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शिव के हैं भक्त, तो क्या आप जानते हैं महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में अंतर?

कहा जाता है कि महा शिवरात्रि के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में शांति व समृद्धि आती है. महा शिवरात्रि के दिन भक्त व्रत रखते हैं और घर में शिवलिंग भी स्थापित करते हैं.

शिव के हैं भक्त, तो क्या आप जानते हैं महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में अंतर?
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 24 Feb 2025 7:04 AM IST

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है. महाशिवरात्रि आमतौर पर फरवरी और मार्च के बीच में आती है. यह दिन पूरी दुनिया के शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और इस दिन किए गए कार्यों का विशेष फल मिलता है. इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है.

शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, शहद, बेलपत्र, फूल, फल, और घी चढ़ाए जाते हैं. इन सामग्री का प्रयोग भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए किया जाता है. शिवलिंग पर जल चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे भगवान शिव के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर क्या होता है?

शिवरात्रि का मतलब

यह हर महीने की कृष्ण पक्ष की चौदहवीं रात को होती है. यानी हर महीने में एक शिवरात्रि होती है. इस दिन शिवलिंग की पूजा और रात्रि जागरण किया जाता है. भक्त शिव के नाम का जप करते हैं और उपवास रखते हैं.

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि विशेष रूप से साल में एक बार, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चौदहवीं रात को मनाई जाती है. यह आम शिवरात्रि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है. किंवदंती के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था. इसके अलावा, मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी दिन "तांडव" नृत्य किया था, जो उनके शक्ति और सौम्यता का प्रतीक है.

कब है महाशिवरात्रि?

इस साल 26 जनवरी को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा. इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा की जाती है. भक्त उपवास रखते हैं और रातभर जागरण करके भगवान शिव के मंत्रों का जप करते हैं. शिव के प्रमुख मंत्रों में "ॐ नमः शिवाय" का जप विशेष रूप से किया जाता है.

भांग क्यों है शिव जी को प्रिय?

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले जहर को अपने गले में रख लिया था, जिसके कारण भगवान शंकर का गला नीला पड़ गथा था. जहर को पीने के बाद भोलेनाथ बेहोश हो गए थे. भगवान शिव को होश में लाने के लिए देवताओं ने भगवान शिव के सिर से गर्मी को दूर करने के लिए उनके सिर पर भांग और धतूरा रखा था. यहीं से भोलेनाथ और भांग को एक-साथ जोड़ा जाने लगा.





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