PMKVY में बड़ा भ्रष्टाचार: 178 ट्रेनिंग पार्टनर और सेंटर ब्लैकलिस्ट, फर्जीवाड़े से बर्बाद हुआ कौशल विकास मिशन

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है. प्रशिक्षण केंद्रों में गैर-मौजूद छात्रों, फर्जी दस्तावेजों और काल्पनिक प्रशिक्षण पार्टनर्स के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय ने 178 ट्रेनिंग पार्टनर्स और सेंटर को ब्लैकलिस्ट किया है और कई पर कानूनी कार्रवाई शुरू हो चुकी है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां मिली हैं.;

Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 6 Nov 2025 11:24 AM IST

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana - PMKVY) का मकसद देश के युवाओं को रोज़गार योग्य बनाना था. लेकिन अब यह योजना खुद भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ती दिख रही है. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने जांच के बाद 178 ट्रेनिंग पार्टनर्स (TPs) और ट्रेनिंग सेंटर्स (TCs) को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. इन पर फर्जी दस्तावेज़ जमा करने, काल्पनिक छात्रों को हाजिरी में दिखाने और गैर-मौजूद सेंटर्स से ट्रेनिंग चलाने जैसे गंभीर आरोप हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और रीजनल डायरेक्टरेट्स को पत्र भेजकर सूचित किया है कि योजना के मानकों का पालन न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है. यह कदम कई महीनों की लगातार मॉनिटरिंग और निरीक्षण रिपोर्टों की समीक्षा के बाद उठाया गया है.

मंत्रालय ने बताया कि 178 ब्लैकलिस्टेड संस्थानों से सरकारी फंड की वसूली शुरू कर दी गई है. वहीं, जिन संस्थानों पर भारी पेनल्टी लगी है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है. मंत्रालय का कहना है कि अब किसी भी नए प्रस्ताव को स्वीकृति देने से पहले उसकी पूरी जांच की जाएगी, ताकि इस तरह की अनियमितताएं दोबारा न हों.

फर्जीवाड़े का खुलासा कैसे हुआ

जांच के दौरान जो बातें सामने आईं, वे चौंकाने वाली हैं. कई ट्रेनिंग सेंटर ऐसे पाए गए जो कागज़ों पर तो मौजूद थे लेकिन ज़मीन पर उनका कोई अस्तित्व नहीं था. कई केंद्रों ने छात्रों की हाजिरी में उन युवाओं के नाम दर्ज किए जो कभी प्रशिक्षण स्थल पर पहुंचे ही नहीं. कुछ केंद्रों ने तो अपने सर्टिफिकेट्स और डॉक्युमेंट्स भी फर्जी तरीके से तैयार कराए थे. इन गड़बड़ियों के बाद मंत्रालय ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) से रिपोर्ट मांगी. NSDC, PMKVY योजना को लागू करने वाली प्रमुख संस्था है. रिपोर्ट में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं जिसके बाद मंत्रालय ने कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की.

कौन से राज्यों में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा

जारी की गई ब्लैकलिस्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 59 ट्रेनिंग पार्टनर्स और सेंटर्स ब्लैकलिस्ट किए गए हैं. इसके बाद दिल्ली (25), मध्य प्रदेश (24) और राजस्थान (20) का स्थान आता है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मिजोरम, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी एक-एक पार्टनर या सेंटर ब्लैकलिस्ट किया गया है. 178 में से 122 मामलों में ट्रेनिंग पार्टनर और ट्रेनिंग सेंटर की पहचान अलग-अलग थी, जबकि 56 मामलों में दोनों की पहचान एक जैसी थी, यानी पार्टनर और सेंटर दोनों एक ही संस्था चला रही थी.

FIR और कानूनी कार्रवाई

इंडियन एक्सप्रेस की सितंबर 22, 2025 की रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि कई डिफॉल्टिंग ट्रेनिंग पार्टनर्स के खिलाफ पहले ही FIR दर्ज की जा चुकी थी. इन पर आरोप था कि इन्होंने फर्जी अटेंडेंस रिकॉर्ड बनाकर गैर-मौजूद छात्रों को हाजिरी में दिखाया ताकि सरकारी ग्रांट जारी होती रहे. अब मंत्रालय ने इन FIRs के अलावा फंड रिकवरी और ब्लैकलिस्टिंग की औपचारिक कार्रवाई भी पूरी कर ली है. कुछ मामलों में “हाई लेवल पेनल्टी” के तहत कानूनी कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है.

