BJP ने यूं ही नहीं लहराया महाराष्ट्र में जीत का परचम, RSS ने झोंक दी थी पूरी ताकत

RSS Role For BJP In Maharahstra: संघम शरणम गच्छामि... महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह नारा बिल्कुल सटीक बैठता है. बीजेपी ने महाराष्ट्र में जो प्रचंड जीत दर्ज की है, उसमें सबसे बड़ा रोल अगर किसी का है तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) है... RSS ने बीजेपी की जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी...;

( Image Source:  ANI )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 23 Nov 2024 4:26 PM IST

RSS Role In Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति की सूनामी आ गई है. चुनाव आयोग के मुताबिक, बीजेपी 126 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं. वहीं, शिवसेना 54 सीटों पर आगे चल रही हैं. एनसीपी भी 40 सीटों पर आगे है. वहीं, कांग्रेस 21, शिवसेना (यूबीटी) 17 और एनसीपी (एससीपी)12 सीटों पर आगे हैं. महायुति की जीत के वैसे तो कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस है.

आरएसएस के साथ संबंध सुधारना बीजेपी के लिए टॉनिक का काम कर गया. आरएसएस कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के लिए जमकर प्रचार किया. उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को बीजेपी का संदेश और सरकार की योजनाओं के बारे में बताया. साथ ही, लोकसभा चुनाव 2024 में महाविकास आघाड़ी की जीत के बाद बने माहौल के बारे में भी जानकारी दी. यही वजह है कि इस बार महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की.

महाराष्ट्र में RSS ने BJP के लिए क्या किया?

लोकसभा चुनाव में हार के बाद आरएसएस ने महाराष्ट्र में अपनी पूरी ताकत झोंक दी. उसने सहयोगियों के साथ बैठक की और विपक्ष के बयानों का जवाब दिया. इसके साथ ही, संघ ने भाजपा के लिए समर्थन जुटाने के लिए मराठों और आदिवासियों सहित विभिन्न समुदायों से भी संपर्क किया.

आरएसएस ने मुंबई में दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए. इस सम्मेलन में संघ के सहयोगी संगठन विश्व हिंदू परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम और भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. इस सम्मेलन में आरएसएस ने बताया कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने खराब प्रदर्शन क्यों किया. मुंबई में हुई यह बैठक काफी अहम थी, क्योंकि आरएसएस और बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर रिश्ते तनावपूर्ण थे. इसमें बीजेपी द्वारा आरएसएस की तरफ से सुझाए गए उम्मीदवारों को लोकसभा में टिकट न देना भी शामिल रहा. कुल मिलाकर आरएसएस लोकसभा चुनाव में ज्यादा सक्रिय नहीं था. नड्डा के बयान के बाद संघ ने अपनी सक्रियता बिल्कुल कम कर दी.

नड्डा के बयान ने संघ को किया आहत

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में आरएसएस के एक पदाधिकारी ने साफ कहा कि हमें नड्डा के बयान ने काफी आहत किया है. हम लोकसभा चुनाव के नतीजों को बीजेपी के लिए एक सबक मानते हैं. हालांकि, बीजेपी और संघ के पास एक-दूसरे के अलावा कोई विकल्प नहीं है. लेकिन जब कोई गलती करता है तो उसे आप एक थप्पड़ मारते हैं और फिर उसके साथ काम करते हैं.

संघ ने विपक्ष के नेरैटिव से निपटने का बनाया मास्टर प्लान

संघ ने विपक्ष के नैरेटिव से निपटने का फैसला किया. उसने 13 समूह बनाए. एक समूह विपक्ष से आने वाली सभी सूचनाओं को एकत्रित किया, उसका विश्लेषण किया और यह पता लगाया कि इसका मुकाबला कैसे किया जाए. उदाहरण के लिए विपक्ष के इस आरोप का मुकाबला करने के लिए कि भाजपा संविधान बदलने का इरादा रखती है, आरएसएस के संगठन 'हर घर संविधान' अभियान के साथ जमीन पर उतरे, जिसमें उन्होंने दलित आरएसएस कार्यकर्ताओं की मदद से समुदाय में यह बताना शुरू किया कि कैसे भाजपा नहीं, बल्कि कांग्रेस संविधान के उल्लंघन की 'सबसे बड़ी दोषी' है.

