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Delhi Lal Qila Blast: क्‍या बाबरी विध्‍वंस का बदला लेने की फिराक में थे आतंकी, 6 दिसंबर को 6 धमाके करने की थी तैयारी

दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट की जांच में खुलासा हुआ है कि ‘डॉक्टर मॉड्यूल’ नामक जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा आतंकी नेटवर्क 6 दिसंबर को दिल्ली-NCR में 6 धमाके करने की साजिश रच रहा था. यह तारीख बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी होने के कारण चुनी गई थी. एनडीटीवी के अनुसार, मॉड्यूल में डॉक्टर शामिल थे और उन्होंने नूंह व गुरुग्राम से विस्फोटक जुटाए थे. गिरफ्तार आतंकी उमर मोहम्मद ने साथियों की गिरफ्तारी के बाद घबराहट में कार ब्लास्ट किया.

Delhi Lal Qila Blast: क्‍या बाबरी विध्‍वंस का बदला लेने की फिराक में थे आतंकी, 6 दिसंबर को 6 धमाके करने की थी तैयारी
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 13 Nov 2025 10:54 AM

दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच में अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जांच एजेंसियों को पता चला है कि इस धमाके के पीछे एक खतरनाक आतंक मॉड्यूल काम कर रहा था, जिसे ‘डॉक्टर मॉड्यूल’ कहा जा रहा है. इस मॉड्यूल के सदस्य शिक्षित पेशेवर हैं - जिनमें डॉक्टर शामिल हैं - और इनका सीधा संबंध आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से बताया जा रहा है. जांच में सामने आया है कि इन आतंकियों ने 6 दिसंबर को दिल्ली-NCR में 6 जगहों पर धमाका करने की योजना बनाई थी.

यह तारीख यूं ही नहीं चुनी गई थी - 6 दिसंबर, 1992, जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पूछताछ में गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों ने खुलासा किया है कि उन्होंने यह तारीख ‘बाबरी मस्जिद का बदला’ लेने के लिए चुनी थी. जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस मॉड्यूल ने एक पांच-फेज़ का ऑपरेशन प्लान तैयार किया था ताकि राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में सीरियल ब्लास्ट किए जा सकें.

पांच-फेज़ के ऑपरेशन का था प्लान

  • फेज़ 1: जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़े आतंकी नेटवर्क का गठन किया गया.
  • फेज़ 2: आईईडी (Improvised Explosive Devices) बनाने के लिए कच्चा माल और हथियारों की व्यवस्था की गई, जो हरियाणा के नूंह और गुरुग्राम से जुटाया गया.
  • फेज़ 3: रासायनिक विस्फोटकों का निर्माण और संभावित टारगेट इलाकों की रेकी.
  • फेज़ 4: तैयार किए गए बमों को मॉड्यूल के विभिन्न सदस्यों के बीच बांटा गया.
  • फेज़ 5 (अंतिम): दिल्ली और आसपास के 6 से 7 लोकेशंस पर एक साथ धमाके करने की योजना.

जांच अधिकारियों के अनुसार, मूल रूप से यह हमला अगस्त 2025 में करने की योजना थी, लेकिन ऑपरेशनल देरी के कारण तारीख बदलकर 6 दिसंबर रखी गई - यानी बाबरी विध्वंस की बरसी.

बाबरी विध्वंस को लेकर पहले भी धमकियां देता रहा है जैश-ए-मोहम्मद

गौरतलब है कि 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद, जिसे भगवान राम के जन्मस्थान पर बना माना जाता है, 1992 में भीड़ द्वारा गिरा दी गई थी. इसके बाद लंबे कानूनी संघर्ष के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, जिसकी शुरुआत 2020 में हुई और हाल ही में इसका निर्माण पूरा हुआ.

अधिकारियों का कहना है कि जैश-ए-मोहम्मद वर्षों से बाबरी मस्जिद के विध्वंस को लेकर बदले की धमकियां देता आया है. जैश प्रमुख मसूद अजहर ने अपने लेखों और साप्ताहिक कॉलमों में बार-बार अयोध्या को निशाना बनाने की बात कही है.

धमाक से पहले फरीदाबाद से बड़ी मात्रा में बरामद किए गए विस्‍फोटक

जांच में यह भी सामने आया है कि 12 लोगों की मौत और 20 से अधिक लोगों के घायल होने वाली कार ब्लास्ट की घटना के पीछे इसी नेटवर्क का हाथ था. यह कार लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक ट्रैफिक सिग्नल के पास फटी थी. इस कार को डॉ. उमर मोहम्मद उर्फ उमर-उल-नबी चला रहा था, जो फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत एक कश्मीरी डॉक्टर था. धमाके से पहले पुलिस ने फरीदाबाद में छापेमारी कर करीब 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री (संभावित रूप से अमोनियम नाइट्रेट) बरामद की. इसके साथ ही दो अन्य डॉक्टर - मुजम्मिल शेख और शाहीन सईद - को गिरफ्तार किया गया, जो कथित तौर पर इस नए मॉड्यूल के सदस्य हैं.

पढ़े-लिखे आतंकियों का नेटवर्क

एजेंसियों का कहना है कि यह मॉड्यूल उच्च शिक्षित आतंकियों का नेटवर्क है, जो मेडिकल, इंजीनियरिंग और साइंस बैकग्राउंड वाले युवाओं से बना है. इनका उद्देश्य था - एक ऐसे दिन पर भारत की राजधानी को दहलाना, जो सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील प्रतीक रखता है. जांचकर्ताओं का मानना है कि उमर मोहम्मद ने अपने साथियों की गिरफ्तारी के बाद घबराहट में यह ब्लास्ट किया, क्योंकि उसे डर था कि पुलिस जल्द ही बाकी नेटवर्क तक पहुंच जाएगी. यानी यह धमाका उसके पूरे मिशन के नाकाम होने से पहले एक डिस्परेट मूव था.

फिलहाल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, NIA और IB इस पूरे नेटवर्क की फंडिंग, विदेशी कनेक्शन और डिजिटल कम्युनिकेशन चैनल्स की जांच कर रही हैं. शुरुआती संकेत बताते हैं कि इस ऑपरेशन के लिए क्रिप्टो ट्रांजेक्शन के जरिए फंड भेजे गए थे और कई प्लान्स पाकिस्तान से संचालित व्हाट्सएप ग्रुप्स में बने थे. जांच एजेंसियों का मानना है कि अगर यह साजिश कामयाब होती, तो 6 दिसंबर का दिन दिल्ली के इतिहास का सबसे खौफनाक दिन बन सकता था.

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