यूके ने खालिस्तानी नेटवर्क पर कसा शिकंजा, भारत ने फैसले को बताया ‘आतंकवाद के खिलाफ बड़ा कदम’

सोमवार को विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ब्रिटेन द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल भारत और यूके की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद और अवैध वित्तीय गतिविधियों को रोकने में भी सहायक सिद्ध होगा.;

( Image Source:  ANI )
By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 8 Dec 2025 7:12 PM IST

ब्रिटेन की सरकार ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़े प्रो-खालिस्तान चरमपंथी नेटवर्क पर कठोर आर्थिक कार्रवाई की है, जिसे भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने वाला अहम कदम बताया है. यह पहली बार है जब यूके ने बब्बर खालसा से जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं पर इस तरह के कड़े प्रतिबंध लागू किए हैं.

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सोमवार को विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ब्रिटेन द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल भारत और यूके की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद और अवैध वित्तीय गतिविधियों को रोकने में भी सहायक सिद्ध होगा.

ब्रिटेन की कार्रवाई का भारत ने किया स्वागत

साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत, लंदन द्वारा उठाए गए इस कदम की सराहना करता है, क्योंकि यह उन व्यक्तियों और नेटवर्क को निशाना बनाता है जो भारत-विरोधी चरमपंथी गतिविधियों में शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि 'हम यूके सरकार द्वारा भारत-विरोधी चरमपंथी संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंधों का स्वागत करते हैं. यह कदम वैश्विक स्तर पर आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करता है और अवैध वित्तीय लेन-देन तथा अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क पर लगाम लगाने में मदद करता है.”

जायसवाल ने आगे कहा कि ऐसे व्यक्ति केवल भारत और यूके के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं। हम यूके के साथ मिलकर आतंकवाद विरोधी और सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में करीबी तौर पर काम करने की उम्मीद करते हैं।”

बब्बर खालसा पर यूके का सबसे कड़ा एक्शन

पिछले सप्ताह ब्रिटेन ने प्रो-खालिस्तान आतंकी संगठन बब्बर खालसा की फंडिंग व्यवस्था को तोड़ने के उद्देश्य से कड़ा कदम उठाया था. यह संगठन पहले से ही भारत में प्रतिबंधित है और कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है.

यूके सरकार ने इस कार्रवाई के तहत दो बड़े कदम उठाए-

1. गुरप्रीत सिंह रेहल पर एसेट फ्रीज और डायरेक्टर डिसक्वालिफिकेशन

गुरप्रीत सिंह रेहल पर लगाया गया प्रतिबंध इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वह कथित तौर पर बब्बर खालसा और बब्बर अकाली लेहर से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहा है. ब्रिटिश ट्रेजरी के अनुसार, रेहल, भर्ती गतिविधियों में शामिल रहा. फंडिंग और वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराता था. हथियार और अन्य सैन्य सामग्री खरीदने में भूमिका निभाता था. इसके तहत यूके में उसकी सभी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया है. साथ ही, उसे किसी भी कंपनी के डायरेक्टर पद पर रहने या प्रबंधन में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है.

2. बब्बर अकाली लेहर पर भी एसेट फ्रीज

बब्बर अकाली लेहर पर भी कार्रवाई की गई है, जो बब्बर खालसा की गतिविधियों को बढ़ावा देने और प्रचार-प्रसार में शामिल बताया जाता है.

सरकार के अनुसार, यह संगठन, बब्बर खालसा की भर्ती गतिविधियों में शामिल. उसके समर्थन और प्रचार में सक्रिय, वित्तीय व रसद सहायता में शामिल, दोनों की सभी संपत्तियों को तुरंत प्रभाव से फ्रीज कर दिया गया है.

कौन-सा कानून लगा?

यूके की यह कार्रवाई Counter-Terrorism (Sanctions) (EU Exit) Regulations 2019 के तहत की गई है, जिनके जरिए ब्रिटिश ट्रेजरी आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों पर आर्थिक और कानूनी प्रतिबंध लगा सकती है. बब्बर खालसा पहले से ही यूके में एक प्रोसक्राइब्ड (प्रतिबंधित) आतंकवादी संगठन है. विशेषज्ञों का मानना है कि यूके का यह फैसला दोनों देशों के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को और मजबूती देगा. इससे सीमा पार से फंडिंग, चरमपंथी नेटवर्क और सोशल मीडिया पर चलने वाले उग्रवादी प्रचार पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.

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