US से करीबी चीन को पसंद नहीं, PAK की गर्दन पकड़ने को ले रहा OP सिंदूर में मिडिएशन का क्रेडिट, एक्सपर्ट बोले- 'दोनों हाथ में लड्डू नहीं...'

पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के 7 महीने बाद चीन ने इस मामले में ट्रंप के स्टाइल में मध्यस्थता का दावा किया है. चीन के इस रुख पर विदेश मामले के जानकार का कहना है कि यह ड्रैगन की पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीतिक चाल है. वो पाकिस्तान में अपने हित साधना चाहता है. जानिए कैसे?;

By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 31 Dec 2025 3:55 PM IST

एक तरफ गलवान घाटी में भारत चीन संघर्ष को लेकर सलमान खान की फिल्म Battle of Galwan चर्चा में हो तो दूसरी तरफ ऑपरेशन सिंदूर के को लेकर चीन के बयान से नया कूटनीतिक मोड़ सामने आ गया है. भारत और पाकिस्तान के बीच इस मिनि युद्ध के करीब 7 महीने बाद चीन ने खुद को भारत-पाक संघर्ष में ‘मध्यस्थ’ के रूप में पेश करने का दावा किया है. ठीक उसी अंदाज में जैसा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस मसले पर करते आए हैं. हालांकि, भारत पहले ही साफ कर चुका है कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन का यह बयान भारत से ज्यादा पाकिस्तान को संदेश देने की रणनीति है.

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हित साधने के लिए चीन कुछ भी कर सकता है - डॉ. ब्रह्मदीप अलूने

विदेश मामलों के जानकार डॉ. ब्रह्मदीप अलूने का कहना है कि चीनी विदेश मंत्री के इस बयान को अमेरिका और पाकिस्तान के बीच होते बेहतर संबंधों के संदर्भ में देखना उचित रहेगा. ऐसा बयान देकर चीन ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश की है. ताकि बलूचिस्तान में अमेरिका रेयर अर्थ के क्षेत्र में अपने परियोजनाओं को आगे न बढ़ा सके.

चीन के लिए ऐसा करना इसलिए जरूरी है. अगर अमेरिका कारोबारी व सैन्य लिहाज से पाकिस्तान में अपना पांव फैलाता है तो चीन पर उसका सीधा असर पड़ेगा. चीन पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह बना रहा है. उसने कई बिलियन डॉलर वहां लगाया है. वह अपना नुकसान नहीं देख सकता.

इसलिए, चीन नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान का अमेरिका के करीब जाए. फिर, पाकिस्तान में अमेरिका की मजबूती से चीन का सामरिक हित बुरी तरह से प्रभावित होगा. ऐसा इसलिए कि जो काम अमेरिका भारत पर दबाव बनाकर नहीं कर सका, वो अब पाकिस्तान को अपने पाले लेकर करने की रणनीति पर काम कर रहा है.

गलत नीतियां पाकिस्तान की फितरत

डॉ. अलूने का कहना है कि पाकिस्तान भारत की तर्ज पर चीन और अमेरिका दोनों को साधना चाहता है. जैसे भारत अमेरिका और रूस के मामले में पिछले कुछ वर्षों में करता आया है. इस रणनी​ति के तहत पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सउदी अरब से सैन्य पैक्ट किया. ऐसा पाकिस्तान तत्कालिक हित साधने के लिए कर रहा है.

अब जिस तरह से सउदी अरब और यूएई के बीच तनातनी बढ़ी है, क्या वो सउदी के पक्ष में अपने सेना को यूएई के खिलाफ जंग के मैदान में उतारेगा? ऐसा पाकिस्तान कभी नहीं कर पाएगा. क्योंकि, यूएई में भी पाकिस्तान के काफी संख्या में लोग रहते हैं.

ये सब पाकिस्तान की गलत नीतियां हैं, जिसे भांपते हुए अब चीन ने भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की बात कर पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाह रहा है. चीन के यह कदम पाकिस्तान के गले की हड्डी साबित होगा. भारत ने इस मामले में अपना स्टैंड मई में ही साफ कर दिया था.

