SHANTI या TRUMP Act? कांग्रेस का मोदी सरकार पर बड़ा हमला, कहा- US के लिए बदला न्यूक्लियर कानून, संसद में ‘बुलडोज’ कर पास हुआ बिल

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने SHANTI बिल को संसद में जल्दबाज़ी से पारित कराने पर मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल अमेरिकी दबाव में लाया गया, ताकि न्यूक्लियर लायबिलिटी नियमों को अंतरराष्ट्रीय, विशेषकर अमेरिकी मानकों के अनुरूप ढाला जा सके. रमेश ने SHANTI कानून को 'TRUMP Act' तक बताया, जबकि सरकार इसे भारत की ऊर्जा नीति में बड़ा बदलाव बता रही है.;

( Image Source:  ANI )

Jairam Ramesh attacks Modi Government: कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने शनिवार को SHANTI बिल (Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India) के संसद से पारित होने को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि इस अहम विधेयक को संसद में बिना पर्याप्त चर्चा के 'बुलडोज़' कर पास कराया गया, ताकि अमेरिकी हितों को साधा जा सके और प्रधानमंत्री अपने 'एक समय के अच्छे दोस्त' के साथ फिर से SHANTI स्थापित कर सकें. हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम नहीं लिया.

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जयराम रमेश का यह हमला ऐसे समय आया है, जब हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप ने US National Defence Authorization Act (NDAA) for FY 2026 पर हस्ताक्षर किए हैं. इस अमेरिकी कानून में भारत और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर लायबिलिटी नियमों को लेकर संयुक्त आकलन (Joint Assessment) का स्पष्ट उल्लेख किया गया है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि इसी अमेरिकी कानून से SHANTI बिल को जल्दबाज़ी में पारित कराने की 'असली वजह' सामने आ गई है.


SHANTI बिल को जल्दबाज़ी में पारित कराने की 'असली वजह' सामने आ गई: जयराम रमेश

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह अमेरिकी अधिनियम 3,000 से अधिक पन्नों का है और इसके पेज नंबर 1912 पर भारत-अमेरिका के बीच न्यूक्लियर लायबिलिटी फ्रेमवर्क को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने की बात दर्ज है. उन्होंने उस हिस्से के स्क्रीनशॉट भी साझा किए.  रमेश ने कहा, “अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री ने इस हफ्ते SHANTI बिल को क्यों संसद से जबरन पास कराया. इसका मकसद 2010 के Civil Liability for Nuclear Damage Act की अहम धाराओं को हटाना और अपने एक समय के अच्छे दोस्त के साथ फिर से SHANTI बहाल करना था.” उन्होंने तंज कसते हुए SHANTI कानून को 'TRUMP Act – The Reactor Use and Management Promise Act' तक करार दे दिया.



जयराम रमेश ने अमेरिकी NDAA के उस खंड की ओर भी इशारा किया, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका का विदेश मंत्रालय भारत के साथ एक संयुक्त परामर्श तंत्र बनाए रखेगा. इसके तहत 2008 के भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के क्रियान्वयन, भारत के घरेलू न्यूक्लियर लायबिलिटी कानूनों को अंतरराष्ट्रीय मानकों से जोड़ने और द्विपक्षीय व बहुपक्षीय कूटनीतिक रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी.


SHANTI बिल से भारत के सिविल न्यूक्लियर ढांचे में होगा बड़ा बदलाव 

गौरतलब है कि संसद से पारित हो चुका SHANTI बिल भारत के सिविल न्यूक्लियर ढांचे में बड़े बदलाव करता है. यह परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलता है और दो अहम कानूनों, Atomic Energy Act, 1962 और Civil Liability for Nuclear Damage Act, 2010 को निरस्त करता है.


विपक्षी दलों ने  बिल पर जताया कड़ा विरोध

विपक्षी दलों ने इस बिल पर कड़ा विरोध जताया. उनका तर्क था कि Supplier Liability से जुड़े प्रावधान हटाए जाने से किसी परमाणु हादसे की स्थिति में आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. विपक्ष ने बिल को संसदीय समिति को भेजने की मांग भी की, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया. अंततः यह विधेयक लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में बिना विस्तृत चर्चा के वॉइस वोट से मंजूर कर लिया गया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की ऊर्जा नीति के लिए 'Transformational Moment' बताया, जबकि कांग्रेस का कहना है कि यह कदम 2010 में बनी संसदीय सहमति को कमजोर करता है और राष्ट्रीय हितों से समझौता कर बाहरी ताकतों को खुश करने की कोशिश है.

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