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White House में बैठा गोरा सीजफायर का एलान करेगा! जयशंकर के जवाब पर विपक्ष लाल- पढ़ें Op सिंदूर पर Top 5 नेताओं के बेबाक बोल

ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में गरमागरम बहस के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “क्या व्हाइट हाउस में कोई गोरा बैठकर सीजफायर का एलान करेगा?” इस बयान पर विपक्ष आगबबूला हो गया, जयशंकर, अमित शाह और अन्य मंत्रियों ने पाकिस्तान समर्थित नैरेटिव को बेनकाब करने का दावा किया। दूसरी ओर विपक्ष ने सरकार पर जवाबदेही से भागने का आरोप लगाया. पढ़ें सदन में दिए गए टॉप 5 नेताओं के बेबाक और बमकते बयान.

White House में बैठा गोरा सीजफायर का एलान करेगा! जयशंकर के जवाब पर विपक्ष लाल- पढ़ें Op सिंदूर पर Top 5 नेताओं के बेबाक बोल
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 28 July 2025 11:49 PM IST

संसद में सोमवार को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान भारी हंगामा देखने को मिला. जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस मुद्दे पर बयान दे रहे थे, तभी विपक्षी सांसदों ने बार-बार टोकाटाकी की, जिससे नाराज़ होकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपनी सीट से खड़े हो गए और विपक्ष पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि विपक्ष को अपने ही देश के विदेश मंत्री पर विश्वास नहीं है, लेकिन उन्हें दूसरे देशों पर ज्यादा भरोसा है.

जयशंकर के बयान पर क्यों कूंद पड़े अमित शाह?

गृह मंत्री ने विपक्ष के व्यवहार पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि जब उनके नेताओं की बारी थी तो सत्ता पक्ष ने ध्यान से सुना, लेकिन अब जब देश के लिए महत्वपूर्ण विषय पर विदेश मंत्री बोल रहे हैं तो विपक्ष केवल बाधा डालने में जुटा है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि यह रवैया जारी रहा तो एनडीए सांसदों को भी रोक पाना मुश्किल होगा.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में स्पष्ट किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए जा रहे बार-बार के सीज़फायर मध्यस्थता के दावे झूठे हैं. उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान 22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच कोई भी फोन कॉल या वार्ता नहीं हुई. जैसे ही जयशंकर ने यह बात कही, विपक्ष ने शोरगुल शुरू कर दिया.

विपक्षी दलों के रवैये से खफा अमित शाह ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि 'मुझे आपत्ति है कि इन्हें भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है, लेकिन किसी और देश पर है. मैं समझ सकता हूं कि इनके दल में विदेशी चीजों का महत्व ज्यादा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अपनी पार्टी की आदतें संसद पर थोपें। यही कारण है कि वे आज विपक्ष में बैठे हैं और अगले 20 साल वहीं बैठे रहेंगे.

विदेश मंत्री ने ट्रंप के दावों को कैसे किया चकनाचूर?

विदेश मंत्री ने बताया कि अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर पाकिस्तान की ओर से संभावित बड़े हमले की चेतावनी दी थी. इस पर पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत किसी भी हमले का और भी कठोर जवाब देगा. जयशंकर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने 9 और 10 मई को भारत पर दोबारा हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सुरक्षा बलों ने उन्हें नाकाम कर दिया.

जयशंकर ने कहा कि 10 मई को कई देशों ने भारत से संपर्क कर बताया कि पाकिस्तान सीज़फायर चाहता है. लेकिन भारत ने दो टूक जवाब दिया कि वह तब तक कोई वार्ता नहीं करेगा जब तक पाकिस्तान की ओर से आधिकारिक रूप से Director General of Military Operations (DGMO) के माध्यम से प्रस्ताव नहीं आता.

जयशंकर के संबोधन के दौरान लगातार हंगामे के बीच अमित शाह एक बार फिर बोले कि 'जब इनके नेता बोल रहे थे, हम चुपचाप सुन रहे थे। अब ये सच नहीं सुन पा रहे. मैं कल बताऊंगा कि इन्होंने कितने झूठ बोले हैं. जब इतना गंभीर विषय चल रहा है और विदेश मंत्री बोल रहे हैं, तो इस तरह की बाधा शोभा नहीं देती। स्पीकर साहब, इन्हें समझाइए नहीं तो आगे हमारे सांसदों को रोकना मुश्किल होगा.

आतंकवाद, जवाबदेही और विदेश नीति पर उठाए सवाल

सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते' बयान का हवाला देते हुए पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, 'अगर आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते, तो क्रिकेट मैच कैसे खेले जा सकते हैं?” उन्होंने पूछा कि क्या सरकार शहीदों के परिवारों से कह सकती है- हमने ऑपरेशन किया, अब मैच देखिए?'

दूसरा बड़ा सवाल ओवैसी ने देश की सुरक्षा प्रणाली पर उठाया. उन्होंने पूछा कि जब 7.5 लाख सुरक्षाबल तैनात हैं, फिर भी आतंकी देश में घुस आए, तो जवाबदेही किसकी है- एलजी, आईबी या किसी और की? उन्होंने कहा कि सिर्फ सैन्य कार्रवाई करना काफी नहीं, जवाबदेही तय करना भी उतना ही जरूरी है.

तीसरे बिंदु पर ओवैसी ने विदेश नीति और डिफेंस तैयारियों को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने अमेरिका पर निर्भर विदेश नीति, चीन की चुप्पी और सबमरीन व एयरक्राफ्ट कैरियर की कमी जैसे मुद्दे उठाते हुए कहा कि भारत को अगर खुद को 'विश्वगुरु' मानना है तो उसे FATF में पाकिस्तान के खिलाफ मजबूत भूमिका निभानी चाहिए.

'ट्रंप के सामने 56 इंच का सीना 36 इंच का हो जाता है'

संसद में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर विशेष चर्चा के पहले दिन सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस के डिप्टी लीडर गौरव गोगोई आमने-सामने आ गए. एक तरफ राजनाथ सिंह ने यूपीए सरकार की नाकामी पर निशाना साधा, वहीं दूसरी तरफ गोगोई ने सवाल उठाया कि 100 दिन बाद भी हमलावरों को सज़ा क्यों नहीं मिली.

रक्षा मंत्री ने बताया कि पाकिस्तान के खिलाफ चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि स्थगित हुआ है. वहीं, विपक्ष ने सरकार की पारदर्शिता, सुरक्षा चूक और आतंकियों की घुसपैठ जैसे मुद्दों पर तीखे सवाल खड़े किए. राजनाथ सिंह का जवाब: "हमने पाकिस्तान की गलतफहमी दूर कर दी" रक्षा मंत्री ने कहा, हमने पाकिस्तान के सामने शांति का प्रस्ताव रखा है, लेकिन हम वो भाषा भी जानते हैं जो उन्हें समझ आती है. पाकिस्तान को हमारे इरादों की गलतफहमी थी, जिसे हमने दूर कर दिया है.

उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सभी राजनीतिक दलों ने सरकार को समर्थन दिया, लेकिन युद्ध से जुड़ी संवेदनशील जानकारियाँ सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा. कैसे परीक्षा पास की ये नहीं, परिणाम मायने रखता है. विपक्ष पूछता है कि हमारे कितने विमान गिरे, लेकिन ये नहीं पूछते कि हमने कितने दुश्मन विमान गिराए.

'2016 उरी, 2019 बालाकोट और अब 2025'

रक्षा मंत्री ने मोदी सरकार की सैन्य नीति को दोहराते हुए कहा कि जो नीति आज अपनाई जा रही है, वह पहले भी अपनाई जा सकती थी. प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘कोएलिशन इयर्स’ में लिखा है कि 26/11 के बाद कैबिनेट में सैन्य कार्रवाई पर बहस हुई थी, लेकिन उन्होंने खुद उसे खारिज कर दिया। अगर वह नीति पहले अपनाई गई होती, तो हालात अलग होते.

गौरव गोगोई का सवाल: “पाकिस्तान घुसा कैसे, जवाब कौन देगा?

विपक्ष की ओर से गोगोई ने सरकार से पूछा, '100 दिन हो गए पहलगाम हमले को, 26 लोग मारे गए, लेकिन हमलावरों को सज़ा क्यों नहीं मिली? जब हालात हमारे पक्ष में थे, तो PoK क्यों नहीं लिया? उन्होंने यह भी पूछा कि जब गृह मंत्री खुद हमले से एक हफ्ता पहले जम्मू-कश्मीर का सुरक्षा आकलन कर रहे थे, तो आतंकवादी देश में कैसे घुस गए?

'घटाए गए टारगेट, बढ़ा दिया गया खतरा'

गोगोई ने कहा कि सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर लोगों को घाटी भेजा, जबकि खुफिया रिपोर्टों में बताया गया था कि आतंकी टारगेट 21 से घटाकर 9 कर दिए गए थे. क्या सरकार ने पारदर्शिता बरती? क्या देश जानता है कि हमले के पीछे कौन था?” उन्होंने पूछा, जेडीयू नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर में हमने 9 आतंकी कैंप तबाह किए, लेकिन एक भी पाकिस्तानी नागरिक को चोट नहीं आई. मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकी नेता रो रहे थे. गोगोई , आप वोट के लिए बोलते हैं, मोदी जी देश के लिए. टीडीपी नेता लवु श्री कृष्ण देवालयुलु ने कहा कि 'भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया है – भारत इंतज़ार कर सकता है, लेकिन भूलता नहीं. बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि पिछली सरकारें पाकिस्तान को केवल मनाती रहीं.

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