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ओलंपिक में क्रिकेट कैसे शामिल किया गया? बहुत मज़ेदार है भुला दिए गए उस मुक़ाबले की कहानी

1900 के पेरिस ओलंपिक में क्रिकेट पहली और आखिरी बार खेला गया था, जिसमें इंग्लैंड और फ्रांस की 12-12 खिलाड़ियों की टीमों ने भाग लिया. यह मैच दो दिनों तक चला और इंग्लैंड ने 158 रन से जीत दर्ज की. फ्रांस की टीम में ज़्यादातर खिलाड़ी इंग्लैंड के प्रवासी थे और दोनों टीमों में केवल दो खिलाड़ियों को ही फ़र्स्ट क्लास अनुभव था. अब 128 साल बाद 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में क्रिकेट की वापसी हो रही है, जो इसे फिर से ओलंपिक मंच पर लाएगा।

ओलंपिक में क्रिकेट कैसे शामिल किया गया? बहुत मज़ेदार है भुला दिए गए उस मुक़ाबले की कहानी
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( Image Source:  Social Media )
अभिजीत श्रीवास्तव
By: अभिजीत श्रीवास्तव

Updated on: 17 July 2025 4:51 PM IST

Paris Olympics 1900 cricket : 12 खिलाड़ियों की दो टीमें दो दिनों तक पेरिस के साइक्लिंग स्टेडियम में भिड़ीं और तय हो गया ओलंपिक की क्रिकेट प्रतिस्पर्धा का विजेता. इस मुक़ाबले में दो अर्धशतक और पांच विकेट लेने का दो बार कारनामा भी किया गया. यह ओलंपिक में पहली बार खेले गए क्रिकेट मैच का एकमात्र उदाहरण है. 24 खिलाड़ियों ने चार पारियों में कुल 366 रन बनाए, लेकिन यह कम स्कोर वाला मैच चूंकि साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में खेला गया था, इस वजह से उसने क्रिकेट के इतिहास में अपनी ख़ास जगह बना ली. यह मैच इंग्लैंड और फ़्रांस के बीच खेला गया था. इन 24 खिलाड़ियों में से किसी को भी अपने देश की टीम का प्रतिनिधित्व करने का अनुभव नहीं था.

महज संयोग की बात है कि उस साल पेरिस में खेले गए इस मैच के अलावा कोई और अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबला नहीं खेला गया था. इस मैच में भी 11 की जगह 12 खिलाड़ियों वाली टीमें आपस में भिड़ी थीं और यह मैच दो दिनों के लिए ही निर्धारित था. लिहाजा इसे फ़र्स्ट क्लास मैच का दर्जा भी नहीं हासिल है.

साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में क्रिकेट कैसे शामिल हुआ?

दरअसल, एथेंस में 1896 में खेले गए पहले ओलंपिक खेलों में ही क्रिकेट को शामिल करने की योजना थी, लेकिन आमंत्रित टीमों की ओर से समुचित भागीदारी नहीं हो सकी इसलिए इस योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. फ़िर चार साल बाद जब पेरिस में क्रिकेट खेलने के लिए चार टीमों इंग्लैंड, फ़्रांस, बेल्जियम और हॉलैंड को आमंत्रित किया गया, तो उस आयोजन में भी केवल ग्रेट ब्रिटेन और फ़्रांस के बीच ही मैच खेला जा सका क्योंकि हॉलैंड और बेल्जियम की टीमों ने इस खेल के लिए एंट्री ही नहीं ली.

आश्चर्य की बात तो यह है कि तब साल 1877 से ही टेस्ट क्रिकेट खेली जा रही थी और इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया आपस में 64 टेस्ट मैच खेल भी चुके थे, फिर भी ऑस्ट्रेलिया की टीम को इन खेलों के लिए आमंत्रित नहीं किया गया. तब ओलंपिक को ‘ओलंपिक’ का नाम नहीं दिया गया था

मई से अक्टूबर तक चली प्रतिस्पर्धाएं

साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में प्रतिस्पर्धाएं मई से अक्टूबर के महीने तक 16 अलग-अलग जगहों पर आयोजित की गई थीं. उस दौरान ओलंपिक शब्द का इस्तेमाल भी शायद ही किया गया था. 1900 के गेम्स को ग्रेट एक्सप्लोरेशन या वर्ल्ड फ़ेयर का नाम दिया गया था. तब इसके लिए कोई मेडल भी नहीं दिए गए थे. जीतने वालों को ट्रॉफ़ी या प्रमाण स्वरूप चिह्न दिए गए थे. वहीं एक प्रतिस्पर्धा फेंसिंग (तलवारबाज़ी) के लिए कैश अवार्ड रखे गए थे क्योंकि उसमें सभी प्रोफ़ेशनल खिलाड़ी शामिल थे. मीडिया के जिन अख़बारों ने इन खेलों को कवर किया, उन्होंने इसे 'इंटरनेशनल चैंपियनशिप', 'इंटरनेशनल गेम्स', 'पेरिस चैंपियनशिप' और 'ग्रैंडप्रिक्स ऑफ़ द पेरिस एक्सपोजिशन' के नाम से छापा.

