अब बंगाल में टीएमसी को कड़ी टक्कर देंगे ओवैसी, बागी विधायक और बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर फंसी ममता; क्या हैं सियासी मायने?
मुर्शिदाबाद में TMC के बागी विधायक हुमायूं कबीर द्वारा 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद का शिलान्यास करने के ऐलान ने बंगाल की राजनीति में हलचल मचा दी है. भाजपा इसे “मुस्लिम तुष्टिकरण” बता रही है, जबकि AIMIM सीमावर्ती जिलों में अपनी पैठ बढ़ाकर मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की तैयारी में है. TMC डैमेज कंट्रोल में जुटी है और ममता बनर्जी मुस्लिम बहुल जिलों में दौरा कर संदेश देने की कोशिश कर रही हैं. यह विवाद आगामी विधानसभा चुनावों का एजेंडा बदल सकता है.;
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से उठा “बाबरी मस्जिद शिलान्यास” वाला विवाद केवल एक धार्मिक मुद्दा नहीं यह 2026 विधानसभा चुनावों की दिशा बदलने वाला राजनीतिक सिग्नल बन चुका है. तृणमूल के बागी विधायक हुमायूं कबीर द्वारा 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने का ऐलान ऐसा समय आया है जब बंगाल की राजनीति पहले ही ध्रुवीकरण की कगार पर है. यह घोषणा सीधे-सीधे मुस्लिम वोटों की नई हलचल, AIMIM की बढ़ती उपस्थिति और तृणमूल की अंदरूनी दरारों को दिखाती है.
दूसरी ओर भाजपा इस बयान को “ममता का मुस्लिम तुष्टीकरण” बताकर उसे घेरने में जुटी है, जबकि AIMIM इसे अवसर के रूप में देख रही है. ऐसे में यह सवाल भी उभर रहा है कि क्या बंगाल में मुस्लिम मतदाता अब TMC पर सवाल उठाने लगे हैं? क्या हुमायूं कबीर और ओवैसी की संभावित साझेदारी खेल बदल सकती है? इस विवाद के राजनीतिक मायनों को समझना बेहद जरूरी है.
बागी विधायक बनाएंगे नई बाबरी मस्जिद
टीएमसी के असंतुष्ट विधायक हुमायूं कबीर ने घोषणा की कि 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में “नई बाबरी मस्जिद” की नींव रखी जाएगी. तारीख का चुनाव भी राजनीतिक है. 1992 में इसी दिन अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराई गई थी. कबीर का दावा है कि मस्जिद तीन साल में तैयार होगी और कई मुस्लिम नेता कार्यक्रम में शामिल होंगे.
मस्जिद नहीं, बांग्लादेश की नींव रखी जा रही: भाजपा
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और भाजपा नेताओं ने ममता बनर्जी पर सीधा हमला बोला. आरोप लगाया गया कि टीएमसी बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के सहारे राजनीति कर रही है. भाजपा इस घोषणा को “वोट बैंक की राजनीति” बताते हुए इसे चुनावी ध्रुवीकरण का हथकंडा मान रही है.
TMC की डैमेज कंट्रोल मोड में एंट्री
तृणमूल ने इस पूरे मामले से दूरी बनाई. विधायक निर्मल घोष ने कहा कि हुमायूं कबीर “पार्टी के संपर्क में नहीं हैं” और उनका बयान पार्टी की नीति नहीं. यह टीएमसी की बैकफुट स्थिति दिखाता है, खासकर तब जब बंगाल के मुस्लिम बहुल जिलों में असंतोष के संकेत मिलने लगे हैं.
नुकसान भरपाई की कोशिश
ममता बनर्जी ने अचानक 3 और 4 दिसंबर को मुस्लिम बहुल जिलों मालदा और मुर्शिदाबाद का दौरा तय कर दिया है. यह कदम स्पष्ट करता है कि टीएमसी को डर है कि हुमायूं कबीर और AIMIM मिलकर मुस्लिम वोटों में सेंध लगा सकते हैं. इन मीटिंग्स में ममता कोई बड़ा मैसेज दे सकती हैं.
मुस्लिम वोट का नया खिलाड़ी
ओवैसी की पार्टी AIMIM पहले ही बंगाल के सीमावर्ती जिलों मालदा, मुर्शिदाबाद और 24 परगना में कैडर बढ़ा रही है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि AIMIM और कबीर का गठबंधन टीएमसी के लिए बड़ा खतरा बन सकता है क्योंकि मुस्लिम वोटों का बिखराव सीधे भाजपा को फायदा पहुंचाएगा.
क्या मुस्लिम मतदाता अब TMC से सवाल पूछ रहे हैं?
विश्लेषकों का मानना है कि पिछले वर्षों में मुस्लिम युवाओं में TMC के खिलाफ नाराज़गी बढ़ी है. शिक्षक भर्ती घोटाले में जिन युवाओं की नौकरी गई उनमें बड़ी संख्या मुस्लिम थी. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक दशा में सुधार कम रहा. यही कारण है कि मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग TMC से जवाब मांग रहा है.
वोट बैंक का टकराव शुरू
टीएमसी जहां खुद को “धर्मनिरपेक्ष” बताकर बैलेंस साधने में लगी है, वहीं भाजपा इसे “राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद” के रूप में पेश कर रही है. यह सीधा हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का मामला बन रहा है, जो चुनावी गणित में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
मस्जिद बनाने पर क्यों आपत्ति?
कांग्रेस ने इस विवाद पर अलग रुख दिखाया. पार्टी ने कहा कि मंदिर बन सकता है तो मस्जिद क्यों नहीं? कांग्रेस का यह स्टैंड मुस्लिम क्षेत्र में उसकी संभावित जगह तलाशने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
राजनीति के केंद्र में बाबरी का मुद्दा
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था और इसने तीन दशकों तक भारतीय राजनीति को आकार दिया. अब जब अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है और उद्घाटन भी हो चुका है, उसी समय मुर्शिदाबाद में “बाबरी मस्जिद शिलान्यास” का राजनीतिक संदेश बेहद गहरा है.
2026 का चुनावी परिदृश्य: कौन लाभ में, कौन संकट में?
इस विवाद का सीधा असर इन तीन दलों पर पड़ेगा:
- TMC: मुस्लिम वोटों के बिखरने का खतरा
- AIMIM + Kabir: नई मुस्लिम राजनीतिक धुरी बनने की संभावना
- BJP: हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण उसके पक्ष में जा सकता है
यानी यह मुद्दा आने वाले महीनों में बंगाल की राजनीति का केंद्र बनने वाला है.