पोंटिंग की नाक में किया दम, लॉर्ड्स जीता, कपिल की बराबरी की, 37 के हो चले पर टेस्ट में वापसी की आस में नहीं लिया संन्यास

पर्थ में पोंटिंग की नाक में दम करने से लेकर लॉर्ड्स में ऐतिहासिक जीत तक, इस गेंदबाज़ के नाम है कपिल देव के साथ 100 टेस्ट खेलने वाले केवल दूसरे भारतीय तेज़ गेंदबाज़ हैं. तो भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों में कपिल देव के बाद इनका नाम ज़हीर ख़ान के साथ नंबर-2 पर आता है. उतार चढ़ाव भरे करियर में इन्होंने क्रिकेट पर जो अपनी अमिट छाप छोड़ी उसकी उन्हें वैसी पहचान कभी नहीं मिली जिसके वे हक़दार हैं.;

2008 में ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज़ों में से एक रिकी पोंटिंग को अपनी तेज़ गेंदबाज़ी के हुनर से लगातार चकमा देने से लेकर 2014 में लॉर्ड्स के मैदान पर एक ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले ईशांत शर्मा ने लंबे टेस्ट करियर में भारत के लिए कई यादगार प्रदर्शन किए हैं जिन्हें भूला नहीं जा सकता.

02 सितंबर 1988 को जन्में ईशांत शर्मा ने जब क्रिकेट को गंभीरता से खेलना शुरू किया. तब किसी को ये नहीं लगा था कि क्रिकेट की दुनिया में उनके क़दम उनकी गेंदबाज़ी की रनअप की तरह ही तेज़ी से आगे बढ़ेंगे. जब वो 18 साल के हुए घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफ़ी में डेब्यू किए तो अभी 19 के हुए भी नहीं थे कि उन्हें भारतीय टीम के लिए बांग्लादेश दौरे पर जाने का बुलावा आ गया और वहीं उन्होंने राहुल द्रविड़ की कप्तानी में डेब्यू भी किया.

जब टीम इंडिया में पड़े ईशांत के शुभ क़दम

अपने लंबे टेस्ट करियर के शुरुआती दिनों में जब वो बॉलिंग करने उतरते तो अपनी 6' 4" की लंबाई से पूर्व तेज़ गेंदबाज़ जवागल श्रीनाथ की याद दिलाते. ईशांत ने मशरफ़े मुर्तजा का विकेट चटका कर अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की पर उनके क़दम टीम के लिए बहुत शुभ रहे. उस टेस्ट में चार भारतीय बल्लेबाज़ों दिनेश कार्तिक (टेस्ट करियर का पहला), सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वसीम जाफ़र ने शतक जमाए. पहली पारी में रिकॉर्ड 492 रनों की बढ़त हासिल हुई और भारत ने 25वीं बार पारी के अंतर से जीत हासिल की.

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पंजा और ऑस्ट्रेलिया दौरा हुआ पक्का

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ घरेलू पिच पर अपने दूसरे ही मैच में पांच विकेट चटका कर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया जाने वाली भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की की तो वहां पहुंच कर उन्होंने रिकी पोंटिंग को पर्थ की विकेट के दोनों तरफ़ अपनी गेंदों पर ऐसा नचाया कि उनके भी होश उड़ गए. बेशक 74 रन और पांच विकेट चटका कर ऑलराउंड प्रदर्शन करने वाले इरफ़ान पठान भारत की उस ऐतिहासिक जीत के प्लेयर ऑफ़ द मैच रहे, पर उस टेस्ट को आज भी ईशांत के उस स्पेल के लिए याद किया जाता है जिसमें उन्होंने रिकी पोंटिंग की नाक में दम कर दिया था. यहां तक कि दोनों पारियों में ईशांत ने ही रिकी पोंटिंग को आउट भी किया. 

पोंटिंग और ईशांत का आईपीएल में साथ आना...

