राजनीति नहीं राजशाही चला रहे हो क्या? महिलाओं पर सेक्स ज्ञान देने वाले मंत्री जी को कोर्ट ने लगाई फटकार
तमिलनाडु के पूर्व डीएमके मंत्री के. पोनमुडी द्वारा वैष्णव, शैव समुदाय और सामान्य वर्ग की महिलाओं पर की गई अशोभनीय टिप्पणी पर मद्रास हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की और तमिलनाडु पुलिस को चेताया कि अगर उचित कार्रवाई नहीं हुई तो मामला सीबीआई को सौंप दिया जाएगा.;
तमिलनाडु के पूर्व डीएमके मंत्री के. पोनमुडी की महिलाओं, वैष्णव और शैव समुदायों पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर मद्रास हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है.
दरअसल, अप्रैल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान पोनमुडी ने हिंदू धार्मिक पहचान और यौन मुद्राओं को जोड़ते हुए विवादित टिप्पणी की थी, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई. कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की है.
'राजनेता खुद को राजा समझने लगे हैं'; हाईकोर्ट
न्यायमूर्ति वेलमुरुगन ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, कि आजकल के राजनेताओं को लगता है कि अनुच्छेद 19 के तहत उन्हें सब कुछ कहने की आज़ादी है. लेकिन हम सिर्फ मूक दर्शक नहीं बन सकते. हम एक लोकतंत्र में रहते हैं, जहां कई समुदाय एक साथ रहते हैं. कोर्ट ने आगे कहा, 'हर कोई माइक उठाकर कुछ भी कह रहा है, जैसे वो राजा हो और कोई उनसे सवाल नहीं कर सकता. कोर्ट इस सबको चुपचाप देखती नहीं रह सकती.
"देश किसी एक व्यक्ति का नहीं, सबका है"
न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि राजनेताओं को जब वे सार्वजनिक मंच से बोलते हैं, तो यह याद रखना चाहिए कि वे एक ऐसे देश में रह रहे हैं जो किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सभी का है. “हर किसी को यह समझना होगा कि वे लोगों के बीच रह रहे हैं. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें उसने स्वत: संज्ञान लिया है. मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को तय की गई है.
क्या कहा था पोनमुडी ने?
वायरल वीडियो में के. पोनमुडी को यह कहते सुना गया: 'महिलाएं, कृपया गलत मत समझिए.' इसके बाद उन्होंने एक कथित चुटकुला सुनाया जिसमें एक व्यक्ति एक सेक्स वर्कर के पास जाता है। सेक्स वर्कर उस व्यक्ति से पूछती है कि वह शैव है या वैष्णव. जब वह व्यक्ति नहीं समझता, तो महिला बताती है – क्या वह पट्टई लगाता है (शैव परंपरा का क्षैतिज तिलक) या नामम (वैष्णव परंपरा का ऊर्ध्व तिलक).
इसके बाद वह कहती है कि अगर वह शैव है तो स्थिति 'लेटकर' होगी, और अगर वैष्णव है तो "खड़े होकर". कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस से कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और समय रहते उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करे. अगर ऐसा नहीं होता है, तो अदालत सीबीआई जांच का आदेश देने से पीछे नहीं हटेगी.