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इंग्‍लैंड में शानदार प्रदर्शन के बाद 'चने के झाड़' पर न चढ़ जाएं शुभमन गिल, कप्‍तानी में करना है धमाका तो करें इन चार चीजों पर फोकस

इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज़ ड्रॉ कर टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें शुभमन गिल की बल्लेबाज़ी और नेतृत्व सराहनीय रहा. गिल ने चार शतक जड़े, लेकिन कप्तानी में अनुभव की कमी दिखी. विशेषज्ञों ने सुझाव दिए कि उन्हें स्पष्ट रणनीति, निर्णय लेने की क्षमता, खिलाड़ियों से संवाद, और आक्रामक कप्तानी पर ध्यान देना होगा. अगर गिल इन चार बिंदुओं पर फोकस करते हैं तो वे भविष्य में एक सफल कप्तान बन सकते हैं.

इंग्‍लैंड में शानदार प्रदर्शन के बाद चने के झाड़ पर न चढ़ जाएं शुभमन गिल, कप्‍तानी में करना है धमाका तो करें इन चार चीजों पर फोकस
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( Image Source:  ANI )

इंग्लैंड में ओवल के अंतिम टेस्ट मैच में टीम इंडिया ने जिस तरह से मुक़ाबले में वापसी की उसकी सराहना न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी क्रिकेट के कई जानकार कर रहे हैं. तेंदुलकर-एंडरसन टेस्ट सिरीज़ की पहली ट्रॉफ़ी भले ही 2-2 की बराबरी पर छूटी पर पूरा देश जश्न मना रहा है क्योंकि जिस सिरीज़ से पहले व्हाइटवॉश यानी कि 0-5 से हारने का अनुमान लगाया जा रहा था और शुभमन गिल के नए नेतृत्व में बिल्कुल भी विश्वास नहीं जताया जा रहा था उसने सिरीज़ को ड्रॉ करने का कमाल किया है.

सचिन तेंदुलकर से लेकर सौरव गांगुली तक सभी टीम इंडिया और गिल की कप्तानी की तारीफ़ों के पुल बांध रहे हैं. बेशक टीम इंडिया और गिल तारीफ़ों के हक़दार हैं पर अभी उन्हें कई ऐसी चीज़ें हैं जिनपर फ़ोकस करना होगा ताकि भविष्य में होने वाली टेस्ट सिरीज़ टीम इंडिया केवल ड्रॉ नहीं बल्कि क्लिनस्वीप करे. चलिए पहले देखते हैं कि सचिन और सौरव क्या कह रहे हैं?

गिल की तारीफ़ में सचिन क्या बोले?

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने शुभमन गिल की भरपूर तारीफ़ की. वे बोले, “शुभमन ने पूरी सिरीज़ में शानदार बल्लेबाज़ी की है. वो ठहराव के साथ, शांत रहते हुए पूरी योजना के साथ बल्लेबाज़ी करते हैं. उनकी सोच उनके फ़ुटवर्क में नज़र आई.” सचिन ने ये भी कहा, “इसी दौरे के साथ शुभमन गिल के कप्तानी करियर की शुरुआत हुई, जो बहुत ही यादगार रही है, क्योंकि इंग्लैंड में 5 मैचों की सिरीज़ को 2-2 से बराबर कर पाना अपने आप में बड़ी बात है.”

सौरव गांगुली ने क्या कहा?

गिल की तारीफ़ सौरव गांगुली जैसे पूर्व कप्तान भी कर रहे हैं जो 18 साल पहले इंग्लैंड में उस टीम इंडिया में शामिल थे जिसने वहां आखिरी बार टेस्ट सिरीज़ जीती थी. इंग्लैंड के दौरे पर मिली कामयाबी के बाद गांगुली ने एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में कहा, भारत ने इंग्लैंड में शानदार प्रदर्शन किया है. मैनेचेस्ट में दूसरी पारी में टीम का स्कोर शून्य पर दो विकेट था, वहां से मैच ड्रॉ किया. और फिर ओवल में सिरीज़ बराबरी की, यह बहुत ही मजबूत प्रदर्शन का संकेत है. यह एक युवा टीम है. गिल औऱ गंभीर एक युवा टीम के साथ इंग्लैंड गए थे, वहां सभी को शानदार प्रदर्शन करते देखा. मुझे नहीं लगता कि 2002 या 2007 के बाद भारत के टॉप छह बल्लेबाज़ों ने इंग्लैंड में कभी इतना शानदार प्रदर्शन किया है. चाहे ख़ुद कप्तान शुभमन गिल हों या केएल राहुल, यशस्वी जायसवाल हों या पंत या फिर रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर; इन सब ने पांच टेस्ट मैचों में इतनी शानदार बल्लेबाज़ी की है कि उसे देखकर दिल ख़ुश हो गया.”

