‘वोट-चोरी एंटी-नेशनल काम’, चुनाव सुधार पर राहुल का केंद्र पर वार, CJI को EC चयन के पैनल से बाहर रखने सहित पूछे 3 तीखे सवाल

लोकसभा में मंगलवार को चुनाव सुधारों को लेकर छिड़ी बहस के बीच राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने वोट-चोरी को एंटी-नेशनल करार देते हुए चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर तीन सीधे सवाल सरकार से पूछे. उन्होंने आरएसएस को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो देश की संवैधानिक संस्थाओं को अपने कब्जे में लेना चाहती है.;

( Image Source:  ANI )

देश में चुनाव सुधार को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है. इसी बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए वोट-चोरी जैसे कृत्य को ‘एंटी-नेशनल’ करार दिया. उन्होंने चुनावी व्यवस्था की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर सरकार से तीन अहम सवाल भी पूछे हैं, जिनसे नई सियासी बहस छिड़ गई है.

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क्या सीजेआई पर भरोसा नहीं है?

लोकसभा में मंगलवार को चुनाव सुधार पर जारी बहस में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार से सवाल किया कि वह चुनाव आयोग के प्रमुख और अन्य चुनाव आयुक्तों को चुनने वाली पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाने पर इतनी जोर क्यों दे रही है? क्या हमें CJI पर भरोसा नहीं है? इसे तथाकथित लोकतांत्रिक निर्णय कहा जाता है. एक तरफ पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हैं. दूसरी तरफ विपक्ष के नेता हैं. उस कमरे में मेरी कोई आवाज नहीं है. वे जो तय करते हैं, वही होता है.

राहुल गांधी ने कहा, "मैं सरकार से इस मसले पर तीन सवाल पूछना चाहता हूं, जिससे यह बिल्कुल साफ हो जाएगा कि BJP भारत की डेमोक्रेसी को नुकसान पहुंचाने के लिए इलेक्शन कमीशन को डायरेक्ट और इस्तेमाल कर रही है.

राहुल गांधी के तीन सवाल

  • पहला सवाल, उन्होंने चुनाव आयुक्त से जुड़ा पूछा. उन्होंने पूछा क्यों सीजेआई को चुनाव आयुक्त के सिलेक्शन से अलग किया गया है? दरअसल, राहुल गांधी 2023 के उस कानून का ज़िक्र कर रहे थे, जिसने तीन सदस्यों वाले सिलेक्शन पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की जगह एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल किया था। यह पैनल राष्ट्रपति को नियुक्तियों की सिफारिश करता है, जिसमें प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता बाकी दो सदस्य होते हैं.
  • दूसरा सवाल प्रधानमंत्री और अमित शाह चुनाव कमिश्नर कौन होगा, यह चुनने में इतने उत्सुक क्यों हैं? दिसंबर 2023 में सरकार ने कानून बदला, जिसके तहत चुनाव आयुक्तों को इम्युनिटी दी गई. सीसीटीवी को लेकर कानून क्यों बदले गए? क्या यह इसलिए नहीं किया गया कि किसी भी चुनाव आयुक्त को उनकी आधिकारिक क्षमता में किए गए कामों के लिए सजा न दी जा सके?
  • तीसरा सवाल उन्होंने पूछा कि ऐसा कानून क्यों बनाया गया, जिसके तहत चुनाव आयोग 45 दिनों के बाद फुटेज को नष्ट कर दे? साथ ही उन्होंने पूछा कि एक ब्राजील की मॉडल 22 बार हरियाणा के वोटर लिस्ट में कैसे आ गई है? क्या यह वोटकी चोरी नहीं है.

वोट-चोरी एक एंटी-नेशनल काम

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आगे ने कहा, " सबसे बड़ा एंटी-नेशनल काम जो आप कर सकते हैं, वह है वोट-चोरी। वोट-चोरी से बड़ा कोई एंटी-नेशनल काम नहीं है क्योंकि जब आप वोट को खत्म करते हैं, तो आप इस देश के ताने-बाने को खत्म कर देते हैं. आप मॉडर्न इंडिया को खत्म करते हैं, आप इंडिया के आइडिया को खत्म करते हैं. वोट-चोरी एक एंटी-नेशनल काम है और जो लोग दूसरी तरफ हैं, वे भी एंटी-नेशनल काम कर रहे हैं."

