दिल्ली के पास सीक्रेट जगह, तहखाने में रिक्रूटमेंट सेंटर, LTTE जैसी महिला विंग; आतंकी डॉक्टर शाहीन पर क्या-क्या हुए खुलासे?
दिल्ली ब्लास्ट केस अब सामान्य हादसा नहीं, बल्कि एक संगठित आतंकी साजिश बनकर सामने आया है. जांच में खुलासा हुआ है कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी लेडी कमांडर डॉ. शाहीन भारत में महिला आतंकी विंग तैयार कर रही थी. वह डॉक्टर बनकर गरीब मुस्लिम लड़कियों को जिहाद की राह पर ले जाने की कोशिश में थी. फरीदाबाद में 2,900 किलो विस्फोटक मिलने और लाल किला धमाके के तार इसी मॉड्यूल से जुड़ते हैं. NIA, ATS और स्पेशल सेल अब ‘डॉक्टरों के टेरर नेटवर्क’ की जड़ तक पहुंचने में जुटी हैं.;
दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके को लेकर अब तक जितनी जानकारी सामने आई है, उसने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. शुरुआती जांच में जिसे हादसा माना गया था, अब साफ हो चुका है कि यह एक सुनियोजित आतंकी हमला था. इस ब्लास्ट का सीधा कनेक्शन हरियाणा के फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से निकल रहा है. जहां डॉक्टरों के भेष में आतंक की लैब चल रही थी.
डॉक्टर उमर और डॉ. शाहीन के नाम सामने आने के बाद जांच एजेंसियों ने अब इस केस को “डॉक्टरों का आतंकी नेटवर्क” बताया है. ये वो नेटवर्क था जो अस्पतालों और मेडिकल इंस्टीट्यूट्स की आड़ में जिहादी मिशन चला रहा था. सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से आतंकी घटना घोषित कर दिया है, और अब ATS, NIA, और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल इसकी परत-दर-परत जांच में जुटी हैं.
इलाज के बहाने जिहाद
डॉ. शाहीन एक ऐसे क्लिनिक की तैयारी में थी, जहां ऊपर इलाज चलता और नीचे तहखाने में “रिक्रूट सेंटर” बनता. यह जगह उन गरीब मुस्लिम लड़कियों के लिए जाल थी, जिन्हें जिहादी सोच में ढालने का प्लान बनाया गया था. बताया जा रहा है कि वह इन लड़कियों के नाम पर फंडिंग भी जुटाती थी और जैश से सीधा आर्थिक सहयोग लेती थी.
दिल्ली के नजदीक बनाना चाहती थी ‘टेरर ट्रेनिंग हब’
जांच में सामने आया है कि डॉ. शाहीन उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और हापुड़ में एक गुप्त ट्रेनिंग कैंप की तलाश में थी. यहां महिला रिक्रूट को जिहादी ट्रेनिंग देने की तैयारी थी. पाकिस्तान से फंडिंग और तकनीकी सहायता मिलने के संकेत भी एजेंसियों को मिले हैं. जांच अधिकारी मानते हैं, “अगर समय रहते मॉड्यूल का पर्दाफाश न होता, तो यह देश के खिलाफ बड़ा हमला बन सकता था.”
LTTE की तरह बनाना चाहती थी वूमेन ब्रिगेड
जांच एजेंसियों के मुताबिक, डॉ. शाहीन का सपना था भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग खड़ी करना. वह श्रीलंका के आतंकी संगठन LTTE की तरह “वूमेन ब्रिगेड” तैयार करना चाहती थी. खुफिया सूत्रों के अनुसार, शाहीन ने लिट्टे पर कई आर्टिकल पढ़े और उसी मॉडल को फॉलो करने की कोशिश की. एजेंसियों ने उसे “हार्डकोर रेडिकल माइंड” बताया है.
शाहीन के नेटवर्क का खुलासा
डॉ. शाहीन का भाई डॉ. परवेज भी जांच के घेरे में है. एजेंसियां उसके लखनऊ स्थित घर से जब्त किए गए मोबाइल, लैपटॉप और हार्ड डिस्क की जांच कर रही हैं. शुरुआती डाटा से पता चला है कि वह कई संदिग्धों के संपर्क में थी, जिनसे वह टेलीग्राम और सिग्नल ऐप्स पर बात करती थी.
ATS की पूछताछ से खुल रहे राज़
UP ATS ने उन डॉक्टरों से पूछताछ शुरू कर दी है जो शाहीन के संपर्क में रहे. कई मेडिकल कॉन्फ्रेंसेज़ और NGO प्रोजेक्ट्स के ज़रिए वह इनसे जुड़ती थी. जिन लोकेशन्स पर वह गई, उनके GPS रिकॉर्ड निकाले जा रहे हैं. एजेंसी सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.
कौन है डॉक्टर से आतंकी बनी शाहीन?
लखनऊ की रहने वाली 46 वर्षीय डॉ. शाहीन कभी मेडिकल कॉलेज की टॉपर मानी जाती थी. सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू कर उसने एमबीबीएस किया और प्रोफेसर बनी. पर धीरे-धीरे उसने कट्टरपंथी विचारधारा अपनाई. बताया जाता है कि दिल्ली ब्लास्ट आरोपी डॉक्टर मुजम्मिल से उसके रिश्ते थे और इसी कड़ी ने उसे टेरर मॉड्यूल में शामिल किया.
फरीदाबाद में ‘डॉक्टरों की लैब’ से निकले विस्फोटक
दिल्ली धमाके से पहले हरियाणा के फरीदाबाद में ATS ने 2,900 किलो से ज्यादा विस्फोटक और हथियार बरामद किए थे. यह स्टॉक अल-फलाह यूनिवर्सिटी के एक लैब से मिला, जहां कई डॉक्टर और रिसर्च स्कॉलर्स संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थे. उसी नेटवर्क से फरार डॉक्टर उमर ने लाल किले के पास धमाका किया, जिसमें खुद उसकी भी मौत हो गई.
एजुकेशन के नाम पर आतंक
डॉ. शाहीन और उमर के केस ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है. यह सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि शिक्षा और पेशे की आड़ में पलता ‘इंटेलेक्चुअल टेररिज्म’ है. अब एजेंसियां इस पूरे मॉड्यूल की जड़ तक जाने के लिए साइबर सेल, एनआईए और IB की संयुक्त टीम बना रही हैं. सवाल यही है- जब डॉक्टर बम बनाने लगें, तो समाज को कौन बचाएगा?