शिमला समझौता क्या है, जिसे तोड़ने की धमकी दे रहा पाकिस्तान? जानें भारत को फायदा होगा या नुकसान

पहलगाम में आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है. इससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. वह भारत के साथ हुए शिमला समझौते को तोड़ने की धमकी दे रहा है. आइए, जानते हैं कि शिमला समझौता क्या है, यह कब हुआ और इसके टूटने से भारत को फायदा होगा या नुकसान...;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 24 April 2025 3:59 PM IST

What Is Shimla Agreement 1972 : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. इनमें से अधिकांश टूरिस्ट थे, जो जन्नत की वादी को देखने के लिए गए थे. इस घटना के बाद देश में काफी आक्रोश है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर वापस भारत लौट आए.

भारत ने आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता को स्थगित कर दिया है. यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गठित सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिया गया. इस फैसले से पाकिस्तान में खलबली मच गई है. पाकिस्तान में कुछ लोगों ने अपनी सरकार से मांग की है कि वह इसका जवाब शिमला समझौते को तोड़कर दे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर समझौता है क्या, जिसे तोड़ने की पाकिस्तान धमकी दे रहा है...

क्या है शिमला समझौता?

शिमला समझौता (Shimla Agreement) भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय संधि है. यह समझौता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था. इसका मुख्य उद्देश्य 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच शांति बहाली और भविष्य में युद्ध रोकना था. यह समझौता हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हुआ.

शिमला समझौते के मुख्य बिंदु:

  1.  भारत और पाकिस्तान सभी विवादों को द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिए सुलझाएंगे, यानी किसी तीसरे देश या अंतरराष्ट्रीय संस्था को हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी.
  2.  1971 युद्ध के बाद युद्धबंदी बनाए रखने और शक्ति का प्रयोग न करने पर सहमति बनी.
  3.  लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) की स्थिति को दोनों पक्षों ने स्वीकारा. यह उसी युद्ध के बाद खींची गई थी.
  4.  भारत और पाकिस्तान शांति और पारस्परिक सम्मान के साथ आगे बढ़ेंगे और किसी भी तरह की आक्रामक कार्रवाई से बचेंगे.
  5.  दोनों देश संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के सिद्धांतों का पालन करेंगे
  6.  समस्या के पूरी तरह हल न हो पाने तक कोई भी पक्ष स्थिति को एकतरफा नहीं बदलेगा.
  7. भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करेंगे और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देंगे.
  8. 8- दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ नफरत और दुश्मनी भरे प्रचार को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे.
  9. पिछले 25 साल से चले आ रहे विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाएगा.
  10. भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के नागरिकों के लिए यात्रा सुविधाओं को बढ़ावा देंगे.

भारत का रुख

भारत हमेशा से कहता रहा है कि शिमला समझौता एक वैध और बाध्यकारी दस्तावेज है, और कश्मीर सहित सभी मुद्दे भारत और पाकिस्तान के बीच ही हल होंगे. इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है.

पाकिस्तान के हक में रहा था शिमला समझौता

शिमला समझौते के बाद पाकिस्तान को उसके 93 हजार सैनिक वापस मिल गए, जिन्हें भारतीय सेना ने बंधक बना लिया था. इस समझौते के मुताबिक, अगर भविष्य में कभी भी दोनों देशों के बीच कोई विवाद होता है तो उसे आपसी बातचीत से ही सुलझाया जाएगा. किसी अन्य की मध्यस्थता स्वीकार नहीं होगी.

क्या पाकिस्तान ने माना शिमला समझौता?

नहीं, पाकिस्तान ने कभी शिमला समझौता नहीं माना. उसने हमेशा भारत को जख्म देने की कोशिश करता रहा. हालांकि, भारत ने फिर भी पाकिस्तान के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन उसने पीठ पीछे खंजर घोंप दिया. जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने लाहौर बस यात्रा की, जिसके जवाब में भारत को कारगिल युद्ध मिला. पाकिस्तान कभी भी भारत के साथ शांति के पक्ष में नहीं रहा. 

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