12 उंगलियां, एक ओवर में छह छक्के, 365 रन, गावस्कर बने लकी मैस्कट, दोस्त की मौत और शराब से नाता, कहानी सर गैरी सोबर्स की
सर गैरी सोबर्स क्रिकेट इतिहास के सबसे महान ऑलराउंडर्स में गिने जाते हैं. बचपन से ही असाधारण प्रतिभा के धनी सोबर्स ने 365 रनों की ऐतिहासिक पारी, एक ओवर में छह छक्के, और टेस्ट में 8000+ रन जैसे रिकॉर्ड बनाए. जिनके लिए गावस्कर लिए लकी मैस्कट बने, लेकिन दोस्त की मौत और शराब की लत ने उन्हें झकझोरा. बाएं हाथ से तेज और स्पिन गेंदबाजी करने वाले सोबर्स को आज भी क्रिकेट का जादूगर माना जाता है.;
1936 में क्रिकेट का एक ऐसा नायाब तारा पैदा हुआ जिसके कारनामे सात समंदर पार दुनिया के हर उस देश में सुने और सराहे गए जहां क्रिकेट एक खेल के रूप में मशहूर था. ऐसे खिलाड़ी बहुत ही कम पैदा होते हैं. वो एक ऐसे करिश्माई खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने संन्यास के पहले क्रिकेट के बहुत से रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था. लोगों ने समझने की कोशिश की कि - आखिर उनमें ऐसा क्या था? कुछ ने कहा - "वो अपने हाथों में छह उंगलियों के साथ पैदा हुए थे!" जिसका ज़िक्र ख़ुद उन्होंने अपनी जीवनी में किया है.
वो लिखते हैं कि "निश्चित रूप से बहुत से लोग यह दावा करते हैं कि मेरी क़िस्मत इसीलिए बहुत अच्छी थी, क्योंकि मेरे हाथों में दो उंगलियां ज़्यादा थी." तो कुछ कहते हैं कि - "बचपन में वो पुराने फटे गेंदों से खेलते थे, जो टप्पा खाने के बाद किस दिशा में घूमेंगी उसका अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल होता था.” उन घूमती गेंदों पर किए गए कड़े अभ्यास में जमाए गए सैकड़ों चौके-छक्के और चटकाए गए स्टंप्स ने उन्हें एक ऐसा हरफ़नमौला क्रिकेटर बना दिया जिन्हें पिछले 70 सालों से दुनिया सर गैरी सोबर्स के नाम से जानती है.
पहला शतक ही रिकॉर्ड तोड़ ट्रिपल सेंचुरी (365 रन)
वेस्ट इंडीज़ के इस दिग्गज खिलाड़ी ने सिर्फ़ 17 साल की उम्र में 9वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने के साथ, टेस्ट क्रिकेट में अपना क़दम रखा. डेब्यू के बाद हालांकि उनकी बैटिंग पोजिशन ऊपर की ओर बढ़ती गई पर शुरुआती 16 टेस्ट मैचों में उनके बल्ले से एक भी शतक नहीं निकला. लेकिन चार साल बाद पाकिस्तान की टीम जब वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर आई तो गैरी सोबर्स का बल्ला ऐसा चला जो क्रिकेट के मैदान पर उससे पहले कभी नहीं देखा गया था. तब सोबर्स केवल 21 साल के थे और उन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ नाबाद 365 रन अकेले ही बना दिए. ये तब टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड था, जो अगले 36 सालों तक उनके ही नाम पर बना रहा... बाद में उनकी ही टीम के एक और महान क्रिकेटर ब्रायन लारा ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड अपने नाम किया. ये सोबर्स का पहला टेस्ट शतक था. और पहले शतक में ही उन्होंने क्रिकेट के रिकॉर्ड बुक को ऐसा बदल दिया कि पूरी दुनिया की निगाहें उन पर जम गईं. और सोबर्स ने उनके प्रदर्शन पर नज़रें रखने वालों को निराश भी नहीं किया.
टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रन का रिकॉर्ड
अगले ही मैच में सोबर्स ने दोनों पारियों में शतक जमा दिया तो आठ महीने बाद जब पांच टेस्ट मैचों की सिरीज़ खेलने भारत पहुंचे तो वहां तीन और शतक अपने नाम किया. फिर इस महान खिलाड़ी ने पीछे मुड़ कर कभी नहीं देखा. सोबर्स ने एक एक कर अपने शतकों की संख्या 26 तक पहुंचाई तो 8000 रन बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज़ बने. जब वो क्रिकेट से रिटायर हुए तो टेस्ट मैचों का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर और सबसे अधिक रन का रिकॉर्ड सर गैरी सोबर्स के नाम ही दर्ज था. सोबर्स न केवल एक शानदार बल्लेबाज़ थे वो तेज़ गेंदबाज़ी के साथ-साथ टेस्ट मैचों में दोनों तरह की स्पिन गेंदबाज़ी भी किया करते थे. तो फ़ील्डिंग भी उनकी उतनी ही जबरदस्त थी. एक इंसान में इतनी खूबियां - जैसे क्रिकेट के हर रोल के लिए ऊपर वाले ने उन्हें नायाब हुनर से तराशा हो.
