Pahalgam Attack: तू बाहर आ... चाचा और पापा नहीं पढ़ पाए कलमा तो गोलियों से भूना, बेटी ने सुनाई खौफनाक दास्तां

पहलगाम में पुरुषों को निशाना बनाया गया. जहां धर्म पूछकर लोगों पर हमला किया गया. इतना ही नहीं, लोगों ने जबरन आयत पढ़वाई गई, लेकिन जो ऐसा नहीं कर पाए, उसे मौत के घाट उतार दिया गया. पुणे के बिजनेस मैन संतोष जगदाले की बेटी असावरी ने खौफनाक दास्तां सुनाई है.;

( Image Source:  x-Warlock_Shubh )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 23 April 2025 5:58 PM IST

पुणे के बिजनेस मैन संतोष जगदाले और उनका परिवार जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अपनी छुट्टियां मना रहे थे. वे खूबसूरत वादियों में सुकून और खुशी के पल बिता रहे थे, लेकिन अचानक सब कुछ बदल गया. अचानक गोलियों की आवाज़ें सुनकर उनका दिल धड़कने लगा और एक अजीब डर ने उन्हें घेर लिया.

इस पूरे खौफनाक मंजर के बारे में संतोष की बेटी असावरी ने आपबीती बताई. असावरी ने कहा कि ' उन्होंने पहाड़ी से नीचे आते हुए कुछ लोकल पुलिस की वर्दी पहने हुए लोगों को देखा और अचानक गोलियों की आवाज से घाटी गूंज उठी. उस पल असावरी, उनकी मां प्रगति और पिता संतोष सहित पूरा परिवार डर के मारे पास ही एक तंबू की ओर दौड़ पड़ा.

हमें लगा मुठभेड़ हुई है 

वे समझ नहीं पा रहे थे कि हो क्या रहा था, लेकिन गोलियों की आवाज़ उनके पास आती जा रही थी और उनका दिल तेजी से धड़कने लगा था. उन्हें नहीं पता था कि इस दौरान बाहर पूरी दुनिया खौफ और खून से भर गई थी. उन्हें लगा कि यह गोलियों की आवाज हमलावरों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ का हिस्सा है.

चौधरी तू बाहर आ जा

लेकिन फिर वह डरावनी आवाज़ और पास आती गई. जब हमलावरों ने पास के तंबू पर गोलियां चलाईं, तो समझ में आ गया कि खतरा अब उनके करीब आ गया है.  तभी अचानक किसी ने कहा 'चौधरी तू बाहर आ जा'.  यह शब्द जैसे ही हवा में गूंजे, एक डर की लहर दौड़ गई. हमलावरों ने असावरी के पिता को तंबू से बाहर खींच लिया. बाहर खींचते हुए हमलावरों ने उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करने का आरोप लगाया. असावरी के दिल में तो जैसे समय थम सा गया और उसकी आंखों के सामने यह खौफनाक मंजर था.

आयत पढ़ने के लिए कहा

असावरी की आंखों में अभी भी उस खौ़फनाक घटना की यादें ताजा हैं. उसने बताया कि हमारे आसपास कई टूरिस्ट थे, लेकिन आतंकवादियों ने केवल पुरुषों को निशाना बनाया. वे हमसे यह पूछ रहे थे कि हम हिंदू हैं या मुसलमान. फिर उन्होंने असावरी के पिता से एक इस्लामी आयत शायद कलमा, सुनाने को कहा. जब वह ऐसा नहीं कर पाए, तो आतंकवादियों ने उन्हें बिना किसी देर के तीन गोलियां मारी. एक सिर में, एक कान के पीछे और एक पीठ में.

चाचा को भी उतारा मौत के घाट 

असावरी की आवाज़ में दर्द और ग़ुस्से की गहरी छाप थी. उसने बताया कि इसके बाद उन बंदूकधारियों ने उसके चाचा को निशाना बनाकर उन्हें भी बार-बार गोली मारी. असावरी के लिए यह सब कुछ बहुत जल्दी हुआ जैसे उसकी ज़िंदगी एक पल में बदल गई हो. उस एक लम्हे में उसकी पूरी दुनिया पलट गई थी. उस दिन को वह कभी नहीं भूल सकती, जब आतंकवादियों ने उसकी दुनिया छीन ली.

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