नीतीश कुमार फिर बनेंगे सरताज या तेजस्वी के सिर सजेगा ताज, कितने सटीक साबित होंगे एग्जिट पोल?
बिहार में एग्जिट पोल्स के आंकड़े अक्सर नतीजों से मेल नहीं खाते. पिछले तीन विधानसभा चुनाव (2010, 2015, 2020) में ज्यादातर सर्वे एजेंसियां फेल साबित हुईं. 2015 में एग्जिट पोल्स ने एनडीए को बढ़त दी थी लेकिन जीत महागठबंधन की हुई. वहीं 2020 में पोल्स ने महागठबंधन को बढ़त दिखाई पर एनडीए ने सरकार बनाई. अब 2025 के एग्जिट पोल्स में फिर एनडीए को बढ़त दिखाई जा रही है, लेकिन बिहार के अप्रत्याशित वोटिंग पैटर्न को देखते हुए नतीजे कुछ भी हो सकते हैं.;
Bihar Election 2025 vote counting, Exit Polls Accuracy, Nitish Kumar vs Tejashwi Yadav: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आज घोषित किए जाएंगे. आज यह साफ हो जाएगा कि सत्ता की कुर्सी पर फिर से नीतीश कुमार ही बैठेंगे या तेजस्वी यादव का पहली बार मुख्यमंत्री बनने का सपना साकार होगा. हालांकि, एग्जिट पोल्स में एनडीए की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने का अनुमान लगाया गया है, लेकिन बिहार की सियासत को लेकर एक कहावत अक्सर दोहराई जाती है- यहां जनता आखिरी वक्त पर खेल बदल देती है. यह बात बार-बार सही साबित हुई है.
बीते दो दशकों में राज्य में हुए पांच विधानसभा चुनावों में ज्यादातर एग्जिट पोल्स नतीजों से बिल्कुल उलट साबित हुए हैं. अब 2025 का चुनाव भी इसी कड़ी में नया अध्याय जोड़ने जा रहा है.
17 में से केवल एक एजेंसी ने महागठबंधन की जीत का लगाया अनुमान
11 नवंबर को मतदान समाप्त होते ही 17 एजेंसियों ने अपने-अपने एग्जिट पोल जारी किए. इनमें से 16 ने एनडीए (NDA) को स्पष्ट बहुमत के संकेत दिए, जबकि केवल एक एजेंसी ने महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-वाम दल) की जीत का अनुमान जताया, लेकिन अगर बिहार के पिछले चुनावों का इतिहास देखा जाए, तो पोल्स की भविष्यवाणियों पर आंख मूंदकर भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है.
बिहार के एग्जिट पोल्स बार-बार क्यों फेल हुए?
राज्य का जटिल सामाजिक समीकरण, जातीय गठजोड़, क्षेत्रीय मतभेद और महिला मतदाताओं का ‘साइलेंट वोट’, ये सभी कारक हर बार सर्वे एजेंसियों की गणना को उलझा देते हैं. बिहार में वोटर आखिरी वक्त पर अपना निर्णय बदलने के लिए भी मशहूर हैं. यही वजह है कि अक्सर पोल्स का गणित जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता.
बिहार चुनाव 2020: एग्जिट पोल्स हुए ध्वस्त
साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें और महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं, लेकिन एग्जिट पोल्स का हाल बिल्कुल अलग था. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया ने एनडीए को 69–91 और महागठबंधन को 139–161 सीटें दी थीं. टुडे चाणक्य ने तो एनडीए को सिर्फ 55 और महागठबंधन को 180 सीटें तक दीं.
एबीपी नीलसन ने एनडीए को 104–128 और महागठबंधन को 108–131 सीटें मिलने का अनुमान जताया था. वहीं, टाइम्स नाउ-सी वोटर ने एनडीए को 116 और महागठबंधन को 120 सीटें मिलने की संभावना जताई थी. भास्कर पोल ने एनडीए को 120–127 और महागठबंधन को 71–81 सीटें दी. अंत में नतीजे आए- एनडीए ने सरकार बनाई और ज्यादातर एग्जिट पोल्स बुरी तरह फेल साबित हुए.
बिहार चुनाव 2015: पोल्स ने दिखाई एनडीए की जीत, पर बाजी मारी महागठबंधन ने
2015 में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के गठबंधन ने राजनीतिक इतिहास रच दिया था. लगभग सभी पोल्स ने उस वक्त बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को बढ़त दी थी, पर परिणाम ठीक उलटे निकले. महागठबंधन को 178 सीटें मिलीं, जबकि एनडीए को सिर्फ 58 सीटों पर जीत मिली. वहीं, अन्य को 7 सीटें मिलीं.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया ही एकमात्र एजेंसी थी जिसने सही अनुमान लगाया. उसने एनडीए को 58–70 और महागठबंधन को 169–183 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. बाकी सभी सर्वे भारी चूक कर गए.
बिहार की राजनीति: एग्जिट पोल्स की ‘कब्रगाह’
बिहार का राजनीतिक समीकरण इस कदर पेचीदा है कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सर्वे एजेंसियां यहां सबसे ज्यादा गलत साबित होती हैं. जातीय पहचान, स्थानीय नेतृत्व की लोकप्रियता और वोट बंटवारे का पैटर्न हर बार अलग कहानी कहता है. अब 2025 में जब मतदान खत्म हो चुका है और परिणाम आने में बस एक दिन बाकी है, सबकी निगाहें इसी बात पर टिकी हैं- क्या इस बार एग्जिट पोल्स पहली बार सही साबित होंगे या बिहार फिर से सर्वे एजेंसियों की भविष्यवाणी को ‘फेल’ कर देगा?