Car Diplomacy: पुतिन को गाड़ी में राइट साइड बैठाने का क्या मतलब, इंटरनेशनल डिप्लोमेसी में इसे किस रूप में लिया जाता है?
Modi Putin Car Diplomacy: PM मोदी ने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पुतिन से गले मिलने के बाद अपनी कार की फ्रंट राइट सीट ऑफर की. इंटरनेशनल प्रोटोकॉल में यह सीट सम्मान, स्टेटस और 'कूटनीतिक बराबरी' का प्रतीक मानी जाती है. इसे भारत-रूस के बीच अटूट रिश्तों और Modi-Putin equation का सशक्त संकेत माना जा रहा है.;
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब दिल्ली पहुंचे तो PM मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर न सिर्फ उनका स्वागत किया बल्कि उन्हें अपने कार में साथ बैठाकर एयरपोर्ट से रवाना हुए. इसमें सबसे दिलचस्प बात यह देखने को मिली कि मोदी ने पुतिन को अपने फॉर्च्यूनर कार में फ्रंट राइट सीट दी. यह कोई संयोग नहीं, बल्कि कूटनीति में एक बेहद सोचा-समझा संदेश माना जा रहा है. इस घटना को अब विश्व राजनीति में एक अलग नजरिए से देखा जा रहा है. खासकर डोनाल्ड ट्रंप के लिए इसमें खास मैसेज छिपा है. भारत ने आखिर कार-डिप्लोमेसी के जरिये क्या मैसेज देने की कोशिश की है.
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विदेशी मेहमान राइट साइड बैठाने का क्या मतलब?
1. सम्मान
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में फ्रंट राइट सीट का खास महत्व है. राइट सीट को 'Guest of Honour Seat' माना जाता है. यानी सामने सबसे सुरक्षित और सम्मानजनक स्थान.
2. बराबरी का संकेत
अगर मेजबान नेता खुद ड्राइव न कर रहा हो, तो दाईं सीट मेहमान को देना मैसेज होता है कि
“आप बराबरी के दर्जे वाले दोस्त हैं, VIP ट्रीटमेंट आपका हक है.”
3. पर्सनल टच प्लस भरोसा
विश्व नेताओं के बीच यह सीट अक्सर “Personal Bonding Spot” कहलाती है. नेता इन-कार बातचीत को महत्व देते हैं, वो मेहमान को यही सीट देते हैं.
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4. सिक्योरिटी प्रोटोकॅल और स्पेशल गेस्चर
कई देशों में दाईं सीट सबसे सुरक्षित मानी जाती है. किसी राष्ट्राध्यक्ष को यह सीट देना trust + priority security का संकेत है.
इंटरनेशनल डिप्लोमेसी में किस रूप में देखा जाता है?
स्ट्रेटजिक फ्रेंडशिप : यह बताता है कि दोनों देश सिर्फ औपचारिक साझेदार नहीं, बल्कि भरोसेमंद मित्र हैं.
America–China को सख्त संदेश : मोदी-पुतिन की एक ही कार में ride और पुतिन को honour seat देना दिखाता है कि
विदेश नीति शक्ति संतुलन : भारत अभी भी Russia को अपनी Foreign Policy Balance का प्रमुख स्तंभ मानता है.
पर्सनल केमिस्ट्री डिप्लोमेसी : दुनिया में बहुत कम नेता एक-दूसरे के साथ personal car ride लेते हैं. मोदी और पुतिन का यह कदम संकेत देता है कि भारत–रूस रिश्ता सिर्फ प्रोपफेशनल नहीं, Leaders की personal bonding भी है.
जियो-पॉलिटिक्स : भारत किसी एक ब्लॉक (US या West) में नहीं झुकता. कार की राइट सीट देकर भारत ने उन देशों को साफ संकेत दिया है जो इंडिया के विकास की रेस में आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते. यह इस बात का भी प्रतीक है कि “हम अपनी foreign policy खुद तय करते हैं.”
PM मोदी ने ऐसा क्यों किया?
- India–Russia Relationship को गर्मजोशी भरा होने का संकेत देना.
- अमेरिकी प्रतिबंध, आयल डीलस, रक्षा सौदा, के बीच personal gesture के जरिए दोनों देशों के बीच रिश्तों को बेहतर करना है.
- Putin को Respect देना. ऐसा करना इसलिए जरूरी है कि उनकी global image कमजोरर हुई है, लेकिन भारत ने उन्हें वही प्रोटोकॉल दिया जो एक Global Power को दिया जाता है.
- पीएम मोदी इसके जरिए Western Narrative को काउंटर करने की कोशिश की है. अमेरिका और यूरोप को दिखाया गया कि भारत रूस से strategic दूरी नहीं बना रहा.
