एजबेस्टन की पिच पर रिकॉर्ड टूटे परंपराएं बदलीं, कप्तान गिल का एलान, अब टाइम है शुभमन का
शुभमन गिल ने एजबेस्टन टेस्ट में 269 रन की ऐतिहासिक पारी खेली, जो भारतीय कप्तान द्वारा इंग्लैंड में सबसे बड़ा स्कोर है. यह पारी धैर्य, संकल्प और कौशल की मिसाल बनी. उन्होंने विराट कोहली और सुनील गावस्कर जैसे दिग्गजों के रिकॉर्ड तोड़े और इंग्लैंड में सबसे बड़ी टेस्ट पारी खेलने वाले भारतीय बन गए.;
शुभमन गिल के 269 रनों की कहानी - जब कप्तान केवल रिकॉर्ड नहीं बनाता इतिहास लिखता है. ग़ज़ब का ज़ज्बा, हौसला, धैर्य और संकल्प को सिद्ध करने की बेमिसाल ज़िद. क्रिकेट की पिच पर ऐसी अनूठी पारी बिरले ही देखने को मिलती है. एजबेस्टन टेस्ट के दूसरे दिन शुभमन गिल ने अपने बल्ले से जो कहानी लिखी उसे दशकों तक याद रखा जाएगा. उनकी पारी के दौरान रिकॉर्ड ऐसे टूटते चले जा रहे थे मानो उन्हें इसी ख़ास इनिंग्स का लंबे वक़्त से इंतज़ार था.
कभी-कभी क्रिकेट के मैदान पर सिर्फ़ रन नहीं बनते, संघर्ष की गाथाएं और संकल्प की परिभाषाएं गढ़ी जाती हैं, और एक युग का आरंभ होता है. एजबेस्टन के मैदान पर शुभमन गिल की 269 रन की पारी, महज़ एक आंकड़ा नहीं, भारतीय क्रिकेट के नए स्वरूप का आगाज़ और नए प्रतिमान गढ़ने की उत्कट इच्छा का एक जीता जागता प्रमाण है.
इंग्लैंड, जहां मौसम बदलने के साथ लाल रंग की ड्यूक बॉल का मिजाज़ भी बदल जाता है, हवा में स्विंग तैरती है, दर्शकों की हुटिंग का भी सामना करना पड़ता है और पिच पर अपनी घरेलू परिस्थितियों से वाक़िफ़ इंग्लिश गेंदबाज़ चुनौती बन कर दौड़ते हैं- वहां एक 25 साल का युवा लगभग साढ़े आठ घंटे तक इस क़दर खड़ा हुआ कि वो न झुका और न ही टूटा बल्कि उसने इंग्लिंश गेंदबाज़ों को हौसले तोड़े. वर्षों पुराने रिकॉर्ड भी तोड़े और लाखों, करोड़ों लोगों का दिल जीत लिया.
आलोचना को अपने दृढ़ संकल्प से प्रशंसा में बदली
ये युवा कप्तान भारतीय टीम के नए नवेले टेस्ट कप्तान शुभमन गिल हैं जिनकी ठीक एक दिन इस बात के लिए आलोचना हो रही थी कि उन्होंने जसप्रीत बुमराह को टीम में नहीं लिया और न ही कुलदीप यादव को. पर गिल ने अपनी बेमिसाल पारी से सभी आलोचना को फिलहाल के लिए शांत कर दिया है.
509 मिनट तक 387 गेंदों को एकाग्रचित होकर अपनी आंखों से पढ़ते हुए 33 बार बाउंड्री की ओर उसे धकेलना और इस दौरान विराट कोहली, सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज़ों के रिकॉर्ड को बहुत आसानी से एक-एक कर पीछे छोड़ देना. हर सिंगल और डबल केवल गिल के स्कोर को नहीं बढ़ा रहे थे, वो उनके लगातार बढ़ते आत्मविश्वास को भी बखूबी दर्शा रहे थे.
सिरीज़ शुरू होने से पहले ही उन्होंने अपनी इच्छा जताई थी कि वो सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बनना चाहते हैं. यह हेडिंग्ले के पहले टेस्ट में जमाए उनके शतक में दिखा भी लेकिन 147 रन बनाने के बाद भी यह कहना कि उन्हें और रन बनाने चाहिए थे, उनकी उस ज़िद को बताता है जो उन्होंने एजबेस्टन में पूरा किया. ये संकल्प था कि टीम को उस स्थिति में पहुंचाना ही है कि गेंदबाज़ों को इंग्लैंड की मज़बूत बल्लेबाज़ी को ध्वस्त करने की पूरी आज़ादी मिले.
केवल दूसरा मैच है जब गिल कप्तानी कर रहे हैं. पहले मैच में ही उन सभी कप्तानों के रिकॉर्ड की बराबरी पर पहुंच गए जिन्होंने अपनी कप्तानी के पहले ही टेस्ट में शतक जमाया था. तो दूसरे टेस्ट में उन चुनिंदा कप्तानों के क्लब में शामिल हो गए जिन्होंने अपने शुरुआती दो टेस्ट मैचों में शतक जमाया. पर गिल यहीं नहीं रुके. उन्हें इतिहास जो गढ़ना था.
रिकॉर्ड टूटे, परंपराएं बदलीं
जब दूसरे दिन का खेल शुरू हुआ तो शुभमन हर क़दम पर नए कीर्तिमान अपने नाम करते गए.
- 179 रन का आंकड़ा पार करके गिल ने इंग्लैंड में किसी भारतीय टेस्ट कप्तान द्वारा सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का अजहरुद्दीन का रिकॉर्ड तोड़ दिया.
- 199 के व्यक्तिगत स्कोर पर गिल ने सेना देशों में किसी भी एशियाई टेस्ट कप्तान के सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का श्रीलंका के दिलशान का रिकॉर्ड तोड़ दिया.
- दोहरा शतक जमाते ही वे ऐसा करने वाले 26वें भारतीय क्रिकेटर बने जो भारत की ओर से टेस्ट क्रिकेट में जमाया गया 50वां दोहरा शतक भी बना.
- यह शुभमन का बतौर एक क्रिकेटर भी टेस्ट क्रिकेट में पहला दोहरा शतक है. साथ ही वो इंग्लैंड की धरती पर टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक जमाने वाले पहले भारतीय कप्तान भी बने.
- जैसे ही उनके बल्ले से 222वां रन बना, शुभमन इंग्लैंड में सबसे बड़ी पारी खेलने वाले भारतीय क्रिकेटर भी बन गए, उन्होंने 1979 में ओवल में सुनील गावस्कर के 221 रन को पीछे छोड़ दिया.
- 255 रन बनाते ही शुभमन गिल ने किसी भी भारतीय कप्तान के सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर के लंबे समय से विराट कोहली के 254 रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया.
भारतीय क्रिकेट के अगले महान क्रिकेटर का जन्म
शुभमन गिल ने इंग्लैंड की धरती पर यह साबित किया है कि धैर्य टेस्ट क्रिकेट का सबसे बड़ा हथियार है लेकिन इससे भी बड़ी बात यह कि उनकी इस एक पारी ने उस सवाल का जवाब दे दिया कि क्या शुभमन गिल टेस्ट क्रिकेट में भारत के असली वारिस हैं. जिसका जवाब ये है कि शुभमन अब सिर्फ़ वारिस नहीं हैं, अब वो भारतीय टेस्ट क्रिकेट के सिंहासन पर विराजमान हो चुके हैं.
उनकी इस पारी ने ये दिखा दिया है कि वो क्रिकेट के उन खिलाड़ियों में से हैं जो ख़ुद को परिस्थितियों के मुताबिक़ ढाल कर और समय की कटौसी के अनुसार अपने खेल को बदलने का फ़ौलाद इरादा रखता है. उन्होंने आने वाली नई पीढ़ी को एक नई दिशा दी है और टेस्ट क्रिकेट को एक नई उम्मीद और साथ ही विरोधियों को एक संदेश भी दिया है कि वो अगर चुनौती देंगे तो हम इतिहास बनाकर उसका माकूल जवाब देंगे.
269 रनों की यह बेमिसाल पारी खेलकर शुभमन गिल ने पूरी विनम्रता के साथ झुककर यह एलान कर दिया है कि वो भविष्य ही नहीं क्रिकेट का वर्तमान भी हैं. साथ ही यह घोषणा भी कि क्रिकेट के खेल में भारत के अगले महान क्रिकेटर का जन्म हो चुका है और उसका नाम है शुभमन गिल.