Pahalgam Terror Attack Update: अब तक क्यों नहीं पकड़े गए पहलगाम के कातिल आतंकवादी? घाटी के Ex DGP ने बता दी वजह

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड अब भी एजेंसियों की पकड़ से दूर हैं. जम्मू-कश्मीर के पूर्व DGP शेष पॉल वैद्य ने कहा कि ये आतंकी छिपने में माहिर हैं और हमारी एजेंसियां जल्दबाजी के बजाय रणनीतिक धैर्य से काम ले रही हैं. सही वक्त पर ये या तो पकड़े जाएंगे या मारे जाएंगे.;

By :  संजीव चौहान
Updated On : 1 July 2025 2:43 PM IST

“जम्मू-कश्मीर घाटी (Jammu and Kashmir Valley) के पहलगाम की बैसरन घाटी (Pahalgam Baisaran Velley Terror Attack) में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकवादी हमले के मोस्ट वॉन्टेड हमलावर (Most Wanted Terrorist), न तो अब तक पकड़ में आए हैं. न ही उन्हें अभी आगे भी जल्दी पकड़ा जा सकेगा. ऐसा नहीं है कि वे भारतीय एजेंसियों की हद से बाहर हैं. भारत के मोस्ट वॉन्टेड पाकिस्तानी आतंकवादी (Pakistani Terrorist) हैं तो हद में ही मगर भारतीय एजेंसियों को उन तक पहुंचने के लिए अभी और सब्र करना पड़ेगा. जल्दबाजी में उन तक न ही तो पहुंचा जा सकता है. और न ही अभी तत्काल उनकी गर्दन दबोचने की कोई कोशिश कामयाब ही हो सकेगी. सब्र से काम लेना होगा. भारत की फौज-खुफिया एजेंसियां और जम्मू-कश्मीर पुलिस व एनआईए कर भी यही रहीं हैं जो मैं कह रहा हूं.”

यह तमाम बातें स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन के साथ विशेष बातचीत में बयान की हैं वरिष्ठ पूर्व आईपीएस अधिकारी एस पी वैद्य (आईपीएस शेष पॉल वैद्य) ने. 1986 बैच के आईपीएस शेष पाल वैद्य (IPS Shesh Pal Vaid) 31 दिसंबर 2016 से 6 सितंबर 2018 तक जम्मू कश्मीर घाटी के पुलिस महानिदेशक (DGP Jammu and Kashmir) रहे हैं. इसलिए वह घाटी के दुर्गम भूगोल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं. जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक से स्टेट मिरर हिंदी ने सवाल किया था कि, “पहलगाम आतंकवादी हमले के बदले में 6-7 मई 2025 को आधी रात के बाद महज 23 मिनट के ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देकर, भारत ने दुश्मन और आतंकवादी देश पाकिस्तानी में कोहराम मचा दिया था. उस खून-खराबे के बाद भी मगर, भारतीय एजेंसियों के हाथ अब तक पहलगाम के असली हमलावर क्यों नहीं लगे हैं?”

पहलगाम के हमलावर अब तक फरार क्यों?

स्टेट मिरर हिंदी (State Mirror) के इस अहम सवाल के जवाब में जम्मू कश्मीर घाटी के पूर्व पुलिस महानिदेशक आईपीएस एस पी वैद्य बोले, “दरअसल आमजन-मीडिया जिस नजर से देखती है, किसी भी देश की फोर्स इंटेलीजेंस व जांच एजेंसीज और पुलिस उसके एकदम विपरीत सोचती हैं. आमजन और मीडिया पहलगाम हमले को लेकर सिर्फ यह सोच रहा है कि जब ऑपरेशन सिंदूर जैसा खतरनाक हमला करके भारत ने महज 23 मिनट में पाकिस्तान की चीखें निकलवा दीं, तो फिर इतना ताकतवर भारत और उसकी एजेंसियां फिर पहलगाम में गोलियां चलाकर 26-28 बेकसूरों को कत्ल कर डालने वाले आतंकवादियों को क्यों तीन साढ़े तीन महीने बाद भी नहीं पकड़ पा रहा है. 

ऑपरेशन सिंदूर और हमलावरों को पकड़ने में फर्क

दरअसल होता यह है कि इस तरह के ऑपरेशंस एक बेहद काबिल प्लानिंग के तहत अंजाम दिए जाते हैं. बेशक ऑपरेशन सिंदूर ने क्यों न पाकिस्तान में कहर बरपा कर उसकी चीखें निकाल दी हों. मगर वह एक अलग किस्म का हिंदुस्तानी फौज द्वारा आसमान से अंजाम दिया गया हमला था. जिससे पाकिस्तान में कोहराम मचना था और मच गया. मगर पहलगाम के असल हमलावरों की गर्दन तक पहुंचने के लिए ऑपरेशन सिंदूर नहीं किया जा सकता है. क्योंकि उनकी गर्दन तक पहुंचने के लिए उनसे आमना-सामना करना ही जरूरी है.”

