गौतम गंभीर बनाम पिच क्यूरेटर, ओवल में आखिर क्यों मच गया बवाल? क्या है पूरा मामला और क्या कहता है नियम
गौतम गंभीर और ओवल के पिच क्यूरेटर के बीच तीखी नोकझोंक उस वक्त हुई जब गंभीर ने पिच की तैयारी पर सवाल उठाए. बताया जा रहा है कि गंभीर को प्रैक्टिस के लिए पिच का मुआयना करना था, लेकिन ग्राउंड स्टाफ ने उन्हें रोक दिया. इस पर बहस तेज हो गई. आईसीसी नियमों के अनुसार, मेज़बान बोर्ड की अनुमति के बिना कोई भी पिच में बदलाव या निरीक्षण नहीं कर सकता.;
31 जुलाई से लंदन स्थित द ओवल के मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच तेंदुलकर-एंडरसन टेस्ट सिरीज़ का पांचवां और अंतिम मुक़ाबला शुरू होने वाला है. इससे दो दिन पहले जब टीम इंडिया ओवल के मैदान पर अभ्यास करने उतरी तो चीफ़ कोच गौतम गंभीर की सरे काउंटी क्रिकेट क्लब के ग्राउंड स्टाफ़ के बीच एक तीखी बहस हो गई. इस बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. उस दौरान गौतम गंभीर ग्राउंड स्टाफ़ की ओर उंगली दिखाते हुए यह कहते सुने गए कि "तुम मत बताओ हमें क्या करना है, तुम केवल ग्राउंड्समैन हैं, इससे अधिक कुछ नहीं."
बैटिंग कोच सितांशु कोटक ने बताया- क्या है पूरा मामला?
इस बहस के दौरान टीम इंडिया के बैटिंग कोच सितांशु कोटक भी वहां मौजूद थे, जिन्होंने बाद में हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताया कि टीम का कोचिंग स्टाफ़ पिच का निरीक्षण कर रहा था, तभी उन लोगों को वहां से हटने के लिए कहा गया. सितांशु कोटक ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बताया, "जब हम विकेट पर खड़े होकर जायज़ा ले रहे थे, तब ग्राउंड स्टाफ़ ने आकर कहा कि यहां से ढाई मीटर दूर खड़े हो जाइए. वह हेड कोच से कह रहा था कि आप रस्सी के बाहर जाकर विकेट देखिए. मुझे नहीं समझ आया कि ऐसे विकेट को कैसे देखा जा सकता है? मेरे क्रिकेट करियर में मैंने कभी किसी को ऐसा कहते हुए नहीं देखा है." सितांशु कोटक ने अपना पक्ष रखा और बोले, "अगर पिच पर जाकर कोई अपने जूते झाड़ रहा हो या वहां पर कुछ डालने की कोशिश कर रहा हो या जो लोग वहां गए हैं वो स्पाइक्स पहन रखे हों, तब तो क्यूरेटर को आपत्ति समझ में आती है. लेकिन यह कहने का तरीक़ा बहुत अजीब था."
वे कहते हैं, "देखिए मैं मानता हूं कि अक्सर क्यूरेटर मैदान और स्क्वेयर (मैदान में ख़ास तौर पर तैयार किया गया वो हिस्सा जिसके अंदर मैच पिच होती है) को लेकर थोड़े अधिक संवेदनशील होते हैं. लेकिन उन्हें ये भी समझना चाहिए कि वो जिनसे बात कर रहे हैं वो न केवल समझदार हैं बल्कि अपने काम में बेहद कुशल लोग भी हैं. तो जब आप इतने जानकार और क़ाबिल लोगों के साथ बात करते हैं, तो विनम्रता ज़रूरी होती है. आख़िरकार यह एक क्रिकेट पिच ही है. कोई 200 साल पुरानी एंटीक चीज़ नहीं है जिसे छूने से टूटने का डर हो."
हेड कोच के साथ हुए व्यवहार पर तीखी प्रतिक्रिया
हेड कोच को पिच पर जाने से रोकने के प्रकरण के बाद पूर्व क्रिकेटरों का तीखा बयान आया. पूर्व क्रिकेटर इरफ़ान पठान ने एक्स पर लिखा, "तो क्या कोई अंग्रेज़ कोच निरीक्षण करने के लिए पिच पर जा सकता है? लेकिन एक भारतीय कोच नहीं कर सकता? क्या हम अब भी औपनिवेशिक युग में फंसे हुए हैं?"