टीम का चयन और मैच के पहले के मज़ेदार पल

उसी दौरान 19 और 20 अगस्त को दो दिवसीय क्रिकेट मैच आयोजित किया गया. यह मुक़ाबला इंग्लैंड और फ़्रांस के बीच खेला गया. इंग्लैंड की टीम उनकी राष्ट्रीय स्तर पर चयन की गई टीम नहीं थी, बल्कि फ़्रांस के दौरे पर निकली एक क्लब टीम थी, जिसका नाम ‘डेवोन ऐंड समरसेट वांडरर्स’ था. हालांकि किसी क्लब टीम का राष्ट्रीय टीम के तौर पर प्रतिनिधित्व करना तब इंग्लैंड के लिए अजूबा नहीं था, क्योंकि रग्बी, फ़ुटबॉल, वाटर पोलो जैसे खेलों में ऐसा पहले भी हो चुका था.

मजेदार थी चयन प्रक्रिया

डेवोन ऐंड समरसेट वांडरर्स में शामिल होने की चयन प्रक्रिया भी बहुत मजेदार थी. बस ये तय किया गया कि जो शख़्स दो हफ़्ते की छुट्टी लेकर फ़्रांस जाने में सक्षम है, उन्हें फ़्रांस जाने वाली टीम में शामिल किया गया. क्रिकेट की तरह ही कई अन्य खेलों को ओलंपिक समिति ने ओलंपिक खेलों में शामिल किया लेकिन वो एक ही ओलंपिक में शामिल रहे और फिर कभी दोबारा खेलों के इस महाकुंभ की ओर रुख़ नहीं कर सके. इनमें क्रिकेट के अलावा मोटरसाइकिल रेस, बैलूनिंग, क्रॉकेट, पेलोता, अंडरवाटर स्विमिंग, तैराकी में बाधा दौड़ आदि.

इंग्लैंड के ही प्रवासी थे फ़्रांस की टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी

फ़्रांस की टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी इंग्लैंड के ही प्रवासी थे, जो आइफ़िल टावर पर काम करते थे. दोनों टीमों में से केवल दो खिलाड़ी उस मैच से पहले फ़र्स्ट क्लास मैचों का अनुभव था. इंग्लैंड के कप्तान सीबीके ब्रीचक्रॉफ़्ट थे तो फ़्रांस की अगुवाई फिलिप टोमालिन के नेतृत्व में खेल रही थी. दोनों कप्तानों ने निर्णय लिया कि हर एक टीम में 11 की जगह 13 खिलाड़ी होंगे और यह फ़ैसला इतनी देर से लिया गया कि प्रिंट करवाए जा चुके स्कोरकार्ड पर 12वें खिलाड़ी को सबसे नीचे कलम से जोड़ना पड़ा.

मैच में क्या हुआ?

टॉस जीत कर इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी की. पहली पारी में इंग्लैंड की ओर से फ़्रेडरिक कमिंग ने सबसे अधिक 38 रन बनाए. वहीं, फ़्रांस की तरफ से डब्ल्यू एंडरसन ने चार विकेट चटकाए. इंग्लैंड की टीम पहली पारी में केवल 117 रन बना सकी. इसके जवाब में फ़्रांस ने 78 रन बनाए. इंग्लैंड के फ़्रेडरिक क्रिश्चियन ने फ़्रांस के सात बल्लेबाज़ों को आउट किया. दूसरी पारी में इंग्लैंड ने पांच विकेट पर 145 रन बनाकर अपनी पारी घोषित कर दी. इंग्लैंड की इसी पारी में कप्तान बीचक्रॉफ़्ट ने 54 और एलफ़्रेड बोवरमैन ने 59 रन बनाए. फ़्रांस की दूसरी पारी केवल 26 रनों पर सिमट गई और इंग्लैंड के मॉन्टागु टोलर ने सात बल्लेबाज़ों को आउट किया. आखिर दो दिनों तक चले उस मैच में खेल ख़त्म होने से ठीक पांच मिनट पहले इंग्लैंड ने फ़्रांस को 158 रनों से हरा दिया.

दिलचस्प बात ये है कि जीतने वाली इंग्लैंड की टीम को तब सिल्वर और फ़्रांस को ब्रॉन्ज प्रतीक और साथ में प्रतीक चिह्न के रूप में उन्हें एक बहुत छोटा आइफिल टावर दिया गया. हालांकि बाद में उनके पदकों को गोल्ड और सिल्वर से बदल दिया गया, साथ ही इस प्रतियोगिता को 1912 में आधिकारिक ओलंपिक आयोजन का दर्जा हासिल हो गया.

1900 के पेरिस ओलंपिक के बाद 1904 के सेंट लुई ओलंपिक खेलों से क्रिकेट को अंतिम समय पर हटाना पड़ा, क्योंकि इसमें शामिल होने के लिए टीमें नहीं जुट सकीं. अब 128 साल बाद 2028 में लॉस एंजेलिस में होने जा रहे ओलंपिक खेलों में क्रिकेट की वापसी हो रही है.

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