संघ ने चुपचाप किया अपना काम

बता दें कि पिछले कई हफ्तों से संघ और उसके सहयोगी लोग जमीन पर चुपचाप काम कर रहे थे. वे लोगों के साथ छोटी-छोटी बैठकें कर रहे थे. इनमें से एक समूह को मराठा समुदाय के बीच भेजा गया, जो मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन के कारण भाजपा से नाराज था. समूह ने आरक्षण पर भाजपा का दृष्टिकोण बताने का काम किया.

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वनवासी कल्याण आश्रम के प्रतिनिधियों को आदिवासी समुदाय के साथ काम करके उन्हें अपने पक्ष में करने का काम सौंपा गया था. एक समूह को यूट्यूबर्स, इंफ्लुएसर्स, दक्षिणपंथी बुद्धिजीवियों और सोशल मीडिया पर लोगों को भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम सौंपा गया था. उन्हें बताना था कि कांग्रेस और एनसीपी के सत्ता में आने से न केवल राज्य, बल्कि हिंदू समुदाय को नुकसान होगा.

RSS पदाधिकारी ने कहा कि हमने लोगों को यह एहसास दिलाया कि अगर हिंदू समुदाय विभाजित हुआ तो यह सभी के लिए समस्या पैदा कर सकता है. इसके बाद, विधानसभा चुनावों में इन धार्मिक नेताओं ने भाजपा को वोट देने के लिए लोगों से अपील की. दरअसल चुनावों से पहले जैन मुनियों ने भी समुदाय से चुनाव में भाजपा को वोट देने का आह्वान किया था.

जेपी नड्डा ने कहा था- अब हमें संघ की जरूरत नहीं

बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान की जमकर चर्चा हुई थी. नड्डा ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि बीजेपी अब बड़ी हो गई है. उसे अब संघ की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा था कि शुरू में हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन बीजेपी सक्षम है. वह अपने आप को आज चला रही है.

लोकसभा चुनाव में 14 सीटों का हुआ था नुकसान

नड्डा के बयान से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को खासा नुकसान उठाना पड़ा. सबसे ज्यादा नुकसान आरएसएस की जन्मभूमि महाराष्ट्र में उठाना पड़ा. यहां बीजेपी को 14 सीटों का नुकसान हुआ. उसे केवल 9 सीटों पर ही जीत मिल सकी, जबकि कांग्रेस ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

हरियाणा में आरएसएस ने किया कमाल

बीजेपी की सीटों में गिरावट की वजह आरएसएस पर नड्डा के बयान को माना गया. आरएसएस का कार्यालय नागपुर में है. लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए बीजेपी ने आरएसएस के साथ अपने संबंधों को सुधारना शुरू कर दिया. इसका सबसे पहले फायदा हरियाणा में हुआ, जहां कांग्रेस की सरकार बनने की भविष्यवाणी करने वाले सभी एग्जिट पोल्स फेल हो गए और बीजेपी ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की.

यूपी चुनाव 2027 की तैयारी में जुटा संघ

आरएसएस के सूत्रों ने बताया कि संघ ने उत्तर प्रदेश में 2027 के चुनावों के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है. यह पूछे जाने पर कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में चुनाव क्यों शुरू किए हैं, उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश में तुष्टीकरण और विभाजन पैदा करने के लिए जो कर रही है, उससे देश में एक और विभाजन होगा. अभी नहीं तो कभी नहीं.

'संघम शरणम गच्छामि'

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में संघ और उसके सहयोगियों ने कितनी मेहनत की, इसका अंदाजा दो हफ्ते पहले दक्षिणपंथी विचारक भाऊ तोरसेकर ने जो कहा, उससे लगाया जा सकता है. भाजपा के करीबी माने जाने वाले तोरसेकर ने अपने वीडियो ब्लॉग में कहा कि 23 तारीख के चुनाव के बाद एक नारा होगा- संघम शरणम गच्छामि. दरअसल, 20 नवंबर को महाराष्ट्र में चुनाव संपन्न होने के कुछ घंटे बाद फडणवीस ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी. इस मुलाकात को इस रूप में देखा जा रहा है कि फडणवीस ने अभियान के दौरान आरएसएस द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए उन्हें धन्यवाद दिया.

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