बंगाल में भाजपा मुसलमानों को दे रही दोस्ती का Offer! नए अध्यक्ष ने मुस्लिम और वामपंथी वोटर्स पर खेला ये दांव
पश्चिम बंगाल में 2026 चुनाव से पहले बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल दी है. अब पार्टी मुस्लिम और वामपंथी मतदाताओं को लुभाने में जुट गई है. प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने ‘राष्ट्रवादी मुसलमानों’ से बीजेपी से जुड़ने की अपील की है. यह कदम भाजपा की समावेशी राजनीति की तरफ संकेत करता है. साथ ही ममता बनर्जी पर ‘बांग्लादेशी मुस्लिम तुष्टिकरण’ का आरोप बरकरार है.;
2021 के विधानसभा चुनावों में धार्मिक ध्रुवीकरण की रणनीति से नाकाम रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब पश्चिम बंगाल में नई राह पर चलती दिख रही है. 'जय श्रीराम' जैसे नारों से तृणमूल कांग्रेस (TMC) को घेरने वाली पार्टी अब मुस्लिम और वामपंथी मतदाताओं को जोड़ने की पहल कर रही है. इस बदलाव का संकेत पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य की नियुक्ति और उनके बयानों से मिला है.
राज्यसभा सांसद और आरएसएस पृष्ठभूमि वाले शमिक भट्टाचार्य ने पार्टी की कमान संभालते ही स्पष्ट किया कि अब बीजेपी बंगाल में 'धर्म की राजनीति' से दूर एक समावेशी राजनीति की ओर बढ़ेगी. उन्होंने मुसलमानों से 'राष्ट्रवादी मुसलमान' बनकर पार्टी से जुड़ने की अपील की.
शमिक भट्टाचार्य की नई लाइन: 'मुसलमान हमारे दुश्मन नहीं हैं'
भट्टाचार्य ने अपने पहले ही भाषण में कहा, 'बंगाल को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश हो रही है. लेकिन मुसलमान समझें कि बीजेपी उनसे लड़ नहीं रही है. उन्होंने आगे कहा, 'हम उन ताकतों से लड़ रहे हैं जो मुस्लिम युवाओं के हाथों में पत्थर थमा देती हैं. हम उन पत्थरों की जगह कलम देना चाहते हैं. उनका यह बयान बीजेपी के कट्टर हिंदुत्व एजेंडे से हटकर एक नए समावेशी रवैये को दर्शाता है. उन्होंने राष्ट्रीय मुस्लिमों को 'कट्टरपंथ' से लड़ने में साथ आने का आह्वान भी किया.
ममता पर फिर भी हमला, लेकिन 'बांग्लादेशी' मुसलमानों पर फोकस
जहां भट्टाचार्य ने 'राष्ट्रवादी मुसलमानों' को पार्टी में शामिल होने को कहा, वहीं बीजेपी का सोशल मीडिया अब भी ममता बनर्जी और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों पर हमलावर है. पार्टी के एक पोस्ट में लिखा गया: "जिस तरह मछली पानी के बिना नहीं रह सकती, ममता भी अवैध बांग्लादेशी मुसलमानों के बिना नहीं रह सकती. यह साफ है कि बीजेपी अब बंगाल के मुसलमानों और बांग्लादेशी घुसपैठियों में अंतर करके वोटरों तक अलग संदेश देना चाहती है.
वामपंथियों को भी साधने की कोशिश
भट्टाचार्य ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी और ज्योति बसु दोनों को एक ही मंच पर याद करके संकेत दिया कि पार्टी अब पुराने वामपंथी मतदाताओं को भी लुभाना चाहती है. यह कदम विशेष रूप से 'भद्रलोक' यानी बंगाल के शहरी पढ़े-लिखे वर्ग को लक्षित करता है. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी के मुताबिक, '2021 में 294 में से सिर्फ 77 सीटें जीतने के बाद बीजेपी अब 'जीरो लॉस' रणनीति पर चल रही है. उन्होंने बताया कि भाजपा को अब यह समझ आ गया है कि सिर्फ हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण उसे सत्ता में नहीं ला सकता। अब उसका लक्ष्य है सभी एंटी-टीएमसी वोटरों को एकजुट करना.