VIDEO: 'जन गण मन' अंग्रेजों के स्वागत के लिए लिखा गया, ऐसा कहने वाले भाजपा नेता कौन? कांग्रेस बोली-...बकवास

बीजेपी सांसद और कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने विवादित बयान देते हुए कहा कि ‘जन गण मन’ अंग्रेजों के स्वागत के लिए लिखा गया था, जबकि ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगान बनाने की जोरदार मांग थी. उनके इस बयान पर कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया. मंत्री प्रियांक खड़गे ने कागेरी की टिप्पणी को “व्हाट्सएप हिस्ट्री लेक्चर” और “पूरी तरह बकवास” बताया.;

( Image Source:  @TheSouthfirst- X )
Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 6 Nov 2025 1:03 PM IST

कर्नाटक के भाजपा सांसद और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष Vishweshwar Hegde Kageri अपने एक बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं. उन्होंने दावा किया कि भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ ब्रिटिशों के स्वागत के लिए लिखा गया था और उस समय ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगान बनाए जाने की जोरदार मांग उठी थी. उनके इस बयान ने सियासी हलचल मचा दी है.

कागेरी ने कहा कि इतिहास को दोहराने की जरूरत नहीं है, लेकिन यह सच है कि हमारे पूर्वजों ने उस दौर में ‘वंदे मातरम्’ के साथ ‘जन गण मन’ को भी स्वीकार करने का निर्णय लिया था. वहीं कांग्रेस ने उनके इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने इसे “व्हाट्सऐप इतिहास” करार देते हुए भाजपा और आरएसएस पर सीधा हमला बोला.

BJP सांसद का बयान: 'जन गण मन ब्रिटिशों के स्वागत के लिए लिखा गया था'

Vishweshwar Hegde Kageri ने यह बयान कर्नाटक के कारवार जिले के होन्नावर में आयोजित ‘राष्ट्रीय एकता नडिगे’ कार्यक्रम में दिया. उन्होंने कहा कि “मैं इतिहास को फिर से नहीं खोलना चाहता, लेकिन उस समय ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रगान बनाए जाने की जोरदार मांग थी. हालांकि हमारे पूर्वजों ने निर्णय लिया कि ‘वंदे मातरम्’ के साथ-साथ ‘जन गण मन’, जो ब्रिटिशों के स्वागत के लिए रचा गया था, उसे भी स्वीकार किया जाए.” उन्होंने आगे कहा कि आज हम इसे मान चुके हैं और उसका पालन कर रहे हैं, लेकिन ‘वंदे मातरम्’ का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.

प्रियंक खड़गे का पलटवार: “आरएसएस को इतिहास दोबारा पढ़ने की जरूरत”

कांग्रेस नेता और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने सांसद कागेरी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि 'एक और दिन, आरएसएस का एक और ‘व्हाट्सऐप इतिहास’ लेक्चर! कर्नाटक बीजेपी सांसद कागेरी अब दावा कर रहे हैं कि हमारा राष्ट्रगान ‘ब्रिटिश’ है. यह सरासर बकवास है.”

उन्होंने आगे लिखा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने 1911 में “भारतो भाग्य विधाता” लिखा था, जिसकी पहली पंक्ति बाद में राष्ट्रगान बनी. यह गीत 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया था. किसी भी ब्रिटिश राजा के स्वागत में नहीं. प्रियंक खड़गे ने याद दिलाया कि टैगोर ने 1937 और 1939 में स्पष्ट किया था कि यह गीत “भारत के भाग्य विधाता” की स्तुति है, किसी ‘जॉर्ज पंचम’ या ‘जॉर्ज षष्ठम’ की नहीं.

प्रियंक का आरएसएस पर हमला: “संविधान और तिरंगे के प्रति असम्मान की परंपरा”

प्रियंक खड़गे ने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि “बीजेपी सांसद कहते हैं कि वह इतिहास को नहीं दोहराना चाहते. लेकिन मैं सभी बीजेपी, आरएसएस नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहूंगा कि वे आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइज़र’ के पुराने संपादकीय पढ़ें. उन्हें पता चलेगा कि आरएसएस का संविधान, तिरंगे और राष्ट्रगान के प्रति असम्मान का लंबा इतिहास रहा है.”

सरकार मनाएगी ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल

इस विवाद के बीच केंद्र सरकार ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रही है. इस अवसर पर 7 नवंबर 2025 को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में उद्घाटन समारोह आयोजित होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे. यह कार्यक्रम 7 नवंबर 2026 तक चलेगा, जिसमें पूरे वर्षभर देशभर में “वंदे मातरम्@150” के तहत कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

कौन हैं भाजपा नेता विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी?

विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी का जन्म 10 जुलाई 1961 को हुआ था. वे कर्नाटक बीजेपी के वरिष्ठ नेता और छह बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने 1994 से 2008 तक अंकोला विधानसभा क्षेत्र और बाद में सिरसी से 2008, 2013 व 2018 में जीत दर्ज की. कागेरी 2008 से 2013 तक कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे और 31 जून 2019 से 20 मई 2023 तक राज्य विधानसभा के 22वें अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे.

बी.कॉम की पढ़ाई कर्नाटक यूनिवर्सिटी से करने वाले कागेरी छात्र राजनीति के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे. 2020 में गोहत्या विरोधी कानून बनाए जाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही. निजी जीवन में वे भारती हेगड़े के पति हैं और उनकी तीन बेटियां हैं. राजलक्ष्मी, जयलक्ष्मी और श्रीलक्ष्मी. 2023 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए, लेकिन अब भी कर्नाटक राजनीति में प्रभावशाली चेहरा माने जाते हैं.

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