ट्रेन में सफर या झरने का मजा? वंदे भारत एक्सप्रेस में AC से बहा पानी, VIDEO वायरल

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के एसी से पानी गिरने लगता है. इस वीडियो के बाद ट्रेन की सर्विस पर सवाल उठाया जा रहा है. हालांकि, यह पहला मामला नहीं है. पिछले साल भी इस ट्रेन में ऐसा ही हुआ था.;

( Image Source:  Instagram-statemirrornews )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 24 Jun 2025 1:43 PM IST

भारत की सबसे हाई-टेक और प्रीमियम मानी जाने वाली ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस इस बार अपने शानदार स्पीड और आराम के लिए नहीं, बल्कि एक “वाटरफॉल एक्सपीरियंस” के लिए चर्चा में है. दिल्ली जा रही ट्रेन नंबर 22415 वंदे भारत एक्सप्रेस के एक कोच में अचानक एसी वेंट से अचानक से पारी गिरने लगा.

इसके कारण सीट और पैसेंजर्स का सामान भीग रहा है. इतना ही नहीं, इस वीडियो में एक लड़की यह सब देख हैरान हो जाती है और खुद को भीगने से बचाती हैं. देखें यह वायरल वीडियो.

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

यह वाकया उस वक्त ज़्यादा सुर्खियों में आया जब सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया. एक्स  पर यूज़र @Benarasiyaa ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा ' दिल्ली जाने वाली 22415 वंदे भारत एक्सप्रेस में फ्री 'वाटरफॉल' सर्विस शुरू होने से पैसेंजर ने रेनकोट हटा लिए हैं.'

नहाते हुए करें ट्रैवल

अब वंदे भारत में यात्रियों के लिए झरने की सुविधा. इस वर्ल्ड क्लास सुविधा का लाभ उठाकर आप नहाते हुए यात्रा कर सकते हैं. ये सब 'उनके' ओजस्वी मार्गदर्शन में संभव हो सका है. बोलिए थैंक्यू.

एयर इंडिया वाले ही क्यों झरनें का मजा़ लें?

एक नेटिजन ने इसी वीडियो पर कटाक्ष करते हुए एयर इंडिया के पुराने लीकेज वाले वीडियो की तुलना कर कहा ' सिर्फ़ एयर इंडिया के यात्रियों को ही क्यों मज़ा लेना चाहिए?"

पहला मामला नहीं

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब वंदे भारत एक्सप्रेस में ऐसी घटना घटी हो. 2024 में भी ऐसी ही एक लीकेज की घटना सामने आई थी, जब यात्रियों ने कोच में पानी भरने की शिकायत की थी. उस समय उत्तरी रेलवे ने सफाई देते हुए कहा था कि ' पाइप में अस्थायी रुकावट के कारण थोड़ी देर के लिए लीकेज हुआ था, जिसे कर्मचारियों ने ठीक कर लिया है.'

कुछ जरूरी सवाल

क्या वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों की मरम्मत और निरीक्षण उतनी ही तेज़ और नियमित है जितनी इनकी रफ्तार? हर बार अस्थायी खराबी कह देने से क्या यात्रियों की असुविधा खत्म हो जाती है? क्या रेल मंत्रालय इस तरह की घटनाओं के लिए ज़िम्मेदारी तय करेगा?


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