अश्विन बोले- “जब… तब एक अलग ही बीस्ट बन जाती है टीम इंडिया”
वहीं पूर्व स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा कि अंतिम टेस्ट में भारत का पलड़ा भारी है. अश्विन बोले, "आप इस तरह भारत के ख़िलाफ़ क्रिकेट नहीं खेलना चाहेंगे क्योंकि टीम इंडिया के पास विपरीत परिस्थिति में पलटवार करने का जज़्बा है. जब भारतीय टीम को गुस्सा आता है तो वो एक अलग ही टीम बन जाती है. ओवल टेस्ट के पहले उन्हें इस तरह उत्तेजित नहीं किया जाना चाहिए था." अश्विन ने कहा कि उन्होंने हेड कोच गौतम गंभीर के साथ हुए इस बहस का वीडियो देखा है. उन्होंने कहा, "बॉस, आप लोग क्या कर रहे हो? इस तरह आप भारत के साथ नहीं खेलना चाहेंगे. मैंने हमेशा देखा है कि चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो, भारतीय टीम उभर कर आती है. जब चीज़ें सही नहीं हों या जब हमें दीवार की ओर धकेला जाता है, तब भारतीय टीम पिछली स्थिति से बिल्कुल अलग हो जाती है, यह एक अलग ही बीस्ट (हिंसक जानवर) बन जाती है."
पिच को लेकर क्या है क्रिकेट के नियम?
मेरीलेबॉन क्रिकेट क्लब यानी एमसीसी के क्रिकेट की नियमावली के मुताबिक़ पिच को लेकर बहुत सख्त नियम हैं. इसके पीछे वजह यह है कि क्रिकेट संचालन करने वाली समिति मैच में दोनों टीमों को समान अवसर देना चाहती है. या यूं कहें कि इसे लेकर कड़े नियम इसलिए हैं कि किसी एक टीम को इसका विशेष फ़ायदा न मिले. पिच को लेकर एमसीसी के सख़्त नियमों को जानने से पहले दो शब्दावली को जानना बेहद ज़रूरी है. एक है पिच एरिया और दूसरा है प्रोटेक्टेड (संरक्षित) एरिया.
पिच एरियाः पिच एरिया पिच के दोनों सिरों पर क्रीज़ के चिह्नों से बने आयत से कम से कम 2 मीटर आगे का क्षेत्र शामिल होता है. प्रोटेक्टेड एरियाः प्रोटेक्टेड एरिया पिच पर पॉपिंग क्रीज़ के समानान्तर पांच फ़ीट आगे की ओर के हिस्से को कहते हैं. एमसीसी लॉ बुक में पिच के निरीक्षण को लेकर कुछ बातें बिल्कुल स्पष्ट रूप से कही गई हैं.
- एमसीसी के नियम 6.3.2 के मुताबिक़ मैच रेफ़री यह सुनिश्चित करते हैं कि मैच शुरू होने से पहले या मैच के दौरान किसी भी ब्रेक में केवल अधिकृत कर्मचारी, मैच अधिकारी, खिलाड़ी, टीम के कोच और अधिकृत टेलीविज़न कर्मियों को ही पिच के संरक्षित क्षेत्र तक पहुंचने की अनुमति दी जाएगी. साथ ही ऐसे स्थिति में कुछ नियमों का पालन करना भी अनिवार्य होगा.
- नियम 6.3.2.1 के तहत केवल कप्तान और मुख्य कोच ही खेल की वास्तविक सतह पर चल सकते हैं जैसे कि पिच एरिया (क्रीज़ के चिह्नों के बाहर).
- नियम 6.3.2.2 के मुताबिक़ टेलीविज़न कर्मियों की पिच एरिया तक पहुंच केवल एक आधिकारिक लाइसेंस प्राप्त प्रसारक के कैमरा क्रू (जिसमें एक या दो टेलीविज़न कमेंटेटर होंगे) तक सीमित रहेगी. इसमें न्यूज़ क्रू नहीं शामिल होगा.
- नियम 6.3.2.3 के अनुसार पिच पर किसी भी तरह के नुकीले जूते पहन कर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
- नियम 6.3.2.4 के मुताबिक़ पिच पर किसी को भी गेंद उछालने, बल्ले से मारने या किसी अन्य तरीक़े से पिच को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं होगी.