Image Credit: ANI

इंग्लैंड में टीम इंडिया के बल्लेबाज़ों की ज़ोरदार कामयाबी

गांगुली तारीफ़ कर रहे हैं तो उसकी वजह (साई सुदर्शन और करुण नायर को छोड़कर) सभी टॉप बल्लेबाज़ों और ऑलराउंडरों का वहां शतक जमाना है. यह एक ऐसा मुकाम है जो इंग्लैंड के पिछले चार दौरे में हासिल नहीं किया जा सका, फिर चाहे वह 2011 और 2014 में एमएस धोनी की कप्तानी में हो या 2018 और 2021 में विराट कोहली की कप्तानी में, ऐसी कामयाबी देखने को नहीं मिली. 2011 में राहुल द्रविड़ अकेले भारतीय थे जिनके बल्ले से (तीन) शतक निकला था. 2014 में अजिंक्य रहाणे और मुरली विजय ने कुल दो शतक जमाए थे. 2018 में विराट कोहली ने दो शतक तो पंत, राहुल और पुजारा ने एक-एक शतक बनाए थे. 2021 में रोहित शर्मा, केएल राहुल, ऋषभ पंत और रवींद्र जडेजा ने शतक जमाए थे. वहीं 2025 में अकेले चार शतक तो कप्तान गिल ने जमाए हैं जबकि ऋषभ पंत, केएल राहुल और यशस्वी जायसवाल ने दो-दो, तो रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने एक-एक शतक जमाया है. यानी इंग्लैंड के पिछले चार दौरे में जहां भारतीय बल्लेबाज़ों ने कुल 14 शतक जमाए थे वहीं अकेले 2025 में टीम इंडिया के शतकों की संख्या 12 है.

सॉलिड बल्लेबाज़, पर कप्तान गिल अभी कच्चे हैं

बेशक बल्लेबाज़ गिल ने इंग्लैंड में धूम मचा दी है, पर कप्तान गिल को अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है. रोहित शर्मा के संन्यास ले लेने की वजह से गिल को अचानक कप्तानी का भार सौंप दिया गया. उन्होंने यह सिरीज़ शुरू होने से पहले ही कह दिया था कि वो सबसे अधिक रन बनाना चाहते हैं और उन्होंने किया भी बिल्कुल यही. पर बतौर कप्तान गिल इंग्लैंड में अभी बहुत कच्चे नज़र आए. कुछ पूर्व क्रिकेटरों का मानना है गिल अपने फ़ैसलों पर अधिक आत्मविश्वास और दृढ़ता नहीं दिखा रहे थे, लिहाजा टीम के अन्य सदस्य उन पर हावी हो रहे थे. तो कुछ मैचों में, विशेष रूप से कठिन परिस्थितियों में, गिल की ऊर्जा और आक्रामकता में कमी देखी गई, जिससे टीम के मनोबल पर भी असर देखने को मिला. यहां तक कि सिरीज़ के शुरुआती मैचों में टीम के सदस्यों को शायद यह स्पष्ट तौर पर बताया नहीं गया था कि मैदान पर अंतिम फ़ैसला कौन करेगा, और यही वजह है कि उन मौक़ें पर भ्रम की स्थिति देखने को मिली.

