सिस्टर शिवानी की 5 पेरेंटिंग गाइड, जो आपके बच्चों में भर देगी 'सेल्फ लव' से लेकर कॉन्फिडेंस तक
हर दिन बच्चे के लिए एक सकारात्मक वाक्य दोहराते रहना चाहिए - 'मेरा बच्चा कॉंफिडेंट है", 'यह बच्चा प्रेम से भरा है' - ये केवल शब्द नहीं हैं, ये ऊर्जा हैं जो बच्चे के अवचेतन मन में गहराई तक उतरती हैं.;
ब्रह्माकुमारी सिस्टर शिवानी एक ऐसी नामी मोटिवेशनल स्पीकर हैं, जिन्होंने लाखों लोगों को सेल्फ रिलाइजेशन और बैलेंस का रास्ता दिखाया है. जब बात बच्चों की परवरिश की आती है, तो उनका दृष्टिकोण न सिर्फ व्यवहारिक है बल्कि आध्यात्मिक गहराई से भी जुड़ा हुआ है. सिस्टर शिवानी मानती हैं कि पेरेंटिंग सिर्फ बच्चों को संभालना नहीं, बल्कि खुद को भी संवारना है. आइए जानते हैं उनकी 5 बेहतरीन सलाहें, जो परवरिश को एक आध्यात्मिक यात्रा बना देती हैं.
1. बच्चे को ‘नाम’ नहीं, समझ दें
'ये तो बड़ा जिद्दी है', 'हमेशा सुस्त रहता है', 'बहुत शरारती है' - ये शब्द हम बिना सोचे-समझे बच्चों पर चिपका देते हैं. सिस्टर शिवानी चेताती हैं कि ऐसे लेबल बच्चों की सेल्फ-इमेज को गहराई से प्रभावित करते हैं. बच्चे बार-बार वही बनने लगते हैं जो आप उन्हें कहते हैं. इसलिए उनका सुझाव है कि बच्चे का ऐसा व्यवहार क्यों है पहले उसकी जड़ तक पहुंचे. हर व्यवहार के पीछे एक भावना, एक अनुभव छिपा होता है. उसे पहचानिए, उसका सम्मान कीजिए. सुधार तभी टिकेगा जब समझ से किया जाएगा, न कि आलोचना से.
2. बच्चा वहीं पनपता है जहां माहौल सुकून देता है
सिस्टर शिवानी एक गहरी बात कहती हैं - बच्चे का पहला वातावरण उसका घर नहीं, उसके माता-पिता की मानसिक स्थिति होती है. अगर आप भीतर से चिंतित, क्रोधित या दुखी हैं, तो वह एनर्जी शब्दों के बिना भी बच्चे तक पहुंच जाती है. इसलिए वह सलाह देती हैं कि पहले खुद को भीतर से स्थिर कीजिए, फिर बच्चे से बातचीत कीजिए क्योंकि शांत मन से दी गई सीख, चीख-पुकार से कहीं ज़्यादा असर करती है.
3. शब्द नहीं, एनर्जी दें
हर दिन बच्चे के लिए एक सकारात्मक वाक्य दोहराते रहना चाहिए - 'मेरा बच्चा कॉंफिडेंट है", 'यह बच्चा प्रेम से भरा है' - ये केवल शब्द नहीं हैं, ये ऊर्जा हैं जो बच्चे के अवचेतन मन में गहराई तक उतरती हैं. सिस्टर शिवानी कहती हैं कि यह प्रक्रिया उतनी ही असरदार होती है, चाहे बच्चा सामने हो या नहीं. इन पुष्टिकरणों से बच्चे के सेल्फ-कॉन्फिडेंस को वह फ्यूल मिलता है जिसकी उसे दुनिया से लड़ने के लिए ज़रूरत होती है.
4. तुलना से नहीं अपनाने से होगा विकास
'देखो शर्मा जी की बेटी कितनी समझदार है!' ऐसी तुलना एक ज़हर की तरह होती है, जो धीरे-धीरे आत्म-संदेह को जन्म देती है. सिस्टर शिवानी स्पष्ट करती हैं कि आपका बच्चा जैसा है, वैसा ही सम्पूर्ण है. हर आत्मा का अपना सफ़र है, अपनी रफ्तार है. तुलना करने की बजाय उसके गुणों को पहचानिए, और उसे उसके बेहतर संस्करण में खिलने दीजिए.
5. हर सुबह को बनाइए एक शांत शुरुआत
हर सुबह अगर हड़बड़ी, झुंझलाहट और तनाव से भरी हो, तो बच्चा स्कूल नहीं, एक लड़ाई के मैदान में जा रहा होता है. सिस्टर शिवानी कहती हैं कि सिर्फ पांच मिनट की शांति पूरे दिन का मूड तय कर सकती है. उनका सुझाव है कि सुबह की शुरुआत शांत संगीत, मौन, कृतज्ञता और अच्छे विचारों से की जाए. यह न केवल बच्चे के दिन को आकार देता है, बल्कि पूरे घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है.
अंत में: सिस्टर शिवानी की पेरेंटिंग गाइड सिर्फ सुझाव नहीं, एक परफेक्ट पेरेंटिंग का मंत्र है. उनकी बातें हमें सिखाती हैं कि बच्चों को पालना सिर्फ बाहरी नहीं, भीतर की प्रक्रिया भी है और जब यह प्रक्रिया प्यार, समझ और ऊर्जा से भरी हो, तो न केवल बच्चे खिलते हैं, बल्कि माता-पिता भी एक नई ऊंचाई तक पहुंचते हैं.