वोटिंग प्रतिशत में गिरावट! प्रियंका पर साख बचाने की जिम्मेदारी, वायनाड में क्या होने वाला है?
वायनाड में प्रियंका समेत 16 प्रत्याशियों की किस्मत EVM में बंद हो गई है. अब 23 नवंबर को मतगणना होगी. वायनाड लोकसभा का गठन 2009 में हुआ था. इसके बाद से पहली बार वोटिंग प्रतिशत में कमी आई है. इस बार मात्र 64.72 प्रतिशत ही वोटिंग हुई है. इस सीट पर प्रियंका गांधी के अलावा वाम लोकतांत्रिक मोर्चा के प्रत्याशी सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास मैदान में हैं.;
केरल की वायनाड वायनाड सीट पर लोकसभा उपचुनाव हो रहा है. राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई थी. इसे केरल की महत्वपूर्ण संसदीय सीट और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. अब इस सीट पर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाया है. प्रियंका गांधी अभी कांग्रेस की महासचिव हैं. प्रियंका गांधी पहली बार कोई चुनाव लड़ रही है.
वायनाड में प्रियंका समेत 16 प्रत्याशियों की किस्मत EVM में बंद हो गई है. अब 23 नवंबर को मतगणना होगी. वायनाड लोकसभा का गठन 2009 में हुआ था. इसके बाद से पहली बार वोटिंग प्रतिशत में कमी आई है. इस बार मात्र 64.72 प्रतिशत ही वोटिंग हुई है. इस सीट पर प्रियंका गांधी के अलावा वाम लोकतांत्रिक मोर्चा के प्रत्याशी सत्यन मोकेरी और बीजेपी की नव्या हरिदास मैदान में है
इस सीट पर 64 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई है. उनके चुनावों का परिणाम कांग्रेस पार्टी के भविष्य के लिए बहुत अहम साबित हो सकता है. अगर वह इस सीट से जीत जाती हैं तो संसद में कांग्रेस को और बल मिलेगा. वहीं, अगर वह यहां से हार जाती हैं तो इसके कई व्यापक प्रभाव हो सकते हैं.
कांग्रेस पार्टी के लिए झटका
प्रियंका गांधी की हार कांग्रेस के लिए एक झटका साबित हो सकती है, क्योंकि प्रियंका गांधी पार्टी के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक हैं. कांग्रेस पार्टी उन्हें अपने सबसे प्रभावशाली और करिश्माई नेताओं में से एक मानती है. हार से कांग्रेस की साख पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है. खासकर तब, जब पार्टी कई राज्यों में पहले से ही सत्ता से बाहर है. हार से कांग्रेस के समर्थकों और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट सकता है और पार्टी में नेतृत्व को लेकर सवाल उठ सकते हैं.
राजनीतिक करियर पर पड़ेगा असर
प्रियंका गांधी का चुनाव हारना न केवल उनके खुद के राजनीतिक करियर के लिए बल्कि राहुल गांधी के करियर के लिए भी चुनौती बन सकता है. राहुल ने 2019 में वायनाड से चुनाव जीतकर कांग्रेस के लिए दक्षिण भारत में समर्थन जुटाया था. अगर प्रियंका वहां हार जाती हैं, तो राहुल गांधी की स्थिति पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं. यह कांग्रेस नेतृत्व की नीति, रणनीति और परिवारवाद पर नए सिरे से बहस को जन्म दे सकता है.
कांग्रेस के समर्थन क्षेत्र में बदलाव
वायनाड में हार कांग्रेस के समर्थन क्षेत्र में भी बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है. अगर केरल जैसे कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ में पार्टी कमजोर होती है, तो यह साफ संकेत होगा कि पार्टी को अपने मूल जनाधार और संगठन को नए सिरे से मजबूत करने की जरूरत है. इससे यह भी संकेत मिलेगा कि दक्षिण भारत में कांग्रेस की पकड़ कमजोर हो रही है और पार्टी को नए तरीकों से समर्थन जुटाने की जरूरत है.
विपक्षी पार्टियों को मिलेगा बढ़ावा
अगर प्रियंका गांधी वायनाड से हार जाती हैं, तो प्रतिद्वंदी पार्टियों को भी इससे फायदा होगा. भाजपा और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां इस अवसर का इस्तेमाल कर सकती हैं ताकि वे कांग्रेस की कमजोरियों को सामने लाकर अपने राजनीतिक एजेंडे को और मजबूत कर सकें. कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र में हार से भाजपा और अन्य दलों को यह अवसर मिल सकता है कि वे अपनी स्थिति को मजबूत करें और वहां के मतदाताओं में अपना प्रभाव बढ़ाएं.
आगामी चुनावों पर क्या होगा असर?
वायनाड में हार कांग्रेस के आगामी चुनावों पर भी असर डाल सकती है. 2024 के लोकसभा उपचुनाव चुनाव में कांग्रेस को हर संभव सीट पर जीत की दरकार होगी. ऐसे में प्रियंका गांधी की हार पार्टी के मनोबल को गिरा सकती है, जिससे आगामी चुनावों में कांग्रेस के लिए स्थिति और कठिन हो जाएगी. आगामी चुनावों के लिए महागठबंधन या अन्य गठबंधनों में कांग्रेस का कद छोटा हो सकता है.