वर्ल्ड कप जीतने के बाद भी सोशल मीडिया पर क्यों ट्रोल हो रही हरमनप्रीत कौर? जय शाह के साथ का वीडियो बना बवाल

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए पहली बार वर्ल्ड कप जीता, लेकिन जीत की खुशी के बीच कप्तान हरमनप्रीत कौर एक अनोखे विवाद में घिर गईं. ट्रॉफी लेने के दौरान उन्होंने आईसीसी चेयरमैन जय शाह के पैर छूने की कोशिश की, जिसका वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ गई. कुछ लोगों ने इसे भारतीय संस्कृति का सम्मान बताया, जबकि कई यूजर्स ने इसे अनावश्यक चापलूसी कहकर ट्रोल किया. जीत के बीच ये विवाद सुर्खियों में आ गया.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  नवनीत कुमार
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भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वह सपना पूरा कर दिखाया, जिसका इंतज़ार आधी सदी से था. भारत ने पहली बार महिला वनडे वर्ल्ड कप जीत लिया. नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले गए फाइनल में टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर इतिहास रचा और देशभर में जश्न का माहौल बन गया.

लेकिन विडंबना देखिए, जिस कप्तान ने ट्रॉफी उठाकर भारत का सिर गर्व से ऊंचा किया, वही हरमनप्रीत कौर अब सोशल मीडिया पर ट्रोल्स के निशाने पर हैं. वर्ल्ड कप जीतकर भी वह विवाद में घिर गईं, और वजह है एक ऐसा वीडियो, जिसने इंटरनेट पर बहस छेड़ दी है.

जय शाह के पैर छूने की कोशिश की

विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई, जब हरमनप्रीत कौर जीत के बाद पोडियम पर ट्रॉफी लेने पहुंचीं. उन्होंने आईसीसी चेयरमैन जय शाह के पैर छूने की कोशिश की, हालांकि शाह ने तुरंत रोक दिया और ट्रॉफी उन्हें थमा दी. यह क्लिप जैसे ही वायरल हुई, सोशल मीडिया दो खेमों में बंट गया- एक तरफ आलोचना, दूसरी तरफ समर्थन.

क्यों झुकीं? सोशल मीडिया पर उठा सवाल

कई यूजर्स ने इसे "अनावश्यक चापलूसी" बताया. एक टिप्पणी में लिखा गया, "कप्तान देश को ट्रॉफी दिलाती है और पैर किसी के छूती है? यह खेल नहीं, राजनीति वाला सीन लग रहा है." वहीं दूसरी ओर लोगों ने इसे भारतीय संस्कार बताया और कहा, "ट्रोल करने वाले संस्कृति नहीं समझते, सम्मान हर मंच पर दिखाया जा सकता है."

शेफाली-दीप्ति ने बदली तस्वीर

भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 298 रन बनाए. शेफाली वर्मा ने 87 रन की धुआंधार पारी खेली, जबकि दीप्ति शर्मा ने अर्धशतक के साथ गेंदबाज़ी में भी कमाल करते हुए पांच विकेट झटके. जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट के शतक के बावजूद 246 रन पर सिमट गई.

इतिहास रचने वाली जीत

शेफाली वर्मा को फाइनल में ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया, जबकि दीप्ति शर्मा टूर्नामेंट की सबसे प्रभावशाली खिलाड़ी रहीं. यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि भारत 2005 और 2017 के फाइनल में हार चुका था- इस बार ‘तीसरी बार’ किस्मत नहीं, जज़्बे से जीती गई.

बहस अब खेल से आगे बढ़ गई

देश को वर्ल्ड कप दिलाने के बाद भी कप्तान को ट्रोल करना ये सवाल उठाता है कि हमारा समाज उपलब्धियों से ज्यादा 'एक्शन के क्लिप' पर क्यों अटका रहता है? जो खिलाड़ी सुनहरे अक्षरों में इतिहास लिखती है, उसे “संस्कार बनाम चापलूसी” की बहस में खींच लेना. शायद यही असली दुख है, जीत से बड़ी यह बात चुभ गई.

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