बिहार कैबिनेट का बड़ा फैसला : आंगनबाड़ी सेविकाओं-सहायिकाओं का मानदेय 1 सितंबर से लागू
बिहार कैबिनेट ने 9 सितंबर को आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का मानदेय बढ़ाकर क्रमशः ₹9,000 और ₹4,500 करने का ऐतिहासिक फैसला लिया. यह बढ़ा हुआ मानदेय 1 सितंबर 2025 से लागू होगा. सरकार हर साल अतिरिक्त ₹345 करोड़ खर्च करेगी. कुपोषण से लड़ाई, महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य सुधार और सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने में यह कदम मदद करेगा. करीब 2.5 लाख सेविकाओं-सहायिकाओं को इसका सीधा लाभ मिलेगा.;
बिहार की मातृशक्ति के लिए मंगलवार 9 सितंबर ऐतिहासिक दिन साबित हुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर राज्य कैबिनेट ने आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के मानदेय में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है. अब सेविकाओं को हर महीने 9,000 रुपये और सहायिकाओं को 4,500 रुपये मानदेय मिलेगा.
यह फैसला 1 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा, यानी इसी महीने से सेविकाओं को नया मानदेय मिलना शुरू होगा. लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रही ग्रामीण महिलाओं में इस घोषणा से खुशी की लहर है.
पहले और अब - कितना बढ़ा मानदेय
इस फैसले से पहले आंगनबाड़ी सेविकाओं को 7,000 रुपये और सहायिकाओं को 4,000 रुपये मिलते थे. अब सेविकाओं को 2,000 रुपये और सहायिकाओं को 500 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे. यद्यपि राशि का यह इजाफा प्रतीकात्मक लगता है, लेकिन इससे इनके दैनिक जीवन, स्वास्थ्य सेवाओं में सक्रियता और बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं के पोषण कार्यक्रमों में भागीदारी को मजबूती मिलेगी.
345 करोड़ का अतिरिक्त खर्च
राज्य सरकार ने इस योजना पर हर साल अतिरिक्त 345 करोड़ 19 लाख 20 हजार रुपये खर्च करने की स्वीकृति दी है. कैबिनेट की ओर से यह राशि मंजूर कर दी गई है. इस बजटीय सहयोग से न केवल मानदेय में वृद्धि होगी, बल्कि सेविकाओं को प्रशिक्षण, आवश्यक संसाधन और स्वास्थ्य अभियान चलाने में भी सहायता मिलेगी.
कुपोषण से लड़ाई में बड़ी मदद
आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं बिहार के ग्रामीण इलाकों में बच्चों और महिलाओं के पोषण, स्वास्थ्य, टीकाकरण और प्राथमिक शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों की रीढ़ हैं. कुपोषण और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीण परिवारों तक सेवाएं पहुंचाने में इनकी भूमिका बेहद अहम है. लंबे समय से मानदेय बढ़ाने की मांग की जा रही थी, ताकि इनके जीवन स्तर में सुधार हो और सेवाओं की गुणवत्ता भी बढ़े.
चुनावी साल में सामाजिक भरोसे का संकेत
चुनावी वर्ष को ध्यान में रखते हुए यह फैसला राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर सरकार का ध्यान केंद्रित करना एक सकारात्मक संकेत है. ग्रामीण महिलाओं के बीच यह घोषणा सरकार के प्रति विश्वास और समर्थन बढ़ाने का काम करेगी. वहीं, सेविकाओं की कार्यक्षमता और जिम्मेदारी बढ़ेगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभाव व्यापक होगा.
सीधे लाभान्वित होंगे 2.5 लाख से अधिक लोग
बिहार में कुल 1 लाख 20 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं. प्रत्येक केंद्र पर एक सेविका और एक सहायिका नियुक्त हैं. यानी करीब 2.5 लाख सेविकाओं-सहायिकाओं को इस बढ़े मानदेय का सीधा लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इस फैसले की जानकारी साझा की थी, जिससे महिलाओं में उत्साह बढ़ा. सरकार का दावा है कि यह कदम सेविकाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं को भी सशक्त करेगा.
सीएम नीतीश का वादा पूरा
सीएम नीतीश कुमार ने पहले ही कहा था कि राज्य की मातृशक्ति को हर संभव सहयोग दिया जाएगा. आज उस वादे को पूरा कर सरकार ने अपने सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है. विशेषज्ञों का मानना है कि मानदेय बढ़ाने से सेविकाओं में कार्य के प्रति उत्साह बढ़ेगा और बच्चों व महिलाओं के पोषण संबंधी कार्यक्रमों में व्यापक सुधार होगा.
हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल मानदेय बढ़ाना पर्याप्त नहीं है. सेविकाओं को प्रशिक्षण, बेहतर संसाधन और कार्यस्थल की सुरक्षा की भी आवश्यकता है. फिर भी यह कदम बिहार की मातृशक्ति के लिए राहत और सम्मान का प्रतीक बन गया है. कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से निपटने में यह योजना एक सशक्त पहल साबित हो सकती है.
आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का मानदेय बढ़ाना केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह फैसला महिलाओं के प्रति सम्मान और सामाजिक विकास की दिशा में एक बड़ा संकेत है. आने वाले समय में यह योजना बिहार की महिलाओं और बच्चों के लिए नई उम्मीदें लेकर आएगी.