आज से ट्रंप का 50% टैरिफ बम, भारत में नौकरियां-निर्यात और विकास पर क्‍या होगा असर? जानिए मोदी सरकार के पास क्‍या हैं विकल्‍प

अमेरिका ने भारत से आने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला किया है, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ गया है. इससे भारत के निर्यात को गहरा झटका लगेगा और टेक्सटाइल, ज्वेलरी, सीफूड, फर्नीचर जैसे सेक्टर प्रभावित होंगे. लाखों नौकरियों पर संकट मंडराएगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम अमेरिका को भी महंगा पड़ेगा क्योंकि वहां महंगाई और बढ़ेगी.;

( Image Source:  Sora )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 27 Aug 2025 12:17 AM IST

US tariffs on India: अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. ट्रंप प्रशासन ने भारत से आने वाले सामान पर 50% तक का टैरिफ लगाने का एलान किया था, जो आज से लागू हो गया है. पहले से ही 25% ड्यूटी लागू थी और अब इसमें 25% की और बढ़ोतरी होने जा रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस फैसले की वजह भारत का रूस से सस्ता कच्चा तेल और रक्षा उपकरण खरीदना बताया है.  यह कदम न केवल भारतीय निर्यातकों को झटका देगा बल्कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को भी गहराई से प्रभावित करेगा. भारत हर साल करीब 86.5 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका को करता है, लेकिन अब इसमें 60 अरब डॉलर तक की कमी का अनुमान है. टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, फर्नीचर और सी-फूड जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत किसानों, छोटे उद्योगों और घरेलू उत्पादकों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा. वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अमेरिका के लिए भी उलटा साबित हो सकता है क्योंकि इससे वहां महंगाई बढ़ेगी और आर्थिक विकास की रफ्तार और धीमी हो सकती है. सवाल है कि क्या ये टैरिफ भारत की आर्थिक रफ्तार को रोक देंगे या भारत नए बाजार तलाश कर इससे उबर जाएगा.

भारत पर सीधा असर

नए टैरिफ के लागू होने के बाद भारत से अमेरिका जाने वाले लगभग दो-तिहाई निर्यात सीधे प्रभावित होंगे. टेक्सटाइल, गहने, कालीन, झींगा (श्रींप), और लकड़ी के फर्नीचर जैसे सेक्टरों में कंपनियां पहले से ही पतली मार्जिन पर काम कर रही हैं. अब 50% तक की ड्यूटी इनकी प्रतिस्पर्धा खत्म कर देगी. छोटे और मध्यम उद्योग (SMEs) सबसे बड़ी चोट झेलेंगे. एक्सपोर्ट ऑर्डर घटने से लाखों नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है. विशेषकर गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में रोजगार का बड़ा हिस्सा निर्यात पर निर्भर है.

टेक्सटाइल इंडस्ट्री की सबसे बड़ी चुनौती

भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री करीब 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार देती है और इसका बड़ा हिस्सा निर्यात पर निर्भर है. अहमदाबाद के कारोबारी भद्रेश डोडिया के मुताबिक, "पूरे वैल्यू चेन की मार्जिन इतनी पतली है कि 50% ड्यूटी सहना असंभव है. या तो अमेरिकी ग्राहक ऑर्डर रद्द करेंगे या फिर अतिरिक्त कीमत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा." इसका मतलब है कि अमेरिकी बाजार में भारतीय कपड़ा उत्पाद अब वियतनाम और बांग्लादेश से महंगे हो जाएंगे और ऑर्डर उन्हीं देशों की ओर शिफ्ट हो जाएंगे.

जेम्स और ज्वेलरी सेक्टर पर बड़ा खतरा

भारत दुनिया के डायमंड कटिंग और ज्वेलरी हब के रूप में जाना जाता है. इस उद्योग में करीब 50 लाख लोग काम करते हैं. अमेरिका भारतीय डायमंड और ज्वेलरी का सबसे बड़ा बाजार है. टैरिफ बढ़ने से सीधे तौर पर इस उद्योग की अंतरराष्ट्रीय मांग प्रभावित होगी. सूरत और मुंबई जैसे शहरों में पहले ही निर्यात घटने से कारखाने बंद हो रहे हैं. नए टैरिफ से यह संकट और गहराएगा.

सीफूड और श्रिंप एक्सपोर्ट में गिरावट

भारत अमेरिका को झींगा (श्रिंप) का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. लेकिन 50% ड्यूटी लगने से अमेरिकी आयातक अन्य देशों - जैसे वियतनाम और इंडोनेशिया की ओर रुख करेंगे. इससे आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में लाखों छोटे किसान प्रभावित होंगे, जिनकी आजीविका झींगा पालन पर आधारित है.

फर्नीचर और कालीन इंडस्ट्री पर संकट

भारतीय कालीन और फर्नीचर अमेरिकी बाजार में अपनी गुणवत्ता और कारीगरी के कारण लोकप्रिय रहे हैं. लेकिन नए टैरिफ से इनकी कीमतें बढ़ जाएंगी और मेक्सिको, तुर्की जैसे देश अमेरिकी आयातकों के लिए सस्ते विकल्प बन जाएंगे.

अमेरिका को भी होगा नुकसान

विशेषज्ञों का कहना है कि यह टैरिफ नीति अमेरिका को भी महंगी पड़ेगी. ज्‍यादा टैरिफ का मतलब है कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को वही सामान अब अधिक कीमत पर मिलेगा. आर्थिक विशेषज्ञ एस.पी. शर्मा के अनुसार, "यह कदम अमेरिकी महंगाई को और बढ़ा देगा. जब वहां महंगाई 2% से ऊपर जाती है तो आर्थिक विकास धीमा पड़ता है. पहले भी ट्रंप कार्यकाल (2017-2020) में अमेरिका की ग्रोथ दर घटकर 1.4% रह गई थी. अब फिर वही खतरा मंडरा रहा है."

भारत के पास क्या है विकल्प?

भारत के पास विकल्प सीमित हैं. रूस से तेल आयात बंद करने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि रूस से कच्चा तेल सस्ता मिलता है. वहीं, अगर निर्यात घटा तो रोजगार और विदेशी मुद्रा भंडार दोनों पर दबाव आएगा. हालांकि, भारत यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाजार तलाशने की कोशिश कर रहा है. साथ ही, घरेलू खपत बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि निर्यात में गिरावट का आंशिक नुकसान पूरा हो सके.

भारत की चिंताएं बढ़ीं

अमेरिकी टैरिफ से सबसे बड़ा फायदा चीन, वियतनाम, मेक्सिको और तुर्की को होगा. ये देश अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यात की जगह भर सकते हैं. भारत के लिए यह चिंता की बात है, क्योंकि अमेरिकी बाजार उसकी कुल निर्यात आय का 18% हिस्सा है. इतने बड़े हिस्से का नुकसान भारत की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक असर डालेगा.

राजनीतिक और कूटनीतिक पहलू

प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि भारत अपने किसानों और छोटे उद्योगों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत और अमेरिका इस टकराव को बातचीत से सुलझा पाएंगे या यह व्यापारिक युद्ध आगे बढ़ेगा. अगर यह तनाव लंबा खिंचा तो यह न केवल भारत बल्कि पूरी वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित करेगा.

Similar News