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मोदी सरकार की इस एजेंसी को पानी पी-पीकर कोसता है विपक्ष, लेकिन FATF बता रहा सबसे असरदार हथियार

वैश्विक आतंक वित्त निगरानी संस्था FATF ने अपनी नई रिपोर्ट “Asset Recovery Guidance and Best Practices” में भारत की Enforcement Directorate (ED) को एक “मॉडल एजेंसी” बताया है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी संपत्तियों की जब्ती, फ्रीजिंग और रिकवरी के लिए बेहद सशक्त कानूनी ढांचा और तकनीक-आधारित तंत्र विकसित किया है. FATF ने PMLA कानून, FIU-IND, CBI और ED के समन्वय, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सराहना की.

मोदी सरकार की इस एजेंसी को पानी पी-पीकर कोसता है विपक्ष, लेकिन FATF बता रहा सबसे असरदार हथियार
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प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 5 Nov 2025 12:56 PM

मोदी सरकार की जिस एजेंसी को विपक्ष अकसर “राजनीतिक प्रतिशोध का औजार” बताता है, अब उसी एजेंसी की तारीफ दुनिया की सबसे बड़ी टेरर फंडिंग वॉचडॉग ने की है. Financial Action Task Force (FATF) ने अपनी नई रिपोर्ट में भारत की Enforcement Directorate (ED) को ‘मॉडल एजेंसी’ बताया है और कहा है कि भारत का Asset Recovery System दुनिया के सबसे मज़बूत और पारदर्शी सिस्टम में से एक बन चुका है.

इंडिया टुडे के अनुसार, FATF ने अपनी रिपोर्ट “Asset Recovery Guidance and Best Practices” में भारत को उन देशों की सूची में शामिल किया है, जिन्होंने अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी संपत्तियों की जब्ती और प्रबंधन के लिए बेहद मजबूत कानूनी और संचालन व्यवस्था बनाई है. इसमें विशेष रूप से ED की भूमिका की सराहना की गई है, जिसे FATF ने “तकनीक-आधारित, संसाधन-संपन्न और परिणाम देने वाली एजेंसी” कहा है.

FATF ने ED की तारीफ क्यों की?

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जब्त करने के लिए conviction-based और non-conviction-based दोनों तरह की प्रक्रिया अपनाई है. FATF ने कहा कि ED ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Mutual Legal Assistance Treaties (MLATs) के तहत विदेशी एजेंसियों से तालमेल बैठाकर कई बड़ी सफलता हासिल की हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की ED ने यह साबित किया है कि जब किसी देश की नीति, कानून और संस्थागत समन्वय मजबूत हो, तो अपराधियों की अवैध संपत्तियों को वसूलना और जनता को उसका लाभ दिलाना पूरी तरह संभव है.

भारत का कानूनी ढांचा FATF मानकों के अनुरूप

FATF ने माना कि भारत का Prevention of Money Laundering Act (PMLA) एक बेहद सशक्त कानून है, जो अपराध से जुड़ी संपत्तियों को बिना देरी के फ्रीज, अटैच और जब्त करने में मदद करता है, यहां तक कि सजा सुनाए जाने से पहले भी. इसने यह भी कहा कि भारत में Financial Intelligence Unit (FIU-IND), CBI, और ED के बीच बेहतर समन्वय है, जिससे वित्तीय अपराधों के मामलों में इंटेलिजेंस, जांच और अभियोजन का चक्र सुचारू रूप से चलता है. FATF ने इसे दूसरे देशों के लिए “सीखने योग्य मॉडल” बताया.

भारत अब ‘ग्लोबल लीडर’ की श्रेणी में

FATF की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का Asset Recovery Framework अब “सशक्त, पारदर्शी और पीड़ित-केंद्रित” ढांचे के रूप में उभर रहा है. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि भारत की रणनीति 2023–24 के नए FATF मानकों के अनुरूप है, जो शुरुआती वित्तीय जांच, एजेंसियों के बीच समन्वय और जब्त संपत्तियों के सार्वजनिक हित में पुन: उपयोग पर बल देती है.

FATF ने बताई भारत की चार बड़ी केस स्टडीज़

1. इन्वेस्टमेंट फ्रॉड केस - 6,000 करोड़ की रिकवरी

एक बड़े निवेश घोटाले में, एक कंपनी ने लोगों को जमीन या ऊंचे रिटर्न का लालच देकर पैसा इकट्ठा किया और उसे पावर व माइनिंग प्रोजेक्ट्स में झोंक दिया. ED ने इस केस में 6,000 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की, जबकि राज्य CID ने समानांतर कार्रवाई की. FATF ने इस केस को “प्रभावी जांच और त्वरित रिकवरी का उदाहरण” बताया.

2. कॉरपोरेट बॉन्ड स्कैम - 538 करोड़ लौटाए गए निवेशकों को

एक और केस में, एक कंपनी ने अवैध रूप से जनता से डिबेंचर जारी करके पैसा जुटाया और शेल कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया. ED की कार्रवाई के बाद हाईकोर्ट ने एक Asset Disposal Committee (ADC) बनाई, जिसके जरिए 538 करोड़ रुपये की संपत्ति बेचकर 75,000 निवेशकों को मुआवजा दिया गया — और वह भी ऑनलाइन प्रक्रिया से, बिना किसी कानूनी शुल्क के.

3. कोऑपरेटिव बैंक घोटाला - 290 करोड़ रिकवर, जमीन बनी एयरपोर्ट साइट

इस केस में बैंक अधिकारियों ने फर्जी खातों और दस्तावेज़ों के जरिए करोड़ों रुपये गायब कर दिए. ED ने 290 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति अटैच कर महाराष्ट्र की MPID कोर्ट को सौंप दी. FATF ने सराहना की कि जब्त जमीन को बाद में एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए उपयोग में लाया गया - यानी जब्ती से जनता को सीधा फायदा मिला.

4. वैल्यू-बेस्ड जब्ती - 1,777 करोड़ रुपये की संपत्ति सुरक्षित

FATF ने भारत की value-based confiscation policy की भी तारीफ की, जिसमें ED ने उन संपत्तियों को जब्त किया जिनकी वैल्यू विदेश में छिपाई गई रकम के बराबर थी. रिपोर्ट ने इसे “best-in-class innovation” कहा और कहा कि भारत ने दिखाया है कि अपराधियों की संपत्ति कहीं भी हो, कानून उसे पकड़ सकता है.

ED पर FATF की यह राय क्यों मायने रखती है?

भारत में विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि ED और CBI का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ किया जाता है. लेकिन FATF की यह रिपोर्ट मोदी सरकार के पक्ष को मज़बूत करती है कि भारत की एजेंसियां ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के अनुरूप काम कर रही हैं. FATF की नज़र में ED सिर्फ एक जांच एजेंसी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बन चुकी है जो अपराधियों से संपत्ति वापस लेकर जनता तक पहुंचाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है.

FATF की यह रिपोर्ट भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है. एक तरफ जहां विपक्ष संसद से लेकर सड़क तक ED को निशाना बना रहा है, वहीं अंतरराष्ट्रीय मंच पर यही एजेंसी ‘मॉडल ऑफ ट्रांसपेरेंसी एंड एफिशिएंसी’ के रूप में उभर रही है. FATF ने साफ किया है - जब कोई देश पारदर्शिता, कानूनी ताकत और तकनीकी दक्षता को मिलाकर अपराध से लड़ता है, तो नतीजा सिर्फ न्याय नहीं, बल्कि जनता का भरोसा भी होता है.

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