Image Credit: Garry Sobers My Autobiography
जब गावस्कर को छूते ही शतक जमाते थे सोबर्स
सोबर्स न केवल प्रतिभा के धनी थे बल्कि क्रिकेट के मैदान पर लगातार एकसमान प्रदर्शन करना उनकी आदत में शुमार था. सुनील गावस्कर अपनी किताब ऑइडल्स में लिखते हैं, "1971 में मैं पहली बार वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर था. मैंने वहां अपने दूसरे टेस्ट में शतक जमा दिया था. सोबर्स तब वेस्ट इंडीज़ के कप्तान थे और शुरुआत तीन पारियों में उनका बल्ला खामोश रहा. तो जब मैंने शतक जमा दिया तो वो मेरे पास आए और बोले, "अरे भाई, मैं ज़रा तूझे छू लूं, शायद तुम्हारी किस्मत का असर मुझ पर भी हो जाए." जिन गैरी सोबर्स के बल्ले से पिछले दो सालों से कोई शतक नहीं निकला था, उन्होंने उसी पारी में शतक जमाया और फिर अगले दोनों टेस्ट मैचों में भी सेंचुरी जड़ दी.
बचपन से ही नहीं रहा पिता का साया
सोबर्स जब केवल पाँच साल के थे, तब जर्मनों ने उनके पिता की नाव को एक हमले में डुबो दिया था. क्रिकेट सोबर्स का पहला शौक़ था जो जुनून बन गया. वह आठ साल के थे जब बारबाडोस के वांडरर्स ग्राउंड में स्कोरबोर्ड पर स्कोरिंग किया करते थे. स्कोरिंग करने की वजह से सोबर्स ने उस दौर के सभी महान क्रिकेटर्स को अपनी आंखों के सामने खेलते देखा, जिनमें तब थ्री डब्ल्यू के नाम से मशहूर वेस्ट इंडीज़ के क्रिकेटर फ़्रैंक वारेल, क्लाइड वालकॉट और एवर्टन वीक्स शामिल थे. सोबर्स के करियर पर फ्रैंक ग्रांट और बर्गेस ग्रैंडिसन का बहुत असर था. सोबर्स वान्डरर्स की पिच तैयार करने में उन दोनों की मदद करते थे जिसके बदले में उन्हें मैदान पर खेलने की अनुमति मिल जाती थी. ये बर्गेस ही थे जिन्होंने वेस्टइंडीज़ के कप्तान डेनिस एटकिंसन को तब सोबर्स की नैसर्गिक क्षमता से परिचित कराया, और एटकिंसन ने सोबर्स को अपने साथ प्रैक्टिस करने का मौक़ा दे दिया.
एक ओवर की सभी छह गेंदों पर छक्के का रिकॉर्ड
सत्तर के दशक में जब सोबर्स पहली बार इंग्लैंड की काउंटी क्लब के लिए क्रिकेट खेले तब वो 32 साल के हो चुके थे और अपने पहले ही सीज़न में ग्लैमरगन के ख़िलाफ़ उन्होंने एक ओवर में छह दनदनाते छक्के जमाने का कारनामा किया था. फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट के इतिहास में ऐसा उससे पहले कभी नहीं देखा गया था. कि किसी बल्लेबाज़ ने एक ओवर की सभी गेंदों पर छक्के लगाए हों.
पाकिस्तान में लिया गया 365 रनों का बदला
365 रनों की पारी खेलने के बाद जब अगले साल सोबर्स टेस्ट सिरीज़ खेलने पाकिस्तान पहुंचे तो वहां उन्हें ख़राब अंपायरिंग का सामना करना पड़ा. सर गैरी सोबर्स अपनी आत्मकथा गैरी सोबर्सः माइ ऑटोबायोग्राफ़ी में लिखते हैं- "कराची टेस्ट की पहली पारी में फ़ज़ल महमूद की गेंद लेग स्टंप के बाहर पैड पर लगी थी लेकिन अंपायर ने मुझे एलबीडब्ल्यू दे दिया. मैं हैरान था पर मैंने कुछ नहीं कहा. फ़िर जब दूसरी पारी में फ़ज़ल महमूद की गेंद बल्ले का किनारा लेती हुई लेग स्लिप में खड़े एजाज़ बट के पास एक टप्पा खा कर गई और फ़ज़ल महमूद की अपील पर अंपायर ने मुझे आउट दे दिया तो मुझे फिर बहुत हैरानी हुई." "मुझे याद है कि तब नॉन स्ट्राइक एंड पर खड़े कॉली स्मिथ ने फ़ज़ल महमूद से गुस्से में कुछ कहा था. मैं ड्रेसिंग रूम में आया और अपना बैग तैयार करने लग गया, क्योंकि मैं वेस्ट इंडीज़ वापस जाना चाहता था." सोबर्स लिखते हैं, "पाकिस्तानी टीम के कुछ खिलाड़ियों ने मुझे पहले ही बता दिया था, कि उन्हें पता था कि मेरे साथ यह सब कुछ होने वाला था. वास्तव में, वो मेरे करियर की सबसे ख़राब अंपायरिंग थी."