दरअसल, चीनी विदेश मंत्री वांग यी का पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद आपरेशन सिंदूर को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया. उन्होंने कहा है कि चीन ने मई में भारत-पाकिस्तान तनाव में 'मध्यस्थता' की थी. जबकि भारत तीसरे पक्ष के दखल को भारत के बार-बार मना करता आया है. भारतीय विदेश मंत्रालय का स्टैंड इस मसले पर पहले वाला ही है.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे ज्यादा उथल - पुथल

चीनी विदेश मंत्री ने यह बयान 30 दिसंर को उस समय दिया जब वह बीजिंग में अंतरराष्ट्रीय स्थिति और चीन के विदेश संबंधों पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. वांग ने कहा कि दुनिया में संघर्षों और अस्थिरता में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा, "इस साल, स्थानीय युद्ध और सीमा पार संघर्ष दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद से किसी भी समय की तुलना में ज्यादा बार भड़के. भू-राजनीतिक उथल-पुथल फैलती रही."

वांग ने कहा कि चीन ने अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों से निपटने में 'निष्पक्ष और सही रुख' अपनाया है. पीटीआई के हवाले से उन्होंने कहा, "स्थायी शांति बनाने के लिए, हमने एक निष्पक्ष और सही रुख अपनाया है. लक्षणों और मूल कारणों दोनों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित किया है."

इन मसलों पर भी चीन ने दी दखल

वांग ने आगे कहा, "हॉटस्पॉट मुद्दों को सुलझाने के इस चीनी तरीके का पालन करते हुए, हमने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दे, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव, फिलिस्तीन और इजराइल के बीच मुद्दों, और कंबोडिया और थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष में मध्यस्थता की."

वांग की यह टिप्पणी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए सैन्य टकराव के महीनों बाद आई है. भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और बाद में इसमें सैन्य प्रतिष्ठानों को भी शामिल किया गया.

वांग ने कहा, "2025 में हमने भारत और DPRK के नेताओं को चीन आमंत्रित किया. चीन-भारत संबंधों में अच्छी गति दिखी और DPRK के साथ पारंपरिक दोस्ती और मजबूत हुई और उसे आगे बढ़ाया गया." उन्होंने कहा कि SCO शिखर सम्मेलन सफल रहा.

कूटनीतिक मोर्चे पर, चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के पहले दिन संयम बरतने की अपील की. साथ ही भारत की एयरस्ट्राइक पर दुख भी जताया. 7 मई को चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, "चीन को आज सुबह भारत का सैन्य अभियान दुखद लगा."

तीसरे पक्ष की भूमिका को भारत ने किया खारिज

चीनी विदेश मंत्री का बयान सामने आने के बाद भारत ने पहले की तरह इस बार भी कहा है कि चार दिन का टकराव किसी बाहरी शक्ति की दखलंदाजी के बिना, सीधे मिलिट्री-टू-मिलिट्री बातचीत से सुलझाया गया था. 13 मई 2025 की प्रेस ब्रीफिंग में भी विदेश मंत्रालय ने बाहरी मध्यस्थता के दावों को खारिज कर दिया था.

क्या है भारत का स्टैंड?

विदेश मंत्रालय ने कहा, "दोनों देशों के DGMOs के बीच 10 मई 2025 को 15:35 बजे शुरू हुई फोन कॉल पर सहमति बनी थी." नई दिल्ली ने बार-बार कहा है कि भारत और पाकिस्तान के मामलों में किसी तीसरे पक्ष के दखल की कोई गुंजाइश नहीं है. यह रुख उसने दशकों से बनाए रखा है.

बीजिंग की भूमिका पर उठाए थे सवाल

मई के टकराव में चीन की भूमिका, खासकर पाकिस्तान को उसकी सैन्य मदद को लेकर सवाल उठे हैं. चीन पाकिस्तान को हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर है, जो 81 प्रतिशत से ज्यादा सैन्य उपकरणों की सप्लाई करता है.

बाद में भारतीय सैन्य अधिकारियों ने चीन पर आरोप लगाया कि उसने इस टकराव का इस्तेमाल अपने रणनीतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए किया. सेना के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने कहा कि बीजिंग ने इस टकराव को एक "लाइव लैब" की तरह इस्तेमाल किया और आरोप लगाया कि चीन ने ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर समर्थन दिया. चीन ने इन टिप्पणियों पर सीधे जवाब देने से इनकार कर दिया.

सलमान की फिल्म Battle of Galwan में क्या है?

बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की अपकमिंग फिल्म Battle of Galwan को लेकर जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक यह फिल्म 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुई ऐतिहासिक झड़प से प्रेरित बताई जा रही है. हालांकि, मेकर्स ने इसे पूरी तरह डॉक्यूमेंट्री नहीं, बल्कि फिक्शनल ड्रामा के रूप में पेश करने की तैयारी की है.

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