ट्रांसफर के बाद भी तेलंगाना हाईकोर्ट के जज ने नहीं छोड़ा कोर्ट, कर रहे सुनवाई, सुना रहे फैसले

तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस टी विनोद कुमार मद्रास हाईकोर्ट ट्रांसफर हो चुका है. इसके बाद भी वह पुराने कोर्ट में डटे हुए हैं. न सिर्फ सुनवाई कर रहे हैं, बल्कि फैसले भी सुना रहे हैं. आखिर क्यों ट्रांसफर के बावजूद कोर्ट नहीं छोड़ा गया? जानिए पूरा मामला. ऐसा करने की पीछे जस्टिस कुमार की क्या है उनकी मंशा?;

( Image Source:  https://tshc.gov.in/ )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 29 July 2025 9:15 AM IST

सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश और केंद्र सरकार द्वारा ट्रांसफर के आदेश का उल्लंघन करने का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न्यायिक व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. ट्रांसफर के बावजूद जज साहब अब भी अपने पुराने पद पर कार्यरत हैं. सुनवाई कर रहे हैं, फैसले सुना रहे हैं. जबकि उनका तबादला हो चुका है. सवाल उठ रहे हैं, यह सिर्फ एक लापरवाही है या कुछ और?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 जजों के ट्रांसफर की सिफारिश 26 मई को केंद्र सरकार से की थी. केंद्र ने 14 जुलाई को 19 जजों का ट्रांसफर कर दिया. 18 जज नए स्थान पर जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. ट्रांसफर किए गए जजों में तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस टी विनोद कुमार का नाम भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट में उनका ट्रांसफर कर दिया. ट्रांसफर के बाद भी एक जज लगातार पुराने कोर्ट में ही उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. साथ ही लगातार मामलों पर सुनवाई भी कर रहे हैं. खास बात है कि अन्य 18 जज अपनी नई जगहों पर पहुंच चुके हैं.

ट्रांसफर के बाद भी जज साहब पुराने कोर्ट में मौजूद

यह मामला तेलंगाना हाईकोर्ट का है, जहां एक न्यायाधीश तबादले के दो हफ्तों के बाद भी नई अदालत में नहीं पहुंचे हैं. हालांकि, उन्होंने इसकी वजह नहीं बताई है. कोर्ट रजिस्ट्रार ने भी पुष्टि की है कि वह कोर्ट में ही मौजूद हैं. ट्रांसफर की जानकारी मिलने के बाद किसी न्यायाधीश का ओल्ड कोर्ट में सुनवाई करना असामान्य है.

आमतौर पर जजों को अपने तबादले के बारे में कुछ दिन पहले ही पता लग जाता है और सूचना जारी होने के एक या दो दिन के बाद वह नई जगह चले जाते हैं. रिपोर्ट के अनुसार तेलंगाना हाईकोर्ट वेबसाइट का डेटा दिखाता है कि जस्टिस कुमार ट्रांसफर के बाद भी पुरानी कोर्ट में ही केस सुन रहे हैं. सोमवार को भी वह अदालत पहुंचे थे और कुछ पहले से रिजर्व्ड मामलों में फैसले भी सुनाए.

जस्टिस कुमार 1988 से हैं इस पेशे का हिस्सा 

जस्टिस कुमार ने वकील के तौर पर 1988 में शुरुआत की थी और अगस्त 2019 में बेंच का हिस्सा बने थे. तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार एस गोवर्धन रेड्डी ने भी जस्टिस कुमार के अदालत में भी आने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, 'हमें लॉर्डशिप की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है. जैसा कि आपने कहा, सर आ रहे हैं.... लॉर्डशिप ने काम जारी रखने के बारे में कुछ नहीं कहा है. जहां तक लॉर्डशिप के लगातार काम करने की बात है, तो उस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है.'

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