महज रथ यात्रा से उनके जीवन को नहीं आंक सकते...थरूर ने की आडवाणी की तारीफ तो मचा बवाल, कांग्रेस बोली- यह पार्टी की राय नहीं
कांग्रेस नेता शशि थरूर द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी की प्रशंसा करने पर पार्टी ने खुद को उनसे अलग कर लिया है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि थरूर का बयान उनका व्यक्तिगत विचार है, पार्टी की आधिकारिक राय नहीं. थरूर ने अडवाणी की रथ यात्रा को 'पूरे करियर का प्रतीक' मानने से इनकार किया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर आलोचना हुई. यह विवाद थरूर बनाम कांग्रेस की जारी वैचारिक खींचतान को एक बार फिर उजागर करता है.;
Shashi Tharoor LK Advani Rath Yatra remarks: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर द्वारा भाजपा के संस्थापक नेताओं में से एक लाल कृष्ण आडवाणी की राजनीतिक विरासत की सराहना किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने उनसे दूरी बना ली है. पार्टी ने साफ कहा है कि थरूर का यह बयान उनका व्यक्तिगत विचार है और यह कांग्रेस की आधिकारिक राय नहीं है.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार को कहा, “हमेशा की तरह डॉ. शशि थरूर अपने लिए बोलते हैं. कांग्रेस पार्टी उनके इस हालिया बयान से पूरी तरह असहमत है. यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं.” हालांकि, खेड़ा ने यह भी जोड़ा कि थरूर का ऐसा करना इस बात का प्रतीक है कि कांग्रेस के अंदर अब भी लोकतांत्रिक और उदारवादी सोच जिंदा है.
थरूर का अडवाणी के लिए सम्मान भरा ट्वीट
थरूर ने हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी को 98वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी थीं. उन्होंने लिखा, “आडवाणी जी का सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण, उनकी विनम्रता और मर्यादा आधुनिक भारत की राजनीति को दिशा देने वाली रही है. उन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.” इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि “आडवाणी जी के लंबे सार्वजनिक जीवन को सिर्फ एक घटना, रथ यात्रा, से आंकना अनुचित होगा, जैसे नेहरूजी को सिर्फ चीन युद्ध या इंदिरा गांधी को सिर्फ इमरजेंसी से परिभाषित नहीं किया जा सकता.”
आलोचना और राजनीतिक प्रतिक्रिया
थरूर के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं. सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े ने लिखा, “देश में नफरत के बीज बोना सार्वजनिक सेवा नहीं है. रथ यात्रा कोई एक घटना नहीं थी, बल्कि उसने भारतीय गणराज्य के मूल सिद्धांतों को उलट दिया.”
भारतीय राजनीति का टर्निंग पॉइंट मानी जाता है रथ यात्रा
दरअसल, आडवाणी की 1990 की रथ यात्रा, जो सोमनाथ से अयोध्या तक चली थी, को भारतीय राजनीति का टर्निंग पॉइंट माना जाता है. यह यात्रा बाबरी मस्जिद विध्वंस (1992) की पृष्ठभूमि में एक अहम भूमिका निभाने वाली मानी जाती है.
थरूर बनाम कांग्रेस, पुराना विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब शशि थरूर का बयान कांग्रेस नेतृत्व को असहज स्थिति में डाल चुका है. इस साल की शुरुआत में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ नीतियों की सराहना की थी, जिसके बाद केरल कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें 'पार्टी लाइन से हटने वाला' कहा था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा था, “कांग्रेस के लिए देश पहले है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मोदी पहले हैं.”
थरूर ने वंशवादी राजनीति को बताया था 'लोकतंत्र के लिए खतरा'
हाल में, थरूर ने एक Project Syndicate लेख में भारत की वंशवादी राजनीति को 'लोकतंत्र के लिए खतरा' बताया था, जिसमें उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार का भी उल्लेख किया था. उनके इन विचारों ने पार्टी के अंदर असहजता पैदा की थी, लेकिन थरूर ने तब कहा था, “मेरी पहली निष्ठा राष्ट्र के प्रति है, पार्टी उसके बाद.”
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि थरूर का यह रुख उन्हें कांग्रेस में एक 'स्वतंत्र विचारक' के रूप में स्थापित करता है, लेकिन साथ ही पार्टी लाइन से बार-बार विचलन उनके भविष्य के लिए चुनौती भी बन सकता है.