वही रिकी पोंटिंग साल 2024 तक आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स और ईशांत शर्मा दोनों के हेड कोच बने. दोनों एक दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं. ईशांत पर पोंटिंग ने 2024 में आईपीएल के दौरान कहा था, "वाका (पर्थ) पर मुझे उन्होने मुझसे थोड़ी मेहनत करवाई थी और आखिरकार आउट भी कर दिए थे. उन्हें कोच करना और उनके साथ काम करना बहुत सुकून भरा है, वास्तव में हम दोनों एक दूसरे के बहुत क़रीब आ गए हैं. हम एक दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं." तो ईशांत भी पोंटिंग की बहुत सराहना करते हैं. बीते साल (2024 में) ईशांत ने पोंटिंग के बारे में आईपीएल की ओर से शेयर किए गए एक वीडियो में कहा था, "उनके साथ काम करना बहुत ही अच्छा अनुभव रहा है. हम दोनों एक दूसरे की बहुत क़द्र करते हैं."

ऑस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ लगातार दमदार प्रदर्शन

ऑस्ट्रेलिया के उसी पहले दौरे पर वनडे सीबी सीरीज़ में जब ईशांत ने सबसे अधिक विकेट झटके, तभी उन्होंने भारतीय टीम में लंबे समय के लिए अपनी जगह पक्की कर ली. साथ ही टीम इंडिया को गेंदबाज़ी की शुरुआत करने के लिए ज़हीर ख़ान का एक ऐसा दमदार जोड़ीदार मिल गया जो लंबी रेस का घोड़ा था और उसे अभी अगले डेढ़ दशक तक विकेटों का अंबार लगाना था. उसी साल के अंत में ऑस्ट्रेलियाई टीम जब भारत के दौरे पर आई तो ईशांत ने एक बार फ़िर धमाल मचाया. इस बार पोंटिंग के साथ-साथ माइकल क्लार्क और शेन वाटसन भी उनकी गेंद को पढ़ने में एक से अधिक बार नाकाम रहे. ईशांत ने सीरीज़ में 15 विकेट चटकाए.

टखना हुआ चोटिल और फ़ॉर्म ने छोड़ा साथ

अभी ईशांत को भारतीय टीम में आए डेढ़ साल हुए थे कि आश्चर्यजनक रूप से उन्होंने अगले दो सीज़न में अपनी गति खो दी, उनकी छोटी और गुड लेंथ वाली गेंदों का पैनापन कम हो गया. 2011 के दिसंबर से 2012 के जनवरी तक ईशांत ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर फ़िर गए, पोंटिंग का विकेट भी चटकाए पर 2008 वाली धार उनमें नहीं दिखी. इस दौरान उनका बायां टखना उन्हें परेशान करता रहा जिसकी वजह से उसी साल मार्च में उन्हें टखने के ऑपरेशन से गुज़रना पड़ा और चयनकर्ताओं ने उन्हें लंबा आराम भी दिया. दिसंबर 2012 में जब ईशांत टीम में लौटे तो उनकी धार कुंद हो चुकी थी.

ऑकलैंड और लॉर्ड्स पर मचाया धमाल

गेंदबाज़ी में नए चेहरों की कमी और पुराने प्रदर्शन की बदौलत ईशांत कुछ समय तक टीम में बने रहे और फ़िर 2014 का न्यूज़ीलैंड और इंग्लैंड दौरा आया. ऑकलैंड टेस्ट में ईडन पार्क पर ईशांत ने नौ विकेट लिए तो अगले ही मुक़ाबले में बेसिन रिज़र्व में छह किवी बल्लेबाज़ों को आउट किए. चार महीने बाद जब इंग्लैंड पहुंचे तो उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान पर भारत की जीत में अपना करियर बेस्ट प्रदर्शन किया और सात विकेट चटकाए. सही मायने में 2008 के बाद साल 2014 ईशांत के करियर का स्वर्णिम वर्ष था.

फ़िर हुए चोटिल, वनडे करियर पर लगा ग्रहण

उसी साल के अंत में जब ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर गए तो उन्होंने ब्रिसबेन टेस्ट में छह विकेट लिए पर मेलबर्न के बॉक्सिंग डे टेस्ट में ईशांत फ़िर चोटिल हो गए. फ़िर उनका घुटना ही चोटिल हुआ था और उस दौरे पर सिडनी में अंतिम टेस्ट ईशांत नहीं खेल सके. ईशांत की यह चोट नेट में प्रैक्टिस में उतरने की वजह से और भी ख़राब हो गई और फ़रवरी 2015 में उन्हें पूरी सीरीज़ और फ़िर बाद में 2015 के वनडे वर्ल्ड कप टीम से बाहर होना पड़ा. यह चोट कितनी घातक थी कि ईशांत जब उबर कर टीम में लौटे तो इसके अगले साल 2016 में ऑस्ट्रेलिया में उनके सफ़ेद गेंद वाला अंतरराष्ट्रीय करियर हमेशा के लिए ख़त्म हो गया.

वापसी की तो करियर बेस्ट परफ़ॉर्मेंस दी

लेकिन मोहम्मद शमी और उमेश यादव जैसे गेंदबाज़ों के उभरने के बावजूद ईशांत की टेस्ट मैचों में वापसी अच्छी तेज़ी के साथ हुई. 2018 में इंग्लैंड सीरीज में ईशांत ने 18 विकेट लिए तो उसके बाद ऑस्ट्रेलिया में पहले तीन टेस्ट मैचों में 11 बल्लेबाज़ों को आउट किए. इन तीन में दो टेस्ट जीत कर भारत ने कंगारुओं की धरती पर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. 2018 ईशांत के करियर का दूसरा सबसे अच्छा साल था, तब उन्होंने 22 से कम की औसत से 11 टेस्ट मैचों में 41 विकेट लिए थे. 2019 में उनका औसत महज़ 15 का रहा. इसी के साथ ईशांत ने 2019 में वेस्ट इंडीज़ और बांग्लादेश के दौरे के लिए अपनी जगह पक्की की.

कोविड और फ़िर हुए चोटिल तो टेस्ट का दरवाज़ा भी हुआ बंद

लेकिन फ़िर कोविड आया और यूएई में आईपीएल के दौरान ईशांत को पसली की ऐसी चोट लगी कि उन्हें आईपीएल के उस सीज़न से बाहर होना पड़ा. उसी साल अर्जुन अवार्ड से भी नवाजे गए पर उसी साल ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर बॉक्सिंग डे टेस्ट में जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी का साथ देने मोहम्मद सिराज पहली बार उतरे और उस दौरे पर खेले गए तीन टेस्ट मैचों में 13 विकेट चटका कर सिराज ने ईशांत के लिए टेस्ट का दरवाज़ा भी लगभग बंद कर दिया. फ़रवरी 2021 में ईशांत ने अपना 100वां टेस्ट मैच खेला. उसी साल लॉर्ड्स पर जब भारतीय टीम को ऐतिहासिक जीत मिली तो सिराज ने दोनों पारियों में चार-चार विकेट चटकाए, पर ईशांत को कुल पांच विकेट ही मिले और अगले दो टेस्ट मैचों में जब ईशांत को कोई विकेट नहीं मिला तो टेस्ट टीम में भी उनके लिए दरवाज़ा हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गया.

37 के हुए पर आईपीएल में अब भी एक्टिव

104 टेस्ट खेल चुके ईशांत शर्मा ने अब तक क्रिकेट से संन्यास लेने का एलान नहीं किया है और महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा और अजिंक्य रहाणे जैसे उन किक्रेटर्स में शामिल हैं जो 2008 से ही आईपीएल में खेल रहे हैं. 37 साल के हो चुके ईशांत भले ही आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं पर वो पूर्व कप्तान कपिल देव के बाद टीम इंडिया के लिए 100 से अधिक टेस्ट खेलने वाले अकेले गेंदबाज़ हैं. सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले, ज़हीर ख़ान और महेंद्र सिंह धोनी की मौजूदगी में टेस्ट डेब्यू करने वाले ईशांत शर्मा दुनिया के उन गिने चुने गेंदबाज़ों में शामिल हैं जिन्हें टेस्ट क्रिकेट में 3000 से अधिक ओवर डालने का अनुभव है. तो तेज़ गेंदबाज़ों में विकेट चटकाने के मामले में ईशांत 311 विकेट लेकर कपिल देव के बाद दूसरे पायदान पर ज़हीर ख़ान के साथ मौजूद हैं.

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