'पूरी विपक्षी राजनीति फैमिली बिजनेस’, शशि थरूर ने बिहार चुनाव में बीजेपी को दे दिया मसाला; कांग्रेस क्‍या बोली?

कांग्रेस सांसद शशि थरूर के वंशवाद पर लिखे लेख ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है. थरूर ने अपने लेख में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों की वंशवादी राजनीति को भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा बताया. बीजेपी ने उनके लेख का स्वागत करते हुए गांधी परिवार पर निशाना साधा. कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि जनता तय करती है और वंशवाद सिर्फ राजनीति में नहीं बल्कि हर क्षेत्र में मौजूद है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 3 Nov 2025 11:34 PM IST

Shashi Tharoor dynasty politics, Congress nepotism debate: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच भारतीय राजनीति में वंशवाद पर बहस एक बार फिर गरमा गई है. इस बार चर्चा की वजह हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर, जिनके ताज़ा लेख ने राजनीतिक हलकों में नया तूफान पैदा कर दिया है. थरूर ने अपने लेख में देश की राजनीति को ‘फैमिली बिज़नेस’ की तरह चलाए जाने पर सवाल उठाते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए 'गंभीर खतरा' बताया है.

प्रोजेक्ट सिंडिकेट में प्रकाशित 'Indian Politics Are a Family Business' शीर्षक वाले इस लेख में थरूर ने कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों पर निशाना साधा और कहा कि कई पार्टियों में नेतृत्व परिवारों के हाथों में सिमट गया है. उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार का उल्लेख करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तक, कांग्रेस में नेतृत्व अक्सर पीढ़ियों के आधार पर बदला गया है, जिससे 'नेतृत्व को जन्मसिद्ध अधिकार' मानने की सोच को बढ़ावा मिला.

थरूर ने न सिर्फ कांग्रेस बल्कि समाजवादी पार्टी, आरजेडी, शिवसेना (यूबीटी), डीएमके और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों का भी जिक्र किया, जहां नेतृत्व पिता से बेटे और फिर अगली पीढ़ी तक जाता दिखा है. उन्होंने उद्धव ठाकरे–आदित्य ठाकरे, मुलायम सिंह–अखिलेश यादव, फारूक अब्दुल्ला–उमर अब्दुल्ला और करुणानिधि–स्टालिन जैसे उदाहरण देकर कहा कि वंशवाद एक व्यापक समस्या है.

BJP का पलटवार और राजनीतिक तंज

थरूर के इस लेख को बीजेपी ने हाथों-हाथ लिया और कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका नहीं गंवाया. BJP प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने इसे 'बेहद सटीक और साहसिक' बताते हुए कहा कि थरूर ने सीधे-सीधे गांधी परिवार की वंशवादी राजनीति को बेनकाब किया है. उन्होंने पोस्ट कर लिखा, “डॉ. थरूर ‘खतरों के खिलाड़ी’ बन गए हैं. उन्होंने सीधे नाम लेकर भारत के राजनीतिक ‘Nepo Kids’ पर वार किया है. 2017 में जब मैंने राहुल गांधी को ‘नेपो नामदार’ कहा था, तब मेरे साथ क्या हुआ-उसे सब जानते हैं. थरूर जी के लिए प्रार्थना कर रहा हूं.”

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी थरूर की टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा कि यह अनुभव पर आधारित है. इससे कांग्रेस और आरजेडी जैसे परिवार आधारित दलों को ठेस पहुंचेगी.

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने थरूर के लेख के महत्व को कम करने की कोशिश की. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, “वंशवाद सिर्फ राजनीति में नहीं, सभी क्षेत्रों में है. जनता तय करती है कि कौन जीतेगा. किसी व्यक्ति के परिवार की वजह से चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती.”

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब थरूर ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया हो. इससे पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिप्लोमेसी और कार्यशैली की तारीफ कर चुके हैं. हाल ही में वे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत की वैश्विक कूटनीतिक पहल का नेतृत्व करते हुए अमेरिकाओं सहित कई देशों का दौरा कर चुके हैं, जिसे कई विश्लेषकों ने केंद्र सरकार के प्रति उनके झुकाव का संकेत माना.

क्या भारत की राजनीति में बदलाव का समय आ गया है? 

थरूर के लेख ने एक पुरानी बहस को नए सिरे से जगा दिया है- क्या भारत की राजनीति में बदलाव का समय आ गया है? क्या पार्टियों में मेरिटोक्रेसी और आंतरिक लोकतंत्र को बढ़ावा मिलेगा? या फिर यह बहस भी चुनावी राजनीति का एक हिस्सा बनकर रह जाएगी? उत्तर जो भी हो, एक बात साफ है कि शशि थरूर ने एक बार फिर कांग्रेस और भारत की राजनीति में विचार विमर्श का तूफान खड़ा कर दिया है.

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