- नए भारत के Diplomacy का मोदी स्टाइल है. ऐसा कर उन्होंने अपने बॉडी लैंग्वेज, सिम्बॉलिज्म और अप्रत्याशित गेस्चर से कूटनीति को नया शेप दिया है.
बता दें कि गुरुवार की देर शाम जब व्लादिमिर पुतिन जब दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे तो मोदी ने प्रोटोकॉल को तोड़कर खुद उन्हें रिसीव किया. फिर गले मिले और सीधे एक ही कार में बैठे. आमतौर पर विदेशी आगंतुकों के लिए अलग-गाड़ी होती है, लेकिन इस बार दोनों नेताओं ने मिलकर एक कार का चुनाव किया. उस कार में पुतिन को दाईं (पासेंज-साइड) सीट दी गई. यह सिर्फ एक शिष्टाचार या स्वागत-प्रथा नहीं बल्कि यह संकेत था कि भारत और रूस के बीच दोहरे हित (strategic + personal) रिश्ते की जरूरत है.
दाईं सीट सिर्फ ड्राइवर के बगल में नहीं होती. ये सीट अक्सर सम्मान या equal standing का प्रतीक होती है. यानी, मोदी ने पुतिन को “VIP + बराबरी + भरोसे के साथी” का स्थान दिया. साफ संदेश कि ये मुलाकात साधारण नहीं बल्कि रणनीतिक और द्विपक्षीय दोस्ती का पुनर्मूल्यांकन है.
राष्ट्रपति पुतिन रेड कार्पेट से होते हुए सफेद रंग की एसयूवी टोयोटा फॉर्च्यूनर के पास पहुंचे, एक दिलचस्प वाकया हुआ. आम तौर पर वीवीआईपी प्रोटोकॉल में नेता के लिए एक तय दरवाजा खुलता है. पुतिन आदत के मुताबिक बाईं ओर बैठने के लिए जा रहे थे, तभी पीएम मोदी ने हाथ के इशारे से उन्हें रोका और गाड़ी की दूसरी तरफ यानी दाहिनी ओर (Right Side) बैठने का आग्रह किया. पुतिन ने एक पल के लिए पीएम मोदी को देखा, मुस्कुराए और फिर मोदी के आग्रह को स्वीकार करते हुए गाड़ी के पीछे से घूमकर दाईं ओर वाली सीट पर जा बैठे. पीएम मोदी खुद बाईं ओर वाली सीट पर बैठे.
डिप्लोमेटिक प्रोटोकॉल की दुनिया में एक ‘गोल्डन रूल’ होता है. Guest is always on the Right यानी मेहमान हमेशा दाईं ओर होता है. चाहे वह दो नेताओं के खड़े होकर फोटो खिंचवाने की बात हो, पोडियम पर झंडे लगाने की बात हो, या फिर किसी वाहन में बैठने की व्यवस्था हो, मुख्य अतिथि को हमेशा मेजबान (Host) के दाईं ओर रखा जाता है. इसे ‘प्लेस ऑफ ऑनर’ कहा जाता है.
प्रधानमंत्री आवास का ‘लैंडिंग प्वाइंट’
पीएम मोदी ने पुतिन का राइट सीट पर बैठाने का मकसद यह भी था कि एयरपोर्ट से पीएम आवास तक के सफर में उन्हें परेशानी न हो. सीट चयन के पीछे सिर्फ शिष्टाचार नहीं, बल्कि ‘लॉजिस्टिक्स’ और ‘सुविधा’ का भी बड़ा गणित है. पालम एयरपोर्ट से निकलकर यह काफिला सीधे प्रधानमंत्री आवास 7, लोक कल्याण मार्ग गया. इन वीवीआईपी इमारतों की बनावट और पोर्टिको का डिजाइन ऐसा होता है कि गाड़ी एक विशिष्ट दिशा में आकर रुकती है. अक्सर, पीएम आवास के मुख्य द्वार पर गाड़ी इस तरह रुकती है कि उसका दायां हिस्सा स्वागत करने वाले अधिकारियों या रेड कार्पेट के ठीक सामने खुले.
अगर पुतिन बाईं ओर बैठते, तो गाड़ी रुकने पर उन्हें या तो सीट पर खिसककर दाईं ओर से निकलना पड़ता, या फिर बाईं ओर उतरकर पूरी गाड़ी का चक्कर लगाकर मोदी के साथ आना पड़ता. पीएम मोदी ने पहले ही भांप लिया था कि जब वे डेस्टिनेशन पर पहुंचेंगे, तो पुतिन को उतरने में जरा भी असुविधा नहीं होनी चाहिए. दाहिनी सीट पर बैठकर, जैसे ही गाड़ी रुकेगी, पुतिन सीधे रेड कार्पेट पर कदम रखेंगे.