दुलारचंद यादव हत्याकांड में कार्रवाई, मोकामा से एनडीए प्रत्याशी बाहुबली अनंत सिंह गिरफ्तार, NDA को कितना होगा नुकसान?

मोकामा के दुलारचंद यादव हत्याकांड में बड़ी कार्रवाई करते हुए पटना पुलिस ने पूर्व विधायक और एनडीए प्रत्याशी अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. चुनावी मौसम के बीच हुई इस गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है. गिरफ्तारी के बाद जातीय समीकरण, एनडीए की छवि और चुनावी रणनीति पर बड़ा असर देखने को मिल रहा है. CID की जांच जारी है और कई अन्य आरोपी पुलिस रडार पर हैं. मामला अब सियासत से ज्यादा कानून बनाम बाहुबल का बन पड़ा है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 2 Nov 2025 7:10 AM IST

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की सियासत में ऐसा मोड़ आया, जिसने पूरे राज्य का माहौल बदल दिया. मोकामा के बहुचर्चित दुलारचंद यादव हत्याकांड ने न सिर्फ राजनीतिक समीकरणों को हिला दिया, बल्कि चुनावी प्रचार के बीच एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया. क्या कानून से ऊपर कोई भी नहीं? और क्या चुनावी मैदान में अपराध और सत्ता का गठजोड़ अब टूटने वाला है?

यही कारण है कि देर रात अचानक हुई कार्रवाई में पटना पुलिस ने पूर्व विधायक और एनडीए प्रत्याशी बाहुबली अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि बिहार की उस राजनीति का आईना बन गई है जहां बाहुबली छवि, जातीय वोटबैंक और सत्ता का गणित हमेशा मुकाबले में रहता है. अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या यह गिरफ्तारी कानून का पालन है या राजनीति की मजबूरी?

हत्या से चुनाव तक: कैसे बढ़ा मामला?

मोकामा में 75 वर्षीय दुलारचंद यादव की मौत के बाद दोनों राजनीतिक खेमों के बीच तनाव बढ़ा. झड़प, पथराव और गोलीबारी के बीच मामला हत्या तक पहुंचा और फिर चुनावी माहौल पूरी तरह गरम हो गया. यह कोई सामान्य वारदात नहीं, बल्कि सत्ता संघर्ष का हिंसक रूप था.

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

कई दिनों से जारी दबिश के बाद पटना एसएसपी की टीम ने बाढ़ स्थित मार्केट से अनंत सिंह को पकड़ा. पुलिस का दावा है कि इस हत्याकांड में सबकुछ उनके सामने हुआ और वे मुख्य आरोपी हैं. उनके साथ दो अन्य आरोपियों रंजीत राम और मणिकांत ठाकुर को भी गिरफ्तार किया गया.

कानून तोड़ोगे, तो कार्रवाई होगी

डीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि चाहे कोई भी हो, चुनाव के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं होगा. हथियार जब्त होंगे, लापरवाही पर अफसरों पर भी केस दर्ज होगा. यह बयान साफ इशारा देता है. सरकार नहीं चाहती कि यह मामला सियासी हिंसा बनकर और बिगड़े.

पहले क्यों नहीं पकड़े गए अनंत?

जन सुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी ने खुलकर कहा, "गिरफ्तारी सही है, पर देर से हुई. जब एफआईआर दर्ज हुई थी, उसी दिन कार्रवाई होनी चाहिए थी." मतलब साफ है कि पुलिस कार्रवाई पर भी राजनीति की परछाईं है.

एनडीए का संतुलन बिगड़ा

चुनाव प्रचार के चरम पर अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने एनडीए को मुश्किल में डाल दिया है. विपक्ष ने इसे तुरंत हथियार बना लिया, क्योंकि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन लगातार "जंगलराज" का आरोप लगा रहा था, और अब उन्हीं के उम्मीदवार पर हत्या का आरोप है.

जातीय गणित हुआ तेज, दोनों पक्षों में असर

यादव समाज में हत्या को लेकर पहले से आक्रोश है, जो इस गिरफ्तारी के बाद एनडीए के खिलाफ वोट में बदल सकता है. दूसरी ओर, भूमिहार समाज में अनंत सिंह के पक्ष में सहानुभूति की लहर उठती दिख रही है. यानी इस घटना ने मोकामा ही नहीं, पूरे पटना जिले में जातीय समीकरण हिला दिए हैं.

कानून की चेक-मेट

35 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी, थानाध्यक्षों का निलंबन और लगातार छापेमारी बताते हैं कि यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि राजनीतिक दबदबे की परीक्षा है. सीआईडी की एंट्री से मामला और गंभीर हो गया है.

नुकसान किसका होगा?

गिरफ्तारी से एनडीए की छवि पर दाग लगा, लेकिन सहानुभूति वोट भी बन सकता है. राजद इसे मुद्दा बनाकर यादव-मुस्लिम वोट पकड़ेगा, पर उसके भूमिहार प्रत्याशी असमंजस में हैं. यानी यह मामला किसी एक सीट तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे बिहार चुनाव की दिशा बदल सकता है.

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