EC ने सवालों का जवाब नहीं दिया

राज्यों में वोटर फ्रॉड और उसके बाद EC की प्रेस कॉन्फ्रेंस के आरोपों और प्रस्तुतियों की एक श्रृंखला के बाद, राहुल गांधी ने संसद में आरोप लगाया कि चुनाव निकाय ने उनकी किसी भी चिंता का समाधान नहीं किया. उन्होंने दावा किया, "EC ने कहीं भी मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया है."

राज्यों में वोटर लिस्ट में विसंगतियों के उदाहरणों पर प्रकाश डालते हुए, राहुल गांधी ने कहा, "आप मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में इसी तरह चुनाव जीत रहे हैं। अकेले बिहार में, वोटर लिस्ट को साफ करने के बाद 1.2 लाख डुप्लीकेट तस्वीरें मिलीं."

RSS पर लगाया संवैधानिक संस्थानों पर कब्जे का आरोप

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी के सीने में तीन गोलियां लगीं. नाथूराम गोडसे ने हमारे देश के राष्ट्रपिता की हत्या की. आज, हमारा दोस्त उन्हें गले नहीं लगाता. आज, हमारे दोस्तों ने उन्हें दूर कर दिया है. यह एक अजीब सच है, लेकिन प्रोजेक्ट यहीं खत्म नहीं हुआ. जैसा कि मैंने कहा, सब कुछ वोट से निकला है. सभी इंस्टीट्यूशन वोट से निकले हैं, इसलिए यह साफ है कि RSS को उन सभी इंस्टीट्यूशन पर कब्जा करना है जो उससे निकले हैं. गांधीजी की हत्या के बाद, प्रोजेक्ट का अगला कदम भारत के इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क पर पूरी तरह कब्जा करना था.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "यह सोच कि भारत संघ में हर धागा, हर व्यक्ति बराबर है. RSS में मेरे दोस्तों को परेशान करती है. वे देश का ताना-बाना देखकर खुश हैं, लेकिन वे यह बात बर्दाश्त नहीं कर सकते कि हमारे देश के ताने-बाने में हर एक इंसान, चाहे वे किसी भी धर्म से हों, चाहे वे किसी भी समुदाय से हों, चाहे वे कोई भी भाषा बोलते हों, बराबर होना चाहिए क्योंकि वे असल में बराबरी में विश्वास नहीं करते. वे हायरार्की में विश्वास करते हैं और उनका मानना ​​है कि उन्हें उस हायरार्की में सबसे ऊपर होना चाहिए."

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "क्या आपने कभी सोचा है कि महात्मा गांधी ने खादी पर इतना जोर क्यों दिया? ऐसा क्यों था कि उन्होंने पूरे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को खादी के कॉन्सेप्ट के इर्द-गिर्द बनाया. ऐसा क्यों है कि उन्होंने सिर्फ खादी पहनी? क्योंकि खादी सिर्फ एक कपड़ा नहीं है. खादी भारत के लोगों की अभिव्यक्ति है, यह कल्पना है, यह भावना है, यह भारत के लोगों की उत्पादक शक्ति है...

लोकतंत्र का आधार 'वोट' पर केंद्र का चोट

उन्होंने कहा कि आप जिस भी राज्य में जाएंगे, आपको अलग-अलग कपड़े मिलेंगे. हिमाचली टोपी, असमिया गमचा, बनारसी साड़ी, कांचीपुरम साड़ी, नागा जैकेट और आप पाएंगे कि ये सभी कपड़े लोगों को दिखाते हैं. ये कपड़े सुंदर हैं... कोई भी धागा दूसरे धागे से बेहतर नहीं है. धागे आपकी रक्षा नहीं कर सकते. धागे आपको गर्म नहीं रख सकते, लेकिन जब वे एक कपड़े के रूप में एक साथ आते हैं, तो वे आपको गर्म रख सकते हैं. आपकी रक्षा कर सकते हैं और आपके दिल में जो है उसे बता सकते हैं. उसी तरह, हमारा देश भी 1.4 बिलियन लोगों से बना एक कपड़ा है और यह कपड़ा वोट से बुना जाता है. यह सदन जहां मैं आज खड़ा हूं, लोकसभा, राज्यसभा, देश भर की विधानसभाएं, देश भर की पंचायतें, इनमें से कोई भी नहीं होता अगर वोट नहीं होता."

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