पहले से शुरू की गई सरोगेसी पर कोई उम्र सीमा नहीं... सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, पूछे तीखे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि 2021 के सरोगेसी कानून में तय की गई आयु सीमा उन दंपतियों पर लागू नहीं होगी जिन्होंने कानून लागू होने से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू कर दी थी, जैसे कि एम्ब्रियो फ्रीजिंग. अदालत ने तीन दंपतियों की याचिकाओं को मंजूरी देते हुए उन्हें बिना किसी कानूनी बाधा के सरोगेसी जारी रखने की अनुमति दी. कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब प्रजनन पर कोई आयु सीमा नहीं है तो सरोगेसी पर क्यों हो. यह फैसला उन दंपतियों के लिए बड़ी राहत है जो पहले से फ्रीज किए गए एम्ब्रियो के साथ प्रक्रिया में थे.;
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि सरोगेसी कानून (Surrogacy Regulation Act) में तय की गई उम्र सीमा उन कपल्स पर लागू नहीं होगी, जिन्होंने इस कानून के लागू होने से पहले ही सरोगेसी प्रक्रिया, जैसे- एंब्रियो (embryo) फ्रीज़िंग, शुरू कर दी थी. अदालत ने ऐसे तीन कपल्स की याचिकाओं को मंजूरी दी, जिन्हें अब अपनी सरोगेसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति मिल गई है.
मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से सवाल किया कि जब प्राकृतिक रूप से माता-पिता बनने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं है, तो सरोगेसी के लिए ऐसी पाबंदी क्यों लगाई गई? कोर्ट ने कहा, “जब बच्चे को जन्म देने के लिए कोई कानूनी उम्र सीमा तय नहीं है, तो सरोगेसी पर ऐसी रोक का औचित्य क्या है?” हालांकि, अदालत ने अभी सरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) एक्ट, 2021 की संवैधानिक वैधता पर कोई टिप्पणी नहीं की.
वर्तमान कानून क्या कहता है?
वर्तमान कानून के अनुसार,
- इंटेंडिंग मदर (मां बनने की इच्छुक महिला) की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
- इंटेंडिंग फादर (पिता बनने के इच्छुक पुरुष) की उम्र 26 से 55 वर्ष के बीच तय की गई है.
- सरोगेट मदर को विवाहित होना अनिवार्य है, उसकी उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए और उसके पास अपना एक जैविक बच्चा होना चाहिए. वह केवल एक बार ही सरोगेसी कर सकती है.
- अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा महिला, जिनकी उम्र 35 से 45 वर्ष के बीच है, वे भी सरोगेसी करा सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तीन कपल्स को मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन तमाम कपल्स को बड़ी राहत मिली है, जिन्होंने कानून लागू होने से पहले अपने एंब्रियो फ्रीज़ करा लिए थे. अब वे बिना किसी कानूनी उम्र सीमा के प्रतिबंध के अपनी सरोगेसी प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकेंगे. यह निर्णय न केवल इन तीन कपल्स के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भविष्य में सरोगेसी कानून की कुछ धाराओं की पुनर्समीक्षा की जा सकती है ताकि वास्तविक परिस्थितियों में फंसे लोगों को न्याय मिल सके.