जन सुराज की पहली सूची के 51 में 12 प्रत्याशी IPS, कितने आएंगे प्रशांत किशोर के काम, क्या सोचकर दिया टिकट?

आईएएस-आईपीएस-डॉक्टर उम्मीदवार PK के लिए तुरंत वोट में तब्दील नहीं होंगे, लेकिन ये जन सुराज की विश्वसनीयता और पहचान मजबूत करेंगे. अगर PK का संगठनिक नेटवर्क मजबूत रहा, तो ये कदम बिहार की राजनीति में 'नई राजनीति' का मॉडल बन सकता है. लोग यह पूछ रहे हैं कि प्रशासनिक, तकनीकी और शैक्षिक सेवा जुड़े और सेवानिवृत लोगों को पीके ने इतनी बड़ी संख्या में टिकट क्यों दिया?;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 10 Oct 2025 3:12 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने गुरुवार को पहली सूची जारी कर कर सबको चौंका दिया. उन्होंने पहली सूची में 51 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं. इनमें 12 पूर्व आईपीएस हैं. कुछ आईएएस भी हैं और कई डॉक्टर हैं. ऐसा कर 'पीके' ने बिहार में सियासी हलचल मचा दी है. साथ ही उन्होंने मतदाताओं को बड़ा मैसेज भी देने की कोशिश की है. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इन अफसरों के सहारे 'पीके' बिहार की राजनीति में नई पटकथा लिख पाएंगे? आखिर उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में देश के शीर्ष पदों से रिटायर्ड अफसरों को टिकट क्यों दिया? ऐसा कर वह जातीय संतुलन साधना चाहते हैं या फिर 'क्लीन इमेज' वाली राजनीति का संदेश दे रहे हैं.

1. पहली सूची में 12 IPS अफसरों के नाम

 दरअसल, प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान से 2023 में बिहार के कई रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी उनके साथ जुड़े हैं. टिकट पाने वाले अधिकारियों में डीआईजी से लेकर डीजी तक के पदों पर काम कर चुके हैं. इनमें से एक दर्जन से ज्यादा को उन्होंने पहली सूची में ही टिकट दिया है. जिन रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों को उन्होंने थोक के भाव में टिकट दिए हैं उनमें - जन सुराज अभियान से जुड़े सेवानिवृत पुलिस अधिकारियों में समस्तीपुर से जितेंद्र मिश्रा हैं. ये सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG) होम गार्ड रह चुके हैं. एस. के. पासवान (वैशाली) सेवानिवृत महानिदेशक (DG) 1979 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, केबी सिंह (सारण) सेवानिवृत पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) संचार 1983 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, राकेश कुमार मिश्रा (सहरसा) सेवानिवृत महानिदेशक (DG) 1986 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, सीपी किरण (पटना) सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG) पुलिस 1989 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, मो. रहमान मोमिन (भोजपुर) सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG) तकनीकी सेवाएं, शंकर झा सेवानिवृत इंडियन पुलिस सर्विस, दिलीप मिश्रा सेवानिवृत इंडियन पुलिस सर्विस, उमेश सिंह (बेगूसराय) सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG Vigilance) 1984 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, अनिल सिंह (सुपौल) सेवानिवृत पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) मुजफ्फरपुर, शिवा कुमार झा (सुपौल) सेवानिवृत पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) इकोनॉमिक्स अफेयर और अशोक कुमार सिंह (सिवान) सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG) प्रमुख हैं. इसके अलावा, पहली सूची में कुछ आईएएस और डॉक्टर भी शामिल हैं.

जन सुराज पार्टी की पहली सूची ने अहम सवाल उठाए हैं, जिसकी चर्चा बिहार में हो रही है.  लोग यह पूछ रहे हैं कि प्रशासनिक, तकनीकी और शैक्षिक सेवा जुड़े और सेवानिवृत लोगों को पीके ने इतनी बड़ी संख्या में टिकट क्यों दिया?

2. 'साफ-सुथरी राजनीति' की छवि बनाने की कोशिश

प्रशांत किशोर हमेशा से कहते आए हैं कि बिहार की राजनीति जाति और भ्रष्टाचार में उलझी हुई है. अब वे प्रोफेशनल्स, पूर्व अधिकारी और शिक्षित वर्ग को टिकट देकर ये दिखाना चाहते हैं कि उनकी पार्टी 'सिस्टम बदलने' वाली है, न कि 'सिस्टम में फिट होने' वाली. इससे जनता में जन सुराज पार्टी की 'ईमानदार और सक्षम चेहरों' की पार्टी की छवि बन सकती है.

3. राजनीति में विश्वास पैदा करने का प्रयास

आईएएस, आईपीएस या डॉक्टर जैसे लोग समाज में सम्मानित होते हैं.उनका राजनीति में आना यह संदेश देता है, “अगर सिस्टम से थक चुके लोग राजनीति में आ रहे हैं, तो कुछ बदलाव सच में मुमकिन है.” यह मिडिल क्लास और अर्बन वोटर को अपील करता है, जो अब तक किसी पार्टी के प्रति पूरी तरह वफादार नहीं हैं.

4. अनुभव और प्रशासनिक क्षमता का इस्तेमाल

PK यह दिखाना चाहते हैं कि उनकी टीम सिर्फ भाषण देने वाली नहीं बल्कि नीति समझने और लागू करने वाली टीम है.आईएएस और आईपीएस अफसर शासन, योजना और सिस्टम को गहराई से समझते हैं. इसलिए, वे भविष्य में सरकार बनी तो अच्छा प्रशासन देने का दावा कर सकेंगे.

 5. कितने काम आएंगे?

पीके के सामने चुनौती बड़ी है. इस तरह के उम्मीदवारों की ग्राउंड पकड़ कमजोर होती है. बिहार की राजनीति अब भी जातीय समीकरणों और स्थानीय नेटवर्क पर टिकी है. वोटर पहले यह सोचता है कि उम्मीदवार कौन है? किस जाति का है और कौन जीतेगा, पर वोट डालता है. इसलिए, अगर PK का संगठन (जन सुराज) बूथ स्तर पर मजबूत नहीं हुआ, तो ये उम्मीदवार सिर्फ ‘इमेज’ तक सीमित रह जाएंगे.

 6. PK की सोच लंबी पारी की खेलने की तो नहीं!

प्रशांत किशोर जानते हैं कि 2025 में तुरंत सत्ता नहीं मिलेगी, इसलिए उनका लक्ष्य है, "लोगों को विकल्प देना और ईमानदार चेहरों के जरिए ब्रांड बनाना." अगर ये उम्मीदवार हार भी जाएं, तो जनता में पार्टी की एक साफ-सुथरी राजनीतिक पहचान तो बन ही जाएगी, जो आगे 2030 तक बड़ा असर डाल सकती है.

7. सियासी परिवार के 7 महिलाओं को टिकट

जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर राजनीति में परिवारवाद के धुर विरोधी हैं. महिला सशक्तिकरण पर जोर देने के हिमायती हैं, लेकिन पहली सूची में उन्होंने देनों पहलुओं की उपेक्षा की है. उन्होंने पहली सूची के 51 उम्मीदवारों में सात महिला प्रत्याशी भी उतारे हैं. ये महिला किसी न किसी सियासी परिवार से ताल्लुक रखती हैं. ऐसे में पीके का महिला सशक्तिकरण और परिवारवाद विरोधी राजनीति करने का एजेंडा कितना मजबूत हो कसता है, इसका सहज ही कयास लगाया जा सकता है.

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