कब है सावन शिवरात्रि का पर्व, जानिए महत्व, तिथि और जलाभिषेक का समय
सावन हिन्दू पंचांग का एक महीना होता है, जो आमतौर पर जुलाई-अगस्त के बीच आता है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस महीने में शिव जी की पूजा और उपासना का विशेष महत्व होता है. भक्त जन इस पूरे महीने में सोमवार के दिन विशेष पूजा करते हैं, जिसे सावन सोमवार कहते हैं.;
11 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू हो रहा है. सावन के महीने का हिंदू धर्म में विशेष स्थान होता है. सावन में हर दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और जलाभिषेक करना का विशेष महत्व है. इसके अलावा सावन माह में पड़ने वाले सोमवार, प्रदोष और सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. वैसे तो हर माह शिवरात्रि आती है जिसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाता है. अब जब सावन माह में शिवरात्रि पड़ेगी तो उसे सावन शिवरात्रि के नाम से जाना जाएगा.
श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि बहुत ही खास होती है. इसमें भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा आराधना और जलाभिषेक करने हर एक परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि का पर्व किस दिन मनाया जाएगा और शिव आराधना के लिए क्या शुभ मुहूर्त होगा.
कब है सावन शिवरात्रि 2025
पंचांग की गणना के मुताबिक, श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई 2025 को सुबह 04 बजकर 40 मिनट से आरंभ होकर 24 जुलाई को सुबह 02 बजकर 28 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में शिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है. सावन शिवरात्रि के दिन निशिता काल यानी अर्धरात्रि को पूजा करना अच्छा माना जाता है. ऐसे में सावन शिव रात्रि का त्योहार 23 जुलाई को मनाया जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि को बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है. भगवान भोलेभंडारी की पूजा निशिता मुहूर्त में करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस बार सावन शिवरात्रि पर निशिता काल के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 52 मिनट से लेकर सुबह 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
सावन शिवरात्रि का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है और ऐसी मान्यता है कि इस माह में जो भी शिवजी की आराधना करता है उसकी हर एक मनोकामना पूरी होती है. सावन माह में शिवजी का जलाभिषेक करने से उनकी कृपा मिलती है, लेकिन जब सावन शिवरात्रि का पर्व आता है तो इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से इसके फलों में कई गुने की वृद्धि हो सकती है. सावन में जलाभिषेक करने के लिए कांवड़िएं पवित्र जल से शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं.