एक टी-बैग से शरीर में पहुंच रहे इतने माइक्रोप्लास्टिक, स्वाद की एक चुस्की बन रही जान को खतरा!
अगर आप टी बैग से बनी चाय पसंद करते हैं, तो शायद इस जानकारी के बाद आपकी पसंद बदलने वाली है. इसे लेकर एक रिसर्च की गई है. जिसमें खुलासा हुआ कि ये टी-बैग गर्म पान में जाते ही माइक्रो और नैनोप्लास्टिक के लाखों को कणों को छोड़ते हैं. ये आपके शरीर को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं.;
अगर आप चाय पीने के शौकीन हैं और टी बैग से बनी चाय पीना पसंद करते हैं तो ये जानकारी आपकी सेहत के लिए काफी अहम होने वाली है. दरअसल टी बैग से बनी चाय किसी की सेहत के लिए सुरक्षित नहीं है. इसे लेकर एक रिसर्ट की गई जिसमें खुलासा हुआ कि इसमें माइक्रोप्लास्टिक के लाखों कण मौजूद होते हैं. यही माइक्रोप्लास्टिक गर्म पानी में जाने के बाद नैनोप्लास्टिक्स (एमएनपीएल) के लाखों कण छोड़ते हैं, और कई तरह से शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
यह आपके शरीर के कई हिस्सों पर असर डाल सकता है. रिसर्चर्स के अनुसार इन माइक्रोप्लास्टिक का आकार एक माइक्रोमीटर से पांच मिलीमीटर के बीच होता है. इन पतले कणों में जहरीले और प्रदूषित केमिकल मौजूद होते हैं. जो किसी के लिए भी नुकसानदाय हैं.
शरीर में फैलकर पहुंचा सकते नुकसान
रिसर्चर्स का कहना है कि जब इसपर रिसर्च की गई तो पाया गया कि एक टी बैग द्वारा छोड़े गए प्लास्टिक हमारी आंतों के सेल्स द्वारा एब्सोर्ब किए जा सकते हैं. इसी से ये हमारे खून में भी प्रवेश कर सकते हैं, और खून से प्रवेश कर पूरे शरीर के अंदर फैल सकते हैं. जानकारी के अनुसार इन्हें आमतौर पर नायलॉन-6, पॉलीप्रोपाइलीन और सेल्योज जैसी चीजों से तैयार किया जाता है. हालांकि रिसर्चर्स ने अलग-अलग टी बैग की पहचान अपनी इस रीसर्च से की है.
इन टी-बैग पर हुई रिसर्च
आपको बता दें कि इससे पहले भी कई बार टी-बैग्स पर रिसर्च की जा चुकी है. इस बार तीन टी-बैग पर रिसर्च किया गया. इसमें पहले पॉलीप्रोपाइलीन से बनी टी बैग जो प्रति मिलीलीटर लगभग 1.2 बिलियन कण छोड़ते हैं. इनके साइज की बात करें तो लगभग 136.7 नैनोमीटर था. दूसरा सेल्यूलोज बैग ने प्रति मिलीलीटर औसतन 135 मिलियन कण छोड़े, जिनका आकार लगभग 244 नैनोमीटर था. तीसरा टी- बैग नायलॉन-6 बैग था जो आम तौर पर प्रति मिलीलीटर 8.18 मिलियन कण छोड़े, जिनका आकार औसतन 138.4 नैनोमीटर था.
चाय के शौकीन कई लोग
चाय पीना सिर्फ भारत ही नहीं कई देशों में पसंद किया जाता है. थकावट से लेकर घर में महमानों के स्वागत के लिए चाय को सर्व किया जाता है. लेकिन इन दिनों बिजी लाइफस्टाइल के कारण लोगों के पास चाय बनाने का भी समय नहीं होता. इसलिए टी बैग का इस्तेमाल भारी मात्रा में किया जाने लगा है. अकसर होटल, ऑफिस में इनका इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है. इसी कारण से रिसर्चर्स ने ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी ऑफ बार्सिलोना से जुड़े रिसर्चर्स ने अलग-अलग तरह के टी-बैग को लेकर रिसर्च किया और इन प्लास्टिक की मौजूदगी की पहचान की है.