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दिल्ली में 11 साल बाद सबसे पहले आ सकता है मानसून, उत्तर भारत के कई राज्यों में झमाझम बारिश से बढ़ी हलचल

उत्तराखंड में मानसून की एंट्री के साथ ही पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक लगातार बारिश हो रही है। देहरादून में झमाझम वर्षा जारी है, जबकि हरिद्वार, रुड़की, ऊधम सिंह नगर, नैनीताल आदि जिलों में भी तेज बारिश ने लोगों को राहत के साथ परेशानी दोनों दी हैं.

दिल्ली में 11 साल बाद सबसे पहले आ सकता है मानसून, उत्तर भारत के कई राज्यों में झमाझम बारिश से बढ़ी हलचल
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( Image Source:  ANI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 24 Oct 2025 2:11 PM IST

भारत में इस साल मानसून ने सामान्य समय से लगभग 10 दिन पहले ही पश्चिमोत्तर क्षेत्रों में दस्तक देकर सभी को चौंका दिया है. रविवार को मानसून ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होते हुए उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों को भिगोते हुए पंजाब की सीमाओं को छू लिया. आमतौर पर जून के अंत तक मानसून इन क्षेत्रों में पहुंचता है, लेकिन इस बार इसकी गति कहीं अधिक तेज रही है. 23 जून को पंजाब के कई जिलों लुधियाना, अमृतसर, रूपनगर और पठानकोट में भारी बारिश दर्ज की गई, जिससे तापमान में गिरावट तो आई, लेकिन कई इलाकों में जलभराव की समस्या भी उत्पन्न हो गई. होशियारपुर, फिरोजपुर और पटियाला जैसे जिलों में भी तेज बारिश हुई.

दिल्ली में आ सकता है मानसून

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, आज यानी 24 जून को मानसून के दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और पंजाब के बाकी हिस्सों में पहुंचने की पूरी संभावना है। यदि ऐसा होता है तो यह 2013 के बाद सबसे जल्दी पहुंचने वाला मानसून होगा. उल्लेखनीय है कि 2013 में मानसून 16 जून को दिल्ली पहुंचा था, जबकि पिछले कुछ सालों में इसकी आमद काफी देर से हुई 2024 में 28 जून, 2022 में 30 जून और 2021 में तो 13 जुलाई को.

उत्तराखंड में बारिश ने तोड़ा पहाड़ों का संयम

उत्तराखंड में मानसून की एंट्री के साथ ही पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक लगातार बारिश हो रही है. देहरादून में झमाझम वर्षा जारी है, जबकि हरिद्वार, रुड़की, ऊधम सिंह नगर, नैनीताल आदि जिलों में भी तेज बारिश ने लोगों को राहत के साथ परेशानी दोनों दी हैं. केदारनाथ यात्रा मार्ग पर स्थित गौरीकुंड में लगातार दूसरे दिन भूस्खलन और मार्ग अवरोध के कारण यात्रा बाधित रही. इसी तरह चीन सीमा को जोड़ने वाला मुनस्यारी-धापा-मिलम मार्ग भी बंद हो चुका है. रलगाड़ी क्षेत्र में चट्टान दरकने और गौंखा नदी का पुल ढह जाने से आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे मिलम में कई वाहन फंसे हुए हैं.

हुई स्कूलों की छुट्टी

इसके उलट कश्मीर घाटी में मानसून की भविष्यवाणी के बावजूद रविवार को दिनभर तेज धूप और गर्मी बनी रही, जिससे तापमान सामान्य से कई डिग्री ऊपर रहा और उमस भरी गर्मी ने लोगों को परेशान किया. राज्य सरकार ने बदलते मौसम के मिजाज को देखते हुए 23 जून से सभी सरकारी और निजी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों की घोषणा कर दी है. इससे पहले शनिवार शाम को कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई थी, लेकिन रविवार को तेज बारिश ने तापमान में कुछ हद तक गिरावट लाई.

मध्य भारत और पूर्वोत्तर में अलर्ट

IMD की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य प्रदेश, गुजरात और कोंकण-गोवा क्षेत्र में 26 जून तक भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है. मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में तो अत्यधिक भारी बारिश की चेतावनी भी दी गई है। साथ ही, पूर्वोत्तर भारत में अगले तीन दिनों तक तेज बारिश का दौर जारी रहेगा, जिसके बाद यह कुछ हल्का पड़ सकता है.

बिहार में बिजली गिरने से मौत

इस बीच, बिहार से संबंधित एक चिंताजनक रिपोर्ट पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने स्वत: संज्ञान लिया है। रिपोर्ट में बताया गया कि ताड़ के पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई के कारण बिजली गिरने से मौतों की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है. 2016 से अब तक राज्य में 2,000 से अधिक लोग बिजली गिरने से मारे जा चुके हैं. इस पर NGT ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य संबंधित विभागों से जवाब तलब किया है. पर्यावरणविदों का मानना है कि ताड़ के पेड़ बिजली को आकर्षित कर प्राकृतिक ‘लाइटनिंग रॉड’ की तरह काम करते हैं, और इनकी कटाई सीधे तौर पर मौतों की संख्या बढ़ा रही है.

बागेश्वर जिले में भी हालात चिंताजनक हैं, जहां पिंडर नदी पर बना लकड़ी का पैदल पुल तेज बहाव में बह गया। इन घटनाओं ने पहाड़ी इलाकों की नाजुक भौगोलिक स्थिति और वर्षा जनित आपदाओं की गंभीरता को फिर से उजागर कर दिया है।

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