CCTV Video Blackmail: तीसरी आंख बनी Sextortion का हथियार! 2025 में अश्लील वीडियो-MMS और ब्लैकमेलिंग का बढ़ता जाल
साल 2025 में CCTV कैमरे, जो सुरक्षा की “तीसरी आंख” माने जाते थे, अब अश्लील वीडियो और सेक्सटॉर्शन का बड़ा हथियार बनते जा रहे हैं. एक्सप्रेसवे, ट्रेन और सार्वजनिक जगहों पर रिकॉर्ड हुए निजी पलों के वीडियो लीक कर ब्लैकमेलिंग के मामले तेजी से बढ़े. फेक MMS, AI से गढ़ी तस्वीरें और वायरल क्लिप्स ने कई परिवारों की जिंदगी तबाह कर दी. कई मामलों में CCTV स्टाफ की भूमिका सामने आई, जिसने डिजिटल सुरक्षा और निजता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.;
साल 2025 अब अपने अंतिम पड़ाव पर है, लेकिन जाते-जाते यह साल सोशल मीडिया और डिजिटल अपराधों के इतिहास में एक डरावनी पहचान छोड़ रहा है. अश्लील वीडियो, फेक MMS, AI से गढ़ी गई तस्वीरें और वायरल क्लिप्स ने न सिर्फ इंटरनेट को झकझोरा, बल्कि समाज, राजनीति और डिजिटल सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. हर कुछ दिनों में कोई नया वीडियो, कोई नया नाम और कोई नया विवाद ट्रेंड बनता रहा.
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि अपराध रोकने के लिए लगाए गए CCTV कैमरे खुद अपराध का जरिया बनते जा रहे हैं. एक्सप्रेसवे, ट्रेन और सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी के लिए तैनात कर्मचारी ही कई मामलों में फुटेज का दुरुपयोग कर बदनामी का डर दिखाकर ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं. सार्वजनिक जगहों पर प्रेम प्रदर्शन या निजी पलों की रिकॉर्डिंग लीक होने के मामलों में तेज़ी आई है, जिससे पीड़ित परिवारों पर गहरा मानसिक असर पड़ा है.
CCTV: सुरक्षा से अपराध तक का सफर
जहां CCTV कैमरे अपराध सुलझाने में मददगार माने जाते रहे हैं, वहीं 2025 में यही कैमरे कई मामलों में अपराध की वजह बनते दिखे. फुटेज तक पहुंच रखने वाले कर्मचारियों की नीयत पर सवाल उठने लगे हैं. सवाल यह है कि निगरानी व्यवस्था की निगरानी कौन करेगा?
नमो भारत ट्रेन का मामला: स्टाफ पर गिरी गाज
स्टाफ द्वारा CCTV वीडियो लीक करने का ताजा मामला नमो भारत ट्रेन से सामने आया. चलती ट्रेन में एक लड़का-लड़की के आपत्तिजनक दृश्य का वीडियो नवंबर में रिकॉर्ड हुआ और दिसंबर में लीक कर दिया गया. ट्रेन संचालक कंपनी एनसीआरटीसी ने इस मामले में संबंधित कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया और साथ ही सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत के आरोप में लड़का-लड़की पर भी मुकदमा दर्ज कराया.
बताया गया कि दोनों एक ही कॉलेज के छात्र हैं. वीडियो वायरल होने के बाद दोनों सदमे में हैं और उनके परिवार सोशल मीडिया पर फैल रही क्लिप से परेशान हैं. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वीडियो पैसे के लिए ब्लैकमेलिंग के मकसद से लीक किया गया या नहीं- यह पुलिस जांच का विषय बना हुआ है.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे: किस का वीडियो और 32 हजार की वसूली
इसी महीने लखनऊ-गाजीपुर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर लगे CCTV कैमरों से एक नवविवाहित जोड़े का वीडियो निकालकर ब्लैकमेल करने का आरोप सामने आया. अक्टूबर में कैमरे में कैद हुए किस के वीडियो के जरिए पति-पत्नी से 32 हजार रुपये वसूले गए. मामला सरकार तक पहुंचने के बाद टोल स्टाफ को बर्खास्त कर दिया गया.
आरोप यह भी है कि वही कर्मचारी ट्रक चालकों से अवैध वसूली करने वाले पुलिसकर्मियों को ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठता था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक शिकायत पहुंचने के बाद कार्रवाई हुई, लेकिन ऐसे मामलों पर अब भी पूरी तरह लगाम नहीं लग पाई है.
हाईवे वाले धाकड़ कांड की कहानी
मई 2025 में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर भाजपा से जुड़े रहे मध्य प्रदेश के नेता मनोहर लाल धाकड़ का वीडियो वायरल हुआ. आरोप लगे कि उनसे CCTV फुटेज के बदले एक लाख रुपये मांगे गए, लेकिन 20 हजार रुपये देने के बावजूद वीडियो लीक कर दिया गया. बाद में धाकड़ ने दावा किया कि वीडियो में वह नहीं हैं और कार पहले ही बेच चुके थे. इस मामले में भी टोल स्टाफ पर कार्रवाई हुई.
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बड़ा सवाल: CCTV सिस्टम की जवाबदेही कैसे तय हो?
2025 के ये मामले बताते हैं कि CCTV निगरानी सिस्टम में जवाबदेही और डेटा सुरक्षा की सख्त जरूरत है. फुटेज तक पहुंच रखने वाले कर्मचारियों की पृष्ठभूमि जांच, डेटा एक्सेस पर सख्त नियंत्रण और कड़े कानून- इन सब पर अब गंभीरता से काम करने की मांग तेज हो गई है. वरना सुरक्षा के लिए लगाए गए कैमरे बदनामी और ब्लैकमेलिंग का हथियार बनते रहेंगे.