कप्तान पर हावी टीम के अन्य सदस्य

ख़ुद गिल ने ओवल टेस्ट के बाद के एक प्रकरण के बारे में बताया कि जब स्लिंग बैग लटकाए एटकिंसन क्रीज़ पर थे और एटकिंसन सिराज के ओवर की अंतिम गेंद का सामना करने वाले थे तो उन्होंने (सिराज ने) गिल से कहा था कि ध्रुव जुरैल (विकेटकीपर) को अपने ग्लव्स उतार कर तैयार रहने के लिए कहना ताकि एटकिंसन बाई रन न ले सके तो अगली ओवर में वोक्स को बॉल का सामना करना पड़ेगा तो उन्हें आउट करना आसान होगा. पर जुरैल ग्लव्स नहीं उतार सके तो उन्होंने ज़ोर से मैदान में ही कप्तान से पूछा कि “क्या तुने उसको नहीं बोला था.”

सफल कप्तान बनना है तो ये चार चीजें करें गिल

अगर गिल को एक बेहद सफल कप्तान बनना है तो उन्हें अपनी कप्तानी कौशल को और अभी बहुत मांजना होगा.

1. स्पष्ट संदेश और रणनीति, खिलाड़ियों से अपेक्षाओं को बताएं

सबसे पहले तो गिल को बाकी खिलाड़ियों से बातचीत को और स्पष्ट तरीक़े से करना होगा. उन्हें अपने खिलाड़ियों को अपना नज़रिया बिल्कुल स्पष्ट बताना होगा. मैदान में फ़ैसले ख़ुद लेने होंगे. शुरुआती मैचों में कुछ सीनियर खिलाड़ी अपनी गेंदबाज़ी पर डीआरएस के इशारे करते दिखे. गिल को मजबूरी में इशारा करना पड़ा और फ़ैसला टीम इंडिया के ख़िलाफ़ गया और रिव्यू बर्बाद हो गया. साथ ही उन्हें टीम के हर एक प्लेयर को यह स्पष्ट तौर पर बताना होगा कि उनसे क्या क्या अपेक्षाएं की जा रही हैं और उन अपेक्षाओं पर खरे उतरने के लिए उन्हें किन किन चीज़ों पर फ़ोकस करना होगा. उदाहरण के तौर पर प्रसिद्ध कृष्णा को ले. तो उन्होंने हेडिंग्ले और एजबेस्टन के शुरुआती दो मैचों में कुल छह विकेट तो चटकाए पर 6 से अधिक के रन रेट से गेंदबाज़ी करते रहे. उन्हें अगले दो मैचों के लिए बाहर बिठाना पड़ा. फिर जब अंतिम टेस्ट मैच में बुमराह और शार्दुल को बाहर रखा गया तो उन्हें दूसरी बार मौक़ा दिया गया और इस बार प्रसिद्द कृष्णा ने न केवल पांच से कम के रन रेट से गेंदबाज़ी की बल्कि आठ विकेट भी लिए. निश्चित रूप से गिल और टीम मैनेजमेंट ने उन्हें बताया होगा कि उनसे क्या अपेक्षाएं की जा रही हैं और प्रसिद्ध ने उस पर फ़ोकस करते हुए अपनी गेंदबाज़ी में सुधार किया. इसके अलावा गिल को, जैसा कि सचिन तेंदुलकर ने भी सुझाव दिया है, बाहरी शोर को फ़िल्टर करने की कला सीखनी होगी और अपने नेतृत्व के नज़रिए पर फ़ोकस करना होगा.

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2. प्लेइंग इलेवन चुनने पर पूरा अधिकार

मैदान में टीम कैसा खेल रही है इसकी पूरी ज़िम्मेदारी एक कप्तान की होती है तो गिल को किसी भी बाहरी दबाव में आए बग़ैर यह फ़ैसला लेने की क्षमता विकिसित करनी होगी कि उनकी प्लेइंग इलेवन में कौन खेलेगा. हालांकि इसके लिए उन्हें हर खिलाड़ी का खूबी और खामी को अच्छी तरह समझना और याद रखना होगा और इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर सबसे बात करनी होगी और यह विश्वास दिलाना होगा कि प्रदर्शन में उतार चढ़ाव आने पर भी टीम में उनकी जगह बनी रहेगी तभी कोई खिलाड़ी पूरी आज़ादी के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा.

