Maha Shivratri 2025: भगवान शिव का भांग से क्या है संबंध? जानें क्यों इसे माना जाता है प्रसाद
भगवान शिव का भांग से गहरा संबंध है, जो विशेष रूप से हिंदू धर्म की परंपराओं और मान्यताओं से जुड़ा हुआ है. यह संबंध मुख्य रूप से भगवान शिव के जीवन और उनके साधना के तरीके से संबंधित है. भगवान शिव को भांग प्रिय है और इसे उनके साथ एक धार्मिक प्रतीक के रूप में जोड़ा जाता है.

महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की पूजा की जाती है. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है. साथ ही, बेल पत्र और फूल भी अर्पित किए जाते हैं. महाशिवरात्रि के दिन भांग पीने का रिवाज है. शंकर भगवान को भी भांग से बनी चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोलेनाथ का भांग से क्या संबंध है? चलिए जानते हैं क्यों भांग को भोलेनाथ का प्रसाद कहा जाता है.
भोलनेाथ और भांग का संबंध
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले जहर को अपने कंठ में रख लिया था, जिसके कारण भोलेनाथ का गला नीला पड़ गथा था. जहर को पीने के बाद भोलेनाथ व्याकुल होकर बेहोश हो गए थे. भगवान शिव को होश में लाने के लिए देवताओं ने भगवान शिव के सिर से गर्मी को दूर करने के लिए उनके सिर पर भांग और धतूरा रखा था. यहीं से भोलेनाथ और भांग को एक-साथ जोड़ा जाने लगा.
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समुद्र मंथन से जुड़ी है कहानी
वेदों के अनुसार कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान मद्र पर्वत पर एक बूंद गिरी, जिससे पौधा उगा. इस पौधे का रस सभी देवताओं को पसंद आया और भोलेनाथ इस पौधे को हिमालय लेकर गए थे.
कब है महाशिवरात्रि?
इस साल 26 फरवरी को महाशिवरात्रि है. एक मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह के दिन के रूप में मनाई जाती है. यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है.
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
एक अन्य मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि वह दिन है जब भगवान शिव ने स्वयं को शिवलिंग के रूप में प्रकट किया था. इस दिन को शिवलिंग के उत्पत्ति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जब भगवान शिव ने अज्ञेय रूप में स्वयं को शिवलिंग के रूप में प्रकट किया था.