मैच के दौरान पिच पर चलने या दौड़ने को लेकर नियम
साथ ही मैच के दौरान खिलाड़ियों के पिच पर चलने या दौड़ने को लेकर नियम हैं. पिच को एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में बताया गया है यानी इसकी किसी भी परिस्थिति में हानि से सुरक्षा की जानी चाहिए. क्रिकेट की नियमावली के मुताबिक़ पिच के संरक्षित क्षेत्र में बार बार दौड़ने से पिच को नुकसान पहुंच सकता है पर मैच के दौरान एक खिलाड़ी रबड़ के जूते पहन कर इस पर तब तक जा सकता है, जब तक कि अंपायर को न लगे कि इससे पिच को नुकसान पहुंच रहा है. क्रिकेट के नियम 41.11 के मुताबिक़ पिच पर पॉपिंग क्रीज़ से पांच फ़ीट दूर तक दौड़ने की अनुमति होती है. साथ ही नियम के मुताबिक़ ग्राउंड अधिकारियों को दोनों टीमों के कप्तानों को अपने प्लेइंग इलेवन की घोषणा से पहले पिच के निरीक्षण करने की सुविधा देनी होती है.
पिच के रखरखाव को लेकर क्या हैं नियम?
क्रिकेट की पिच वो 22 गज की आयताकार पट्टी है जिसे मैदान के बीचों बीच खेल के लिए तैयार किया जाता है. इसे तैयार करने की ज़िम्मेदारी मैच के आयोजक बोर्ड की होती है. ओवल के मामले में इसे तैयार करने और रखरखाव का ज़िम्मा सरे क्रिकेट काउंटी को दिया गया है. इसका काम पिच पर रोलिंग, मोइंग (घास की कटाई) और पिच के ऊपर के मलबे को हटाने का होता है.
रोलिंग
मैच के दौरान और मैच की पहली पारी को छोड़कर हर पारी के शुरू होने से पहले और दूसरे दिन से पांचवें दिन तक खेल शुरू होने से पहले बल्लेबाज़ी कर रही टीम के कप्तान के अनुरोध पर अधिकतम सात मिनट के लिए पिच की रोलिंग की जाती है. इसके अलावा मैच शुरू होने से पहले अगर खेल शुरू होने में कोई विलंब हुआ तो बल्लेबाज़ी कर रही टीम पिच की रोलिंग की मांग कर सकती है. तब अगर दोनों अंपायरों को लगा कि यह मांग जायज नहीं है, यानी देरी की वजह से पिच पर कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ा है तो वो इस मांग को अस्वीकार कर देंगे. यहां यह भी बता दूं कि अगर मैदान में रोलर की संख्या एक से अधिक है तो बल्लेबाज़ी करने वाली टीम का कप्तान यह विकल्प चुन सकता है कि किस रोलर को पिच पर चलाना है. बता दें कि पिच पर तीन तरह के वजह वाले रोलर का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे हल्के रोलर का वजन 250 किलो का होता है. मध्यम आकार के रोलर का वजन 500 से 750 किलो तक का होता है. वहीं सबसे भारी रोलर का वजह 1000 किलो का होता है.
स्वीपिंग
साथ ही हर दिन रोलिंग 30 मिनट से अधिक पहले शुरू नहीं की जा सकती है. वहीं रोलिंग से पहले स्वीपिंग यानी मलबे को हटाने का काम किया जाता है. यानी यह 30 मिनट से अधिक पहले किया जाता है और मैच के दौरान ज़रूरत के मुताबिक़ जब भी अंपायर को लगे तो पिच के मलबे को बगैर किसी झाड़ू के, हाथों से हटाया जा सकता है.
मोइंग
वहीं मोइंग यानी पिच पर घास की कटाई की ज़िम्मेदारी भी अंपायरों की निगरानी में की जाएगी जिसे रोलिंग और स्वीपिंग (मलबे की सफ़ाई) से पहले पूरा किया जाएगा. वहीं किसी भी दिन आउटफ़ील्ड की मोइंग, उस दिन का खेल शुरू होने के निर्धारित समय से 15 मिनट पहले पूरी कर ली जाएगा. वहीं पिच पर मैच के दौरान पानी नहीं डाला जाएगा.
पैर से बने गड्ढे के रखरखाव के नियम
मैच के दौरान अंपायर यह सुनिश्चित करते हैं कि गेंदबाज़ या बल्लेबाज़ के पैरों से बने गड्ढे जब भी ज़रूरी हो साफ़ किए जाएं या सुखाए जाएं ताकि खेल सुविधाजनक हो. एक से अधिक दिन चलने वाली क्रिकेट के दौरान अंपायर अगर ज़रूरी समझें तो गेंदबाज़ों के रनअप के अंतिम क़दमों से बने गड्ढों को फिर से भरे जाने या ऐसा करने के लिए ज़ल्दी सूखने वाले पदार्थों के उपयोग की इजाज़त देंगे. इस दौरान अंपायर खिलाड़ियों को अपने पैर रखने की जगह को मज़बूत करने के लिए लकड़ी के बुरादे का उपयोग करने की अनुमति देंगे बशर्ते कि पिच को इससे कोई नुकसान न पहुंचे.