3. तकनीकी कमियों को बताना, तराशना होगा

गिल को अपने प्रत्येक खिलाड़ियों को यह भी स्पष्ट तौर पर बताना होगा कि तकनीकी तौर पर उनमें कहां कमी आ रही है. बेशक गिल ने इस सिरीज़ में सबसे अधिक रन बनाए हैं पर जैसा कि इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर निक नाइट ने कहा कि उन्हें अपने फ़्रंट लेग मूवमेंट पर थोड़ा काम और करना चाहिए तो उन्हें ख़ुद की बल्लेबाज़ी की आलोचनाओं को सकारात्मक तौर पर लेना होगा और अगर उसमें सुधार की आवश्यकता है तो करनी होगी.

4. अटैकिंग बॉलिंग, फ़ील्डिंग और कप्तानी करना

जैसा कि इंग्लैंड में खेली गई इस टेस्ट सिरीज़ के ओल्ड ट्रैफ़र्ड मैच के दौरान देखने को मिला, गिल ने वाशिंगटन सुंदर को बहुत देर से तब गेंद थमाई जब टीम इंडिया पिच पर जमे इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को आउट नहीं कर पा रही थी. सुदर्शन ने अपने शुरुआती चार ओवरों में ही दो विकेट चटका दिए. वाशिंगटन सुंदर को देर से गेंद देने के लिए गिल की आलोचना हुई पर उन्होंने अगले ओवल टेस्ट की पहली पारी में सुंदर से एक भी ओवर नहीं डलवाया, तो दूसरी पारी में भी बहुत देर से गेंदबाज़ी करने को दी. शुभमन को मैदान में टीम के सीनियर और अनुभवी क्रिकेटर्स की सलाह पर भी फ़ैसले लेने चाहिए. जैसा कि टेस्ट सिरीज़ के दौरान कई मौक़े पर दिखा कि केएल राहुल रिव्यू नहीं लेने की सलाह दे रहे थे पर शुभमन ने गेंदबाज़ के दबाव में डीआरएस लिया, और नतीजा रिव्यू के बेकार जाने में निकला. टेस्ट क्रिकेट का स्वरूप बदल रहा है. अब पहले की तरह ड्रॉ मैच कम से कम खेले जा रहे हैं. अधिक से अधिक मैचों में नतीजे आ रहे हैं. तो गिल को कप्तानी के दौरान यह ध्यान रखना होगा कि मैच जीतने के लिए खेल रहे हैं. उन्हें फ़ील्डिंग के दौरान और भी आक्रामक होने की ज़रूरत है, जहां विपक्षी टीम के 10 विकेट निकालने हैं क्योंकि विकेट नहीं निकले तो वो बड़े रन बनाएंगे ही. लिहाजा अधिक से अधिक विकेट लेने वाली गेंदबाज़ी, बल्लेबाज़ों को असमंजस में डालने के लिए गेंदबाज़ी में जल्दी जल्दी परिवर्तन करना, गेंदबाज़ों के वर्कलोड को कम करने के लिए छोटे-छोटे स्पेल कराना और अधिकांश मौक़े पर आक्रामक फील्डिंग की सजावट से विपक्ष पर दबाव बनाना उनका मूल मंत्र होना चाहिए.

अनुभवों से सीख कर बनेगें चैंपियन कप्तान

जिस तरह इंग्लैंड के दौरे पर शुभमन गिल ने ख़ुद को तुरंत बल्लेबाज़ी के अनुरूप ढाल लिया उसी तरह भविष्य में अलग-अलग देशों (ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ़्रीका, वेस्ट इंडीज़) के दौरे पर वहां के बैटिंग कंडीशन में ख़ुद को तुरंत ढालना होगा और टीम के सामने मिसाल बनना होगा. एजबेस्टन में मिली जीत में गिल इसका परिणाम इंग्लैंड दौरे पर देख चुके हैं. गिल ने स्पष्ट तौर पर यह कहा भी कि इस सिरीज़ से एक लीडर के तौर पर उन्हें ख़ुद को विकसित करने में मदद मिलेगी. गिल ने कहा, मैं मानता हूं कि जीवन में उतार-चढ़ाव के बीच आपको संतुलन बना कर रखना चाहिए. मैं इसी पर यकीन करता हूं, तो चाहे मैच जीतें या हारें, मैंने अच्छा किया या नहीं किया, ये सब मुश्किल तो है पर एक प्रक्रिया है. यही वास्तविक सफ़र है कि आप संतुलन बनाए रखें और मैं अभी सीख रहा हूं जो कि अब तक बहुत अच्छा रहा है."

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