जिगरी दोस्त की मौत से पड़ी शराब की लत
पाकिस्तान में नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े कॉली स्मिथ वास्तव में सर गैरी सोबर्स के जिगरी यार थे. उन दोनों की दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं. 1959 में पाकिस्तान के उस दौरे के बाद उसी साल एक सड़क दुर्घटना में कॉली स्मिथ की मौत हो गई. दुर्घटना जिस कार से हुई थी वो ख़ुद सोबर्स चला रहे थे. सितंबर 1959 को उस दुर्घटना वाले दिन ये दोनों दोस्त और अपने एक और साथी ड्यूडनी के साथ काउंटी मैच खेल कर वापस लंदन लौट रहे थे. तब सुबह के पांच बज रहे थे और अचानक सामने से मवेशियों से भरी एक ट्रक की तेज़ रोशनी से स्टीयरिंग पर उनकी पकड़ ढीली हुई और ये दुर्घटना हो गई. सोबर्स के दोनों साथी कार से बाहर गिर गए. सोबर्स ने कॉली स्मिथ से पूछा- “लिटिल मैन कैसे हो?” तो उन्होंने जवाब दिया- “मैं ठीक हूं, आप बिग मैन ड्यूडनी को देखो.” लेकिन कॉली स्मिथ अधिक चोटिल थे, उनकी रीढ़ की हड्डी में ऐसी चोट लगी थी कि तीन दिन बाद ही वो चल बसे. सोबर्स को इतना गहरा सदमा पहुंचा कि इससे उबरने में उन्हें काफ़ी समय लग गया और वो बहुत अधिक शराब पीने लगे. अपने जिगरी दोस्त की मौत के लिए वो ख़ुद को ज़िम्मेदार समझते रहे.
जब लॉर्ड्स में शराब में धुत होकर बना दिए डेढ़ सौ रन
सोबर्स का शराब से उनके क्रिकेट करियर के अंत तक नाता बना रहा. 1973 में जब सोबर्स 37 साल के हो चुके थे तब का एक वाकया है. विदेशी धरती पर अपने अंतिम टेस्ट मैच के दौरान लॉर्ड्स में जब सोबर्स दिन का खेल ख़त्म होने के बाद 31 रन पर नाबाद लौटे तो क्लाइव लॉयड ने उनसे नाइट आउट के लिए पूछा. अपना पूरा जीवन ज़िंदादिली से जीने वाले सोबर्स ने तुरंत हां कर दिया. दोनों लंदन में रहने वाले गयाना के एक फ़्रेंड के घर गए और फ़िर एक पूर्व ऑफ़ स्पिनर रेग स्कारलेट के साथ नाइटक्लब में पहुंचे. फिर शराब और नाच-गाने की पार्टी रात भर चलती रही. अगली सुबह उन्हें वापस पिच पर उतरना था... लेकिन भोर हो चुकी थी... तो सोबर्स सोए नहीं. उन्होंने स्कारलेट से कहा कि मैंने इतनी पी ली है कि अगर मैं सोने गया तो बैटिंग के लिए उठ ही नहीं पाउंगा.
सोबर्स वापस पहुंच कर नहाए और पैड पहन कर बैटिंग करने उतर गए. इंग्लैंड के तूफ़ानी गेंदबाज़ बॉब विलिस, सोबर्स को गेंद डालने आए. शुरुआती पांच गेंद सोबर्स बिल्कुल खेल नहीं सके. पर छठी गेंद उनके बल्ले के बीचों बीच लगती हुई बाउंड्री के पार छक्के के लिए गई. फिर तब तक उनके बल्ले से रन बरसते रहे जब तक कि वो 132 के स्कोर पर नहीं पहुंचे. इस स्कोर पर वो वाशरूम जाने के लिए पवेलियन लौटे. वहां उन्होंने फिर ब्रांडी पी, लौट कर पिच पर आए फिर उस पारी में नाबाद 150 रन बना कर लौटे.
शराब पीना और पीकर इस तरह खेलने उतरना कहीं से भी आदर्श स्थिति नहीं है और हम इसका समर्थन नहीं करते. पर इस वाकये का ज़िक्र केवल इसलिए कि यह गैरी सोबर्स की उस प्रतिभा के बारे में बता सके जिसके पीछे वर्षों की कड़ी तपस्या शामिल थी. अब 89 साल के हो चुके सोबर्स को आज भी क्रिकेट के महानतम ऑलराउंडर के रूप में याद किया जाता है और जब भी भारतीय टीम वेस्ट इंडीज़ जाती है तो हमारे खिलाड़ी सम्मान के रूप में उनसे ज़रूर मुलाक़ात करते हैं.