2 करोड़ का प्रोजेक्ट, ना क्रेडिट मिला ना पैसा... 'माझी शाळा’ विवाद कैसे बना रोहित आर्य की मौत की वजह? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

मुंबई के पवई में फ़िल्ममेकर रोहित आर्य ने 17 बच्चों और एक महिला को ऑडिशन के नाम पर स्टूडियो में बंधक बनाया. रोहित का आरोप था कि उसकी फिल्म लेट्स चेंज और शिक्षा सुधार का आइडिया महाराष्ट्र सरकार ने बिना क्रेडिट और भुगतान के इस्तेमाल किया, जिससे वह सिस्टम से बेहद नाराज़ था. तीन घंटे के ऑपरेशन में पुलिस ने सभी बच्चों को सुरक्षित निकाला और जवाबी कार्रवाई में रोहित मारा गया. यह मामला रचनात्मक लोगों के अधिकार, सरकारी जवाबदेही और मानसिक दबाव पर गंभीर सवाल उठाता है.;

( Image Source:  statemirrornews )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 30 Oct 2025 10:29 PM IST

Rohit Arya hostage drama Deepak Kesarkar controversy: मुंबई के पवई में गुरुवार को बच्चों को बंधक बनाने की घटना ने पूरे शहर को दहला दिया. RA स्टूडियो में 17 बच्चों और एक महिला को ऑडिशन के बहाने बुलाकर बंधक बनाया गया. आरोपी की पहचान रोहित आर्य के रूप में हुई. रोहित पिछले एक साल से महाराष्ट्र सरकार और शिक्षा विभाग पर अपने काम के साथ धोखा करने का आरोप लगाता रहा था.

रोहित आर्य का कहना था कि महाराष्ट्र सरकार की 'माझी शाळा, सुंदर शाळा' योजना उसकी बनाई फिल्म ‘लेट्स चेंज’ और उसके कॉन्सेप्ट पर आधारित थी. वह दावा करता था कि सरकार ने उसके आइडिया का इस्तेमाल तो किया, लेकिन ना क्रेडिट दिया और ना भुगतान.

रोहित के मुताबिक, तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. ₹2 करोड़ का बजट तय हुआ था. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी भुगतान नहीं मिला. उसने इस मामले में कई बार धरना और अनशन किया. यहां तक कि उसने सिस्टम पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने के गंभीर आरोप भी लगाए थे.

सरकारी पक्ष का जवाब

शिक्षा सचिव रंजीत सिंह देओल ने कहा कि रोहित के भुगतान का कोई आधिकारिक अनुबंध ही नहीं था. उन्होंने स्वेच्छा से काम किया और सर्टिफिकेट लिया. केसरकर ने भी स्पष्ट किया कि रोहित को विभाग से पैसे दिए गए थे और कुछ कॉन्ट्रैक्ट भी दिए गए थे.

कैसे हुआ होस्टेज ड्रामा?

रोहित ने बच्चों को वेब सीरीज के ऑडिशन के नाम पर स्टूडियो बुलाया. इसके बाद उन्हें अंदर बंद कर लिया गया. पुलिस और फायर ब्रिगेड ने पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. एयर गन से रोहित ने पुलिस पर फायर भी किया. जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे गोली मारी. अस्पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया. पुलिस का कहना है कि रोहित मानसिक तनाव में था और विभाग से जुड़ी अपनी शिकायतें सामने लाना चाहता था.

अंतिम वीडियो में रोहित ने क्या कहा ?

रोहित ने घटना के दौरान रिकॉर्ड किए वीडियो में कहा, वह कुछ अधिकारियों से 'सरल बातचीत' करना चाहता था. उसे सिस्टम ने बार-बार धोखा दिया. बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था. उसकी मांग थी कि उसे पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से बात करने का मौका दिया जाए.

यह घटना क्यों बड़ी है?

  • सरकारी नीतियों में क्रेडिट और भुगतान को लेकर गंभीर सवाल
  • पब्लिक प्लेस में सुरक्षा को लेकर चिंता
  • मानसिक स्वास्थ्य और सिस्टम से निराशा की स्थिति का उदाहरण

मुंबई पुलिस ने सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन रोहित का अंत सवाल छोड़ गया- क्या रोहित सिस्टम से लड़ते-लड़ते टूट गया था? या यह उसका चरम कदम था अपनी आवाज सुनाने का? मगर साथ ही, कानून कहता है- न्याय की लड़ाई हिंसा से नहीं, व्यवस्था में भरोसे से लड़ी जाती है. मुंबई का ये मामला सिर्फ एक क्राइम स्टोरी नहीं, बल्कि सपनों, सिस्टम, और टूटे भरोसे की कड़वी कहानी है.

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