Maha Shivratri 2025: क्यों तंत्र सिद्धियों के लिए खास मानी जाती है काशी की महाशिवरात्रि की रात?
भांग को भगवान शिव से जोड़कर देखने की परंपरा वेदों, पुराणों और तंत्र शास्त्रों में मिलती है. माना जाता है कि यह औषधीय गुणों से भरपूर है और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है. शिवपुराण और स्कन्दपुराण में उल्लेख मिलता है कि महादेव तपस्या में लीन रहते थे और उनकी उग्र तपस्या को शीतलता देने के लिए भांग एक दिव्य उपाय था.;
काशी जहां स्वयं भगवान शिव वास करते हैं, जहां मोक्षदायिनी मां गंगा बहती हैं और जहां महाशिवरात्रि का पर्व दिव्यता के साथ मनाया जाता है. इस पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए उमड़ते हैं. इस दिन काशी की गलियां हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठती हैं और बाबा विश्वनाथ का दरबार भक्तों की असीम श्रद्धा का गवाह बनता है.
काशी विश्वनाथ मंदिर, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है, महाशिवरात्रि के अवसर पर अद्भुत भक्ति और उल्लास का केंद्र बन जाता है. यहां इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और बाबा विश्वनाथ का श्रृंगार रुद्राभिषेक, पंचामृत स्नान, और भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि से किया जाता है.
काशी की गलियों में महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि केवल मंदिर तक सीमित नहीं है, बल्कि बनारस की गलियों और घाटों में भी इसकी धूम देखने को मिलती है. इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा में पवित्र स्नान कर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंचते हैं. मान्यता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है.
शिव की बारात
बनारस की एक खास परंपरा है शिव बारात, जिसमें भगवान शिव को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और बारात निकाली जाती है. इसमें भूत, प्रेत, नाग, साधु-संत सभी शामिल होते हैं, जो शिव की अनोखी लीला का प्रदर्शन करते हैं. इसके अलावा, बनारस में महाशिवरात्रि का अर्थ है बाबा की ठंडई. यहां की गलियों में भांग, बादाम, केसर और गुलाब से बनी ठंडई भक्तों के बीच वितरित की जाती है. इसे शिव प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.
तंत्र और साधना
काशी केवल आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि तंत्र और साधना का भी प्रमुख स्थल है. महाशिवरात्रि की रात को तांत्रिक और साधक विशेष साधनाएं करते हैं. मान्यता है कि इस दिन ध्यान और जप करने से हजारों गुना फल प्राप्त होता है. मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर साधु-संत और तांत्रिक अपनी विशेष साधनाएं करते हैं. कहा जाता है कि महाशिवरात्रि की रात तंत्र सिद्धियों के लिए सबसे उपयुक्त होती है.