पर लिखा गया 'टाइगर अभी जिंदा है'. इसमें नीतीश कुमार को एक मजबूत, अडिग नेता के रूप में दिखाया गया है, जो हर चुनौती के बीच टिके हुए हैं. ये पोस्टर सीएम की राजनीतिक जीवटता का प्रतीक बनकर उभरे हैं.
मोकामा की सियासत: ‘शेर छूटेगा’ की पुकार
पटना से दूर मोकामा में सियासत का रंग और गाढ़ा हो गया है. यहां जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह के नाम पर बाज़ारों और गलियों में पोस्टर चिपके हैं जिन पर लिखा है 'जेल का फाटक टूटेगा, हमारा शेर छूटेगा'. यह नारा उनके समर्थकों की भावनाओं का उबाल दिखाता है, जो चाहते हैं कि उनका नेता एक बार फिर मैदान में लौटे. हालांकि अनंत सिंह फिलहाल 2 नवंबर से जेल में हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता अब भी बरकरार है. यही वजह है कि उनके पोस्टर सिर्फ प्रचार नहीं, बल्कि आंदोलन की शक्ल ले चुके हैं.
दीवारों पर जनता की नब्ज़
बिहार की दीवारें इस वक्त सबसे बड़ा चुनावी मैदान बन चुकी हैं. कहीं नीतीश की स्थिरता का दावा है, तो कहीं तेजस्वी की नई शुरुआत का सपना. 67 प्रतिशत से ज्यादा मतदान के बाद यह लड़ाई अब सिर्फ बैलेट बॉक्स में नहीं, बल्कि नारे और पोस्टरों में भी लड़ी जा रही है. सवाल बस इतना है कि इस सियासी पोस्टर वॉर में जीत की तस्वीर किसकी बनेगी, चाचा की विदाई या टाइगर की वापसी?