NSDC की चुप्पी और गोपनीयता का विवाद

इंडियन एक्सप्रेस ने जब NSDC से ब्लैकलिस्टिंग प्रक्रिया और रिकवरी की रकम को लेकर सवाल किए, तो संस्था ने कोई जवाब नहीं दिया. यहां तक कि जब अखबार ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगी, तब भी NSDC ने इसे “गोपनीय” और “जांच जारी” बताकर जानकारी देने से इनकार कर दिया. गौरतलब है कि जुलाई 2025 में जारी सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि PMKVY 4.0 योजना के तहत 2024-25 के लिए ₹1,538 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है. इसमें यह भी कहा गया था कि ट्रेनिंग सेंटर्स की फिजिकल और वर्चुअल मॉनिटरिंग की जा रही है और गैर-अनुपालक सेंटर्स पर FIR, ब्लैकलिस्टिंग और वित्तीय वसूली जैसी कार्रवाई की जाएगी.

स्थानीय स्तर पर प्रभाव: ट्रेनिंग ठप

इंडियन एक्सप्रेस ने उन 18 राज्यों के क्षेत्रीय निदेशकों (Regional Directors) से बात की जहां ब्लैकलिस्टिंग की कार्रवाई हुई है. कई अधिकारियों ने बताया कि उन्हें यह सूची पहली बार मिली है और सभी दोषी ट्रेनिंग सेंटर्स की गतिविधियां तुरंत रोक दी गई हैं. एक अधिकारी ने बताया, “हमारे जिले में लगभग पूरा PMKVY प्रशिक्षण बंद पड़ा है. NSDC की स्थानीय यूनिट मॉनिटरिंग कर रही है, लेकिन हमें निरीक्षण या आगे की प्रक्रिया की जानकारी नहीं दी गई है.” एक अन्य निदेशक ने बताया कि आधे से ज्यादा केंद्रों और पार्टनर्स पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है और ‘बैकएंड ब्लैकलिस्टिंग’ की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है.

NSDC पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल

यह पहला मौका नहीं है जब राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) विवादों में आया हो. इस साल मई में NSDC ने अपने CEO वेद मणि तिवारी को पद से हटा दिया था. इसके बाद अगस्त 2025 में मंत्रालय ने उन्हीं दो अधिकारियों के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी जिन्हें संकट से उबारने के लिए नियुक्त किया गया था. शिकायत में आरोप था कि “वे सरकारी धन और संपत्ति लेकर फरार हो सकते हैं.”

PMKVY 4.0 पर असर और आगे की दिशा

PMKVY 4.0, जिसे 2022 में लॉन्च किया गया था, के तहत अब तक 1.64 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. लेकिन इस व्यापक ब्लैकलिस्टिंग के बाद योजना का भविष्य संदेह में पड़ गया है. कई राज्यों में ट्रेनिंग सेंटर बंद हैं और छात्रों का प्रशिक्षण ठप हो गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मंत्रालय जल्द ही पारदर्शी मॉनिटरिंग व्यवस्था नहीं अपनाता, तो प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का मकसद - युवाओं को रोज़गार योग्य बनाना - अधूरा रह जाएगा.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, जो कभी ‘स्किल इंडिया’ के सपने की आधारशिला कही जाती थी, अब भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के शिकंजे में जकड़ी दिख रही है. 178 संस्थानों की ब्लैकलिस्टिंग न सिर्फ एक आंकड़ा है, बल्कि उस सिस्टम की नाकामी का सबूत है जो देश के युवाओं को भविष्य देने का वादा करता है. अगर अब भी जवाबदेही तय नहीं की गई, तो कौशल विकास का यह मिशन सिर्फ कागज़ों में ही जिंदा रह जाएगा.

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