इसलिए अभी आतंकवादियों का मिलना मुश्किल

जम्मू कश्मीर घाटी के पूर्व पुलिस महानिदेशक आईपीएस एस पी वैद्य अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहते हैं, “दरअसल पहलगाम जैसी आतंकवादी घटनाओं में लिप्त हमलावरों-दोषियों की गिरफ्तारी के लिए या तो आमने-सामने उनसे मौके पर ही फोर्सेस की मोर्चाबंदी हो जाती. तब आरपार की लड़ाई में या तो वे मारे जाते या मौके पर ही जिंदा पकड़े जाते. क्योंकि घटना के तुरंत बाद मौके से वे भाग निकलने में कामयाब हो गये. इससे साफ सिद्ध होता है कि आतंकवादियों को आसपास के इलाके में ही कहीं छिपने की जगह भी पहले से तैयार थी. जहां वे कम समय में ही पहुंचकर सुरक्षित जा छिपे. और ऐसे में उनका अब जल्दी हाथ में आना बेहद मुश्किल है.”

ऐसी गलती आतंकवादी क्यों करेंगे?

बकौल जम्मू घाटी के पूर्व पुलिस महानिदेशक, “क्योंकि उन्होंने जो सुरक्षित मांद पहले से ही छिपने के लिए तलाश रखी थी और अब जब पहलगाम हमले को अंजाम देने के बाद वे इस सुरक्षित मांद तक जिंदा पहुंच कर छिप ही चुके हैं. तो ऐसे में उनका मिलना हाल-फिलाहल प्रैक्टिकली भी उतना आसान नहीं है, जितना की आमजन और मीडिया समझता है. ऐसा नहीं है कि हमारी एजेंसियां हमले के तुरंत बाद हाथ पर हाथ धरकर बैठ गईं. जांच-खुफिया एजेंसियों, जम्मू कश्मीर पुलिस ने उनकी तलाश में पापड़ तो बहुत बेले होंगे. मगर वे (पहलगाम के हम) चूंकि घटनास्थल (बैसरन घाटी) के आसपास ही सुरक्षित जगह में वक्त रहते जा छिपने में कामयाब रहे. तो ऐसे में हमारी एजेंसियों को उन तक पहुंचने में कामयाबी नहीं मिलनी थी. न ही कामायाबी आज तक भी मिल सकी है. अब जब तक इन छिपे हुए आतंकवादियों की कोई मुखबिरी नहीं होगी, तब तक वे सुरक्षित ही रहेंगे. क्योंकि जिस पहलगाम कांड को अंजाम देने वाले आतंकवादियों ने, पाकिस्तान की छाती पर भारतीय फौजों से ऑपरेशन सिंदूर अंजाम दिलवाकर, वहां कोहराम मचवा डाला हो. पहलगाम के वे कातिल अपनी सुरक्षित गुफा में से बाहर गर्दन निकाल कर झांकने की कोशिश क्यों करेंगे? ताकि जैसे ही वे अपनी मांद से बाहर झांके और उनकी गर्दन तक भारतीय एजेंसियां पहुंच जाएं!” 

नहीं ऐसा नहीं है आज नहीं तो कल सही...

तब तो इसका मतलब यह है कि पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल 2025 को खूनी हमले के जिम्मेदार आतंकवादी आइंदा कभी पकड़े ही नहीं जाएंगे? क्योंकि वे सब तो सुरक्षित मांद में जा पहुंचे हैं...स्टेट मिरर हिंदी के सवाल के जवाब में जम्मू कश्मीर राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक आईपीएस शेष पॉल वैद्य बोले, “नहीं ऐसा नहीं है. देर-सवेर यह सब पकड़े या मारे तो जरूर जाएंगे. हां, इसमें वक्त लगेगा. अब समझिए कि वक्त क्यों लगेगा? वक्त इसलिए अभी और लगेगा यह वक्त कितना होगा कहना मुश्किल है. हां, इतना जरूर है कि जिस दिन इनके छिपे होने के अड्डे के बारे में किसी ने हमारी एजेंसियों से मुखबरी कर दी, उसी दिन समझिए पहलगाम के आतंकवादियों का अंत हो जाएगा. या वे मारे जाएंगे या फिर पकड़े जाएंगे.

वे जिंदा पकड़े जाने से हमेशा बचेंगे

हालांकि, भारतीय एजेंसियों की 100 प्रतिशत कोशिश इन्हें जिंदा पकड़ने की रहेगी. ताकि उनसे पहलगाम कांड के षडयंत्रकारियों का पता किया जा सके. जबकि इन आतंकवादियों की कोशिश होगी कि वे भारतीय फोर्सेस के हाथ जिंदा न लगें. क्योंकि इनके जिंदा पकड़े जाने से पाकिस्तान की करतूतें भारत जमाने के सामने परोसकर उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद की यूनिवर्सिटी साबित करके, फिर नंगा कर देगा.”

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