वैष्णो देवी यात्रा के नए नियम लागू: RFID कार्ड मिलते ही 10 घंटे में शुरू करें चढ़ाई, 24 घंटे में लौटें कटरा!

श्राइन बोर्ड का कहना है कि ये बदलाव यात्रा को ज्यादा सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए किए गए हैं. इससे ट्रैक पर भीड़ काफी कम होगी, किसी बीमारी या खराब मौसम जैसी आपात स्थिति में बचाव कार्य तेजी से हो सकेगा, और लंबे समय तक ठहरने से होने वाली सर्दी या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा भी घटेगा.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  रूपाली राय
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नए साल के समय माता वैष्णो देवी के दरबार में श्रद्धालुओं की बहुत ज्यादा भीड़ उमड़ती है. इस भीड़ को ध्यान में रखते हुए माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा के दिशानिर्देशों में कुछ जरूरी संशोधन किए हैं. अब चढ़ाई और उतराई दोनों के लिए नियमों को और सख्त बना दिया गया है. इन नए बदलावों का मुख्य उद्देश्य भवन के आसपास बेवजह भीड़भाड़ को रोकना है, किसी भी तरह की दुर्घटना के खतरे को कम करना है, और पूरे ट्रैक पर भीड़ का बेहतर प्रबंधन करना साथ ही किसी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाना आसान बनाना है. 

नए नियमों के अनुसार, अब श्रद्धालुओं को अपना आरएफआईडी यात्रा कार्ड मिलने के सिर्फ 10 घंटे के अंदर ही अपनी यात्रा शुरू करनी होगी. मतलब, कार्ड लेते ही ज्यादा देर न करें और जल्दी से चढ़ाई शुरू कर दें. इसके अलावा, माता के दर्शन पूरे करने के बाद आपको 24 घंटे के अंदर कटरा के बेस कैंप में वापस लौटना अनिवार्य होगा. ये नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो चुके हैं और सभी श्रद्धालुओं पर लागू होते हैं, चाहे वे पैदल जाएं, हेलीकॉप्टर से या किसी अन्य तरीके से. 

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आरएफआईडी के तहत यात्रा  

पहले की व्यवस्था में ऐसा कोई सख्त समय सीमा नहीं थी. आरएफआईडी कार्ड मिलने के बाद श्रद्धालु कभी भी यात्रा शुरू कर सकते थे और दर्शन के बाद भवन क्षेत्र में जितनी देर चाहें रुक सकते थे. कई तीर्थयात्री तो भवन के आसपास कई-कई दिनों तक ठहर जाते थे, जिसकी वजह से ट्रैक पर भयंकर भीड़भाड़ हो जाती थी, जाम लग जाता था और आने-जाने में बहुत परेशानी होती थी. अब ये नए नियम इसी समस्या को दूर करने के लिए बनाए गए हैं. 

यात्रा की कुल अवधि और विभिन्न विकल्प

कटरा से भवन तक की दूरी करीब 13 किलोमीटर है. श्रद्धालु अपनी सुविधा और शारीरिक क्षमता के अनुसार अलग-अलग तरीकों से यात्रा कर सकते हैं:

पैदल यात्रा: चढ़ाई में आमतौर पर 6 से 8 घंटे लगते हैं और उतराई में भी लगभग इतना ही समय. कुल मिलाकर आने-जाने में 12 से 24 घंटे का समय लग सकता है. 

हेलीकॉप्टर से: यह सबसे तेज तरीका है, जिसमें कुल 4 से 6 घंटे लगते हैं (कटरा से संजीछात हेलीपैड तक उड़ान और वहां से भवन तक की छोटी दूरी). 

अन्य विकल्प: घोड़े, पिट्ठू (कंधे पर उठाकर ले जाना), बैटरी से चलने वाली कारें आदि भी उपलब्ध हैं. 

दर्शन के लिए लाइन में इंतजार का समय सामान्य दिनों में 2 से 6 घंटे होता है, लेकिन ज्यादा भीड़ वाले समय में यह इससे कहीं अधिक भी हो सकता है. सामान्य स्थितियों में पूरी यात्रा (आना, दर्शन और जाना) 24 से 36 घंटे में पूरी हो जाती है. लेकिन नव वर्ष जैसी भीड़ के दौरान यह समय 48 घंटे तक भी बढ़ सकता है. नए नियमों से उम्मीद है कि यह समय कम होगा और यात्रा ज्यादा सुगम बनेगी. 

माता वैष्णो देवी धाम तक कैसे पहुंचें?

माता के दरबार तक पहुंचना काफी आसान है क्योंकि यह जगह देश के कई हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ी हुई है:

ट्रेन से: जम्मू तवी रेलवे स्टेशन पूरे भारत से ट्रेनों से जुड़ा हुआ है. यहां से कटरा करीब 50 किलोमीटर दूर है, जिसे बस या टैक्सी से करीब 1.5 घंटे में पहुंचा जा सकता है.

हवाई जहाज से: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जम्मू है, जो कटरा से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. श्रीनगर एयरपोर्ट इससे थोड़ा दूर (करीब 200 किलोमीटर) है. 

सड़क मार्ग से: जम्मू या पठानकोट से कटरा तक नियमित बसें और निजी गाड़ियां उपलब्ध रहती हैं.

कटरा पहुंचने के बाद आप पैदल, बैटरी कार, घोड़े-पिट्ठू या हेलीकॉप्टर की मदद से भवन तक जा सकते हैं. हेलीकॉप्टर सेवा कटरा से संजीछात तक उपलब्ध है, जिसका किराया एक तरफ का करीब 2,000 से 2,500 रुपये के बीच होता है (वर्तमान दरें आधिकारिक वेबसाइट से जांच लें). 

पंजीकरण जरूर करवाएं

यात्रा शुरू करने से पहले ऑनलाइन पंजीकरण करवाना पूरी तरह अनिवार्य है. यह श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट से आसानी से किया जा सकता है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कटरा रेलवे स्टेशन पर बना पंजीकरण केंद्र अब आधी रात तक खुला रहता है, ताकि देर रात पहुंचने वाले यात्रियों को भी कोई परेशानी न हो. 

इन नए नियमों के फायदे क्या हैं?

श्राइन बोर्ड का कहना है कि ये बदलाव यात्रा को ज्यादा सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए किए गए हैं. इससे ट्रैक पर भीड़ काफी कम होगी, किसी बीमारी या खराब मौसम जैसी आपात स्थिति में बचाव कार्य तेजी से हो सकेगा, और लंबे समय तक ठहरने से होने वाली सर्दी या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा भी घटेगा. ये नियम खास तौर पर महिलाओं, छोटे बच्चों और बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगे. कम समय में रुकने से दर्शन की प्रक्रिया तेज होगी, लाइन में इंतजार का समय कम होगा और सभी को आसानी से माता के दर्शन का मौका मिलेगा. बोर्ड ने साफ कहा है कि इन नियमों का मकसद किसी को असुविधा देना बिल्कुल नहीं है, बल्कि नव वर्ष की भारी भीड़ में सभी की यात्रा सुचारू रूप से चले, सुरक्षित रहे और सभी को अच्छे से दर